नई सरकार की आहट से दहल रही उत्तर प्रदेश की नौकरशाही
भारी बहुमत से विजय के बाद भाजपा सरकार गठन की तैयारी में लगी है। इस आहट ने अफसरों के होश उड़ा दिए हैं। ब्लाक, तहसील और थाना स्तर से लेकर शासन के शीर्ष तक बेचैनी बढ़ रही है।
लखनऊ (जेएनएन)। भारी बहुमत से विजय के बाद भाजपा नई सरकार गठन की तैयारी में लगी है। इस आहट ने तमाम अफसरों के होश उड़ा दिए हैं। ब्लाक, तहसील और थाना स्तर से लेकर शासन के शीर्ष तक बेचैनी बढ़ रही है। कुछ अफसर नए संरक्षकों की तलाश में सक्रिय हैं। कुछ अपनी तैनाती के आकलन भर से सहम रहे हैं। इससे इतर अब तक हाशिए पर रहे अफसरों को उम्मीद की किरण दिख रही है।
बसपा शासन में एक खास वर्ग को प्राथमिकता मिली और फिर सपा शासन में भी यही स्थिति बनी रही। भाजपा ने लगातार यही आरोप लगाया कि अपने-अपने वोट बैंक के हिसाब से अच्छे और कर्मठ अफसरों को किनारे करके दोनों सरकारों ने जातीय आधार पर तैनाती की। आम आदमी की जरूरतों, दिक्कतों के हल के लिए थाना और तहसील सबसे अहम केंद्र होते हैं लेकिन, वहां जाने वालों को न्याय नहीं मिला। डेढ़ दशक से यहां होने वाली तैनातियों ने पूरे समाज को प्रभावित किया। पुलिस और शासन में भी बहुत से महत्वपूर्ण पदों पर तैनाती में पारदर्शिता नहीं रही। ऐसा भी नहीं कि योग्य और ईमानदार अफसर मुख्य धारा में नहीं रहे। रहे, लेकिन उनकी संख्या कम थी और उन्हें अपने मन-माफिक काम करने नहीं दिया गया। जिस तरह तबादले-दर-तबादले होते रहे, उससे भी नीयत पर लगातार सवाल उठे।
जाहिर है कि अब भाजपा सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय से लेकर सचिवालय और फील्ड में पुलिस व प्रशासनिक अफसरों की नए सिरे से तैनाती होगी। ऐसे में यूपी कैडर के दिल्ली में तैनात कई वरिष्ठ अफसरों की वापसी की अटकलें लगने लगी है। प्रशासनिक हल्कों में दखल रखने वाले और भाजपा के लिए काम करने वाले कुछ लोग अफसरों की पोस्टिंग को लेकर अभी से सक्रिय भी हो गये हैं। हालांकि, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य का कहना है कि सरकार की नीयत के हिसाब से अफसर काम करते हैं। अधिकांश अफसर अच्छे होते हैं लेकिन, उन्हें प्रभावशाली बुरे लोग अच्छा काम नहीं करने देते। भाजपा शुचिता और ईमानदारी को प्राथमिकता देगी और उसका जो एजेंडा है। संकल्प पत्र में किये गये हर वायदे को पूरा किया जाएगा।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।