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West Bengal Lok Sabha Election 2019: बंगाल में 80 फीसद मतदान

Lok Sabha Elections 2019. बंगाल की दो लोकसभा सीटों कूचबिहार और अलीपुरद्वार पर कड़ी सुरक्षा के बीच मतदान हुआ।

By Sachin MishraEdited By: Published: Wed, 10 Apr 2019 05:38 PM (IST)Updated: Thu, 11 Apr 2019 07:26 PM (IST)
West Bengal Lok Sabha Election 2019: बंगाल में 80 फीसद मतदान
West Bengal Lok Sabha Election 2019: बंगाल में 80 फीसद मतदान

कोलकाता, जेएनएन। बंगाल की दो सीटों कूचबिहारअलीपुरद्वार पर कड़ी सुरक्षा के बीच मतदान जारी है।मतदान केंद्रों पर मतदाताओं की लंबी-लंबी कतारें लगी हैं। एक मतदान केंद्र पर उत्तर बंगाल विकास मंत्री रवींद्रनाथ घोष और एक जवान के बीच किसी बात को लेकर बहस होने की भी खबर है। बंगाल में 80 फीसद मतदान हुआ। कूचबिहार में 80.11 व अलीपुरद्वार में 81.58 फीसद मतदान हुआ।

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अपरान्ह तीन बजे तक 68.65 व अलीपुरद्वार में 71.01 फीसद मतदान हुआ है। बंगाल में एक बजे तक 55.44 फीसद मतदान हुआ है। कूचबिहार 55.44 व अलीपुरद्वार में 56.45 फीसद मतदान हुआ है।

बंगाल में 11 बजे तक 38.8 फीसद मतदान हुआ है। अलीपुरद्वार में 43.20 और कूचबिहार में 37.85 फीसद मतदान। कूचबिहार के मरुगंज में भाजपा समर्थक पर हमले में तीन लोग घायल हो गए। इन्हें नजदीकी अस्पताल में दाखिल कराया गया है। इस बीच, कूचबिहार के 141 नंबर बूथ से वोटर कार्ड बरामद हुए हैं। बंगाल में नौ बजे तक 18.12 फीसद मतदान हुआ। कूचबिहार में नौ बजे तक 17.85 व अलीपुरद्वार 17.8 फीसद मतदान हुआ। इवीएम खराब होने की वजह से अलीपुरद्वार केंद्र के तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार दशरथ तिर्की ने दो घंटे बाद वोट डाला। मंत्री रवींद्रनाथ घोष ने कूचबिहार के पांच बूथों पर फिर से मतदान कराने की मांग की।

कूचबिहार में पुराने नेताओं के भाग्य का फैसला कुछ हद तक बिलकुल नए मतदाताओं के रुख पर निर्भर करेगा। ये ऐसे मतदाता हैं, जो पहली बार मतदान कर रहे हैं। देश में नागरिकता मिलने के बाद वे पहली बार अपने लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग कर रहे हैं। बेसक हम बात कर रहे हैं कूचबिहार में छीटमहल के बाशिंदों के बारे में जो तीन वर्ष पहले न तो भारत के नागरिक थे और न ही उन्हें बांग्लादेश की ही नागरिकता मिली थी।

आजादी के बाद से ही बांग्लादेश के कुछ भूखंड (छीटमहल) भारत में थे और भारत के कुछ छीटमहल बांग्लादेश में रहे। दोनों देशों में स्थित छीटमहल के वाशिदों के पास किसी भी देश की नागरिकता नहीं थी। लेकिन 31 जुलाई 2015 को भारत-बांग्लादेश के बीच सीमा समझौता के तहत छीटमहल का आदान-प्रदान हुआ। समझौते के तहत 51 छीटमहल भारत में आए और 111 छीटमहल बांग्लादेश में गए। अदला-बदली के बाद दोनों देशों के छीटमहल के वाशिंदों को नागरिकता प्रदान की गई। कूचबिहार के छह विधानसभा क्षेत्रों में फैले छोटे-छोटे 51 छीटमहल की आबादी करीब 60 हजार है जिसमें साढ़े तेरह हजार अधिकृत मतदाता हैं। अन्य के पास वोटर कार्ड नहीं होने के बावजूद नागरिकता प्रमाण पत्र के आधार पर उन्हें मतदान करने का अवसर मिलेगा। नागरिकता मिलने के बाद छीटमहल के 60 हजार लोगों में अधिकांश पहली बार आम चुनाव में भाग लेंगे और पुराने नेताओं का भाग्य निर्धारण करने में अहम भूमिका निभाएंगे। 

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कूचबिहार से इस बार परेशचंद्र अधिकारी सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस की टिकट पर भाग्य आजमा रहे हैं। अधिकारी का नाम पुराने नेताओं में शुमार हैं। वह वाममोर्चा सरकार में मंत्री रह चुके हैं। लोकसभा चुनाव की घोषणा होने से कुछ माह पहले वह फारवर्ड ब्लाक छोड़कर तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए हैं। तृणमूल कांग्रेस ने कूचबिहार में पुराने वामपंथी नेता अधिकारी पर दांव खेला है। कूचबिहार से नीतीश प्रमाणिक भाजपा के उम्मीदवार हैं। कांग्रेस ने प्रियाराय चौधरी को यहां से चुनाव मैदान में उतारा है। वाममोर्चा ने फारवर्ड ब्लाक के गोविंद राय को कूचबिहार से उम्मीदवार बनाया है। यहां चतुष्कोणीय लड़ाई है। लेकिन इन प्रमुख राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों की हार जीत कुछ हद तक कूचबिहार के करीब 18 लाख मतदाताओं में छीटमहल के 60 हजार नए नागरिकों पर निर्भर है। इसलिए सभी प्रमुख राजनीतिक पार्टियां छीटमहल के मतदाताओं को लुभाने में लगी है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी छीटमहल के बाशिंदों को नागरिकता प्रदान करने का श्रेय ले रही हैं। भाजपा भी पीछे नहीं है। कूचबिहार में चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह भी केंद्र सरकार की उपलब्धियों में छीटमहल के बाशिंदों को नागरिकता प्रदान करने का जिक्र कर चुके हैं। भाजपा नेताओं का मानना है कि छीटमहल के वाशिंदों की नागरिकता देने का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को है।

बताते चले कि छीटमहल के बाशिंदों को नागरिकता पाने और वोट डालने का अधिकार पाने में 70 वर्ष लग गए। दोनों देशों के बीच सीमा विवाद सुलझाने के लिए सबसे पहले 1974 में भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपने समकक्ष बंगबंधु शेख मुजिबुर्रहमान के साथ इसके लिए समझौता किया था। लेकिन किसी कारण वश वह समझौता लागू नहीं हुआ। कांग्रेस की नेतृत्व वाली केंद्र की यूपीए-2 की सरकार में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपने समकक्ष शेख हसिना के साथ करार कर इस समस्या का हल करने का प्रयास किया। लेकिन समझौता लागू कराने में उन्हें सफलता नहीं मिली। अंत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब बांग्लादेश दौरा पर गए तो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की उपस्थिति में शेख हसिना के साथ 31 जुलाई, 2015 को दोनों देशों के बीच सीमा समझौते को मूर्त रूप दिया गया और छीटमहल के बाशिंदों को नागरिकता के साथ वोट देने का अधिकार भी प्राप्त हुआ।

मुकाबला होगा दिलचस्प
बंगाल के उत्तरी हिस्से के दो संसदीय क्षेत्रों कूचबिहार और अलीपुरद्वार में मुकाबला दिलचस्प होगा। तृणमूल कांग्रेस 2009 और 2014 के प्रदर्शन को दोहराना चाहेगी जबकि भाजपा उसे पटखनी देनेे को तैयार है।


बंगाल की कूचबिहार (एससी) और अलीपुरद्वार (एसटी) लोकसभा सीटों पर पहले चरण के लिए वोट डाले जाएंगे। लेकिन बांग्लादेश की सीमा से सटे व चायबागान के लिए मशहूर इन दोनों सीटों से चलने वाली वोट रूपी हवा किस ओर बहेगी, यह तो बाद में पता चलेगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो तो भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने एक रैली इन इलाकों में की है। वहीं तीन अप्रैल से ही तृणमूल प्रमुख व मुख्यमंत्री ममता बनर्जी उत्तर बंगाल में डेरा जमाए हुए हैं। भाजपा तृणमूल से दोनों सीटें छीनने की कोशिश में है। इसका फायदा वाममोर्चा भी उठाने के चक्कर में है। हालांकि, कांग्रेस ने भी अपने प्रत्याशी दोनों सीटों पर उतारे हैं, लेकिन कोई बड़ा कांग्रेसी नेता प्रचार के लिए दिल्ली से नहीं पहुंचा।

कूचबिहार सीट
तृणमूल ने 2014 में जीते पार्थ प्रतिम राय को टिकट न देकर कुछ माह पहले फारवर्ड ब्लाक छोड़कर शामिल हुए परेश चंद्र अधिकारी को मैदान में उतारा है। वहीं भाजपा ने तृणमूल से छोड़कर आए निशिथ प्रमाणिक को प्रत्याशी बनाया है।

अलीपुरद्वार सीट
भाजपा ने स्थानीय विधायक व चायबागान श्रमिकों में अच्छी पकड़ रखने वाले जान बारला और तृणमूल ने 2014 में जीते अपने सांसद दशरथ तिर्के पर दांव लगाया है।

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