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नैनीताल-ऊधमसिंह नगर सीट पर पहाड़ व भाबर के लोग तय करते हैं प्रत्‍याशियों का भाग्‍य

विविधता में एकता की बानगी पेश करती है नैनीताल-ऊधमसिंह नगर लोकसभा सीट। यहां पहाड़ व भाबरी क्षेत्र के वोटर उम्‍मीदवारों का भाग्‍य तय करते हैं ।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Tue, 12 Mar 2019 12:58 PM (IST)Updated: Tue, 12 Mar 2019 12:58 PM (IST)
नैनीताल-ऊधमसिंह नगर सीट पर पहाड़ व भाबर के लोग तय करते हैं प्रत्‍याशियों का भाग्‍य
नैनीताल-ऊधमसिंह नगर सीट पर पहाड़ व भाबर के लोग तय करते हैं प्रत्‍याशियों का भाग्‍य

नैनीताल, गोविंद सनवाल : विविधता में एकता की बानगी पेश करती है नैनीताल-ऊधमसिंह नगर लोकसभा सीट। यहां पहाड़ व भाबरी क्षेत्र के वोटर उम्‍मीदवारों का भाग्‍य तय करते हैं तो तराई के वोटर इस संग्राम में निर्णायक के तौर पर उभरकर आते हैं। विश्‍वप्रसि‍द्ध पर्यटक नगरी नैनीताल, कॉर्बेट पार्क रामनगर, कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि पंतनगर और रुद्रपुर, सितारगंज और काशीपुर आैद्योगिक एरिया यहां की बडी पहचान हैं। दो जिले, 15 विधानसभा क्षेत्र वाली नैनीताल सीट के करीब 19 लाख वोटर इस बार उम्‍मीदवारों के भाग्‍य का फैसला करेंगे।
सरोवरी नगरी नैनीताल के दूरस्‍थ क्षेत्र ओखलकांडा से लेकर एक तरफ नेपाल सीमा से सटा इलाका खटीमा और दूसरी ओर उप्र से सटा काशीपुर का क्षेत्र नैनीताल सीट का मिलाजुला अंदाज बयां कर देता है। राज्‍य गठन के बाद तेजी से हुए औद्योगिक विस्‍तार ऊधमसिंह नगर जिले की पहचान ही बदल डाली। सिडकुल रुद्रपुर, सितारगंज व पंतनगर में स्‍थापित 900 से अधिक इकाइयां जिले के औद्योगिक विकास को बताती हैं। हजारों लोगों का यहां रोजगार मिला है। नैनीताल जिले की दो विस सीट  नैनीताल और भीमताल पूर्णतया पहाड़ी क्षेत्र की हैं तो हल्‍द्वानी, रामनगर, लालकुआं एवं कालाढूंगी मैदान यानी भाबर का इलाका है। वहीं ऊधमसिंह नगर जिले की सभी नौ सीटें तराई बेल्‍ट में गिनी जाती हैं। 25 लाख की आबादी वाली इस सीट का भूगोल 2017 की मतदाता गणना के लिहाज से देखें तो नैनीताल जिले में 7 लाख 12 हजार मतदाता हैं तो ऊधमसिंह नगर जिले में 10 लाख 20 हजार। ऐसे में अधिक विस क्षेत्र व अधिक वोटर संख्‍या के लिहाज से भी इस सीट में तराई का दबदबा नजर आता रहा है।

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जिला नैनीताल के विधानसभा क्षेत्र, दल व विधायक
नैनीताल- भाजपा - श्री संजीव आर्य
भीमताल- निर्दलीय- श्री राम सिंह कैंड़ा
हल्द्वानी - कांग्रेस- डॉ. इंदिरा हृदयेश
लालकुआं- भाजपा- श्री नवीन दुम्का
कालाढूंगी- भाजपा- श्री बंशीधर भगत
रामनगर-  भाजपा- श्री दीवान सिंह बिष्ट

जिला ऊधमसिंह नगर के विधानसभा क्षेत्र, दल व विधायक
बाजपुर- भाजपा- श्री यशपाल आर्य
गदरपुर- भाजपा - श्री अरविंद पांडेय
जसपुर- कांग्रेस - श्री  आदेश चौहान
काशीपुर- भाजपा - हरभजन सिंह चीमा
खटीमा- भाजपा - श्री पुष्कर धामी
किच्छा-  भाजपा-  श्री राजेश शुक्ला
नानकमत्ता- भाजपा- श्री प्रेम सिंह राणा
रुद्रपुर- भाजपा- श्री राजकुमार ठुकराल
सितारगंज- भाजपा- श्री सौरभ बहुगुणा

जनसंख्या की दृष्टि से लोकसभा क्षेत्र
नैनीताल-ऊधमसिंह लोकसभा क्षेत्र में की जनसंख्या इस समय 25 लाख है। यहां की ग्रामीण आबादी 63.11 फीसद है। जबकि शहरी जनसंख्या का आंकड़ा 36.89 फीसद है। यहां पर अनुसूचित जाति के लोगों का हिस्सा 16.08 फीसद है, जबकि अनुसूचित जनजाति की आबादी 5.17 फीसद है।

मतदाताओं की स्थिति
नैनीताल-उधमसिंह नगर सीट पर 2014 के लोकसभा चुनाव में 16 लाख 10 हजार 810 मतदाता थे. इसमें से पुरुष मतदाता 8 लाख 57  हजार 781 जबकि महिला वोटरों की संख्या सात लाख 53 हजार 29 थी. 2014 में यहां मतदान का प्रतिशत 68.38 था. 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में यहां मतदाताओं की संख्या बढ़कर 17 लाख 31 हजार 766 हो गई है। वर्तमान में कुल वोटर 1889827 हैं। इसमें से 995281 पुरुष और 894546 महिला वोटर हैं। थर्ड जेंडर की संख्या 28 है।

जब पीएम बनने की कतार में थी एनडी तिवारी
लोकसभा क्षेत्र नैनीताल-ऊधम सिंह नगर से वर्तमान में भाजपा के सांसद भगत सिंह कोश्यारी हैं। उन्होंने 2014 के चुनाव में कांग्रेस केसी सिंह बाबा को हराया था। केसी सिंह बाबा दो बार इस सीट से सांसद रह चुके थे। वैसे यह सीट पहले तब चर्चा में आई थी, जब 1991 में भाजपा के बलराज पासी ने कांग्रेस के दिग्गज नेता नारायण दत्त तिवारी को हराया था। तब चर्चा थी कि तिवारी प्रधानमंत्री बन सकते हैं। वर्ष 1952 से 2008 तक नैनीताल लोकसभा क्षेत्र था। वर्ष 2008 में परिसीमन के बाद इसे नैनीताल-ऊधमसिंह नगर के नाम से जाना गया। इससे पूर्व के इतिहास को देखें तो आजादी के बाद से ही यह सीट कुछ खास रही है। यहां दिग्‍गज भी चुनाव हारे हैं तो नए चेहरों को भी जनता ने मौका दिया है। भारत रत्‍न पंडित गोविंद बल्‍लभ पंत की यह कर्मस्‍थली रही है। यही वजह भी रही कि आजादी के बाद तीन दशक तक सीट उनके परिवार में ही रही। वर्ष 1951 व 1957 में लगातार दो बाद उनके दामाद सीडी पंत नैनीताल सीट से सांसद रहे। 1962, 67 व 71 में पंत के पुत्र केसी पंत ने यहां से हैट्रिक बनाते हुए कांग्रेस को मजबूत किया। 1977 में भारतीय लोक दल के भारत भूषण ने पंत परिवार के विजय रथ को रोका। इसके बाद 1980 में एनडी तिवारी ने भारत भूषण को हराया। 1984 में तिवारी अपने करीब सत्‍येंद्र चंद्र गुडि़या को यहां से जिता ले गए। 1989 में जनता दल के डाॅ महेंद्र पाल जीते। बड़ा बदलाव दिखा 1991 में, जब राम लहर चल रही थी और भाजपा के बलराज पासी ने दिग्‍गज एनडी को हरा दिया। फिर 1998 में भाजपा की इला पंत ने एनडी तिवारी को शिकस्‍त दे अपनी पारिवारिक सीट को बचा लिया। 2002 में डॉ महेंद्र पाल ने कांग्रेस से इस सीट पर जीत दर्ज की।
इस क्षेत्र में दो जिले 15 विधानसभा सीटें हैं। इसमें गोविंद बल्लभ पंत कृषि एव प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर, हवाई अड्डा पंतनगर, आइआइएम काशीपुर, सिडकुल रुद्रपुर, राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी, उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय हल्द्वानी, कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल जैसे बड़े संस्थान स्थापित है।

2014 का लोकसभा चुनाव
वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में राज्य के पूर्व सीएम भगत सिंह कोश्यारी ने 2 लाख 84 हजार 717 वोटों से जीत हासिल की। इस चुनाव में भगत सिंह कोश्यारी को 6 लाख 36 हजार 769 वोट मिले थे। जबकि कांग्रेस के केसी सिंह बाबा को तीन लाख 52 हजार 52 वोट मिले थे।

नैनीताल के गुलदस्‍ते में समाज का हर रंग

नैनीताल-ऊधमसिंह नगर लोकसभा क्षेत्र राज्य के दो अहम जिलों में है। इसमें दो विधानसभा क्षेत्रों का हिस्सा पर्वतीय क्षेत्र का है और बाकी हिस्सा मैदानी। पलायन के बाद कुमाऊं के पर्वतीय क्षेत्रों के लोग इन्हीं दो जिलों के मैदानी शहरों में बसे हैं। 19 लाख वोटरों में इनकी संख्या लगभग पांच लाख है। जातीय आधार पर देखें तो लोकसभा क्षेत्र की आबादी 25 लाख है। इसमें 15 फीसद मुस्लिम हैं। 17-18 फीसद ओबीसी और 15 से 18 फीसद ब्राह्मण और क्षत्रिय हैं। इसके अलावा अन्य जातियों के लोग हैं। खास बात यह है कि हल्‍द्वानी एवं रुद्रपुर दो ऐसे बड़े शहर हैं जो पलायन का प्रमुख अड़़डा भी माने जाते हैं। पर्वतीय जिलों से मैदान में आकर बसने वालों की प्राथमिकता यही दो शहर हैं। ऐसे में नैनीताल व ऊधमसिंह नगर दोनों जिलों में जातिगत व क्षेत्र के आधार पर वोटर भी मिश्रित है। पहाड़ और मैदान का विषय भले ही खुले रूप में यहां सामने न आता हो, लेकिन राजनीति के लिहाज से चुनाव के वक्‍त यह फैक्‍टर अंदरूनी तौर से अधिक मुखर होने लगता है। वोटरों की संख्‍या के लिहाज से मुस्लिम मत भी यहां निर्णायक रहते हैं। बावजूद इसके ब्राहमण एवं क्षत्रिय वर्ग प्रतिनिधित्‍व के लिहाज से इस सीट पर काबिज रहा है।

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