Election 2024: बड़ी पहचान के लिए सपा को दिखानी होगी ताकत, 35 सांसद तक जिताने वाली पार्टी अब तीन पर अटकी
पांच वर्ष तक पूर्ण बहुमत की सरकार चलाने के बाद अखिलेश ने 2017 के विस चुनाव में कांग्रेस से समझौता कर 311 सीटों पर चुनाव लड़ा पर सपा मात्र 47 सीटों पर सिमट कर रह गई। 2019 के लोस चुनाव में बसपा की बैसाखी का सहारा लिया। 80 में से मात्र 37 सीटों पर चुनाव लड़ा और महज पांच सीटें ही जीत सकी। दो सीटें उपचुनाव में गंवा चुकी है।
शोभित श्रीवास्तव, लखनऊ। चार अक्टूबर, 1992 में समाजवादी पार्टी के गठन के चार वर्ष बाद ही पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव देश के रक्षा मंत्री बने और राष्ट्रीय राजनीति में बड़ी पहचान बनकर उभरे। इटावा के छोटे से गांव सैफई से निकलकर मुलायम ने ऐसी साइकिल चलाई कि पार्टी प्रदेश की सत्ता के शीर्ष पर पहुंची और राष्ट्रीय राजनीति में भी पहचान बनाई। 2004 के लोस चुनाव में 80 में से 35 सांसदों को जिताने वाली सपा मात्र तीन पर अटक गई है। उसे राष्ट्रीय राजनीति में जगह बनाने को जूझना पड़ रहा है। खोया जनाधार पाने के लिए उसे कभी ‘हाथी’ तो कभी ‘पंजे’ का सहारा लेना पड़ रहा है।
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पिछड़ों के सहारे ताकत बनी सपा
1992 में बनी सपा अन्य पिछड़ा वर्ग व मुस्लिम मतदाताओं के सहारे प्रदेश की प्रमुख राजनीतिक ताकत बन गई। पार्टी गठन के करीब एक वर्ष बाद चार दिसंबर, 1993 को मुलायम सिंह दूसरी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। 29 अगस्त, 2003 को तीसरी बार। इससे पहले केंद्रीय राजनीति में 1996 में उनका प्रवेश हुआ।
एचडी देवगौड़ा की सरकार में रक्षामंत्री बने। सैनिकों के शव को युद्ध क्षेत्र से वापस लाने की प्रथा उन्होंने ही शुरू की थी। वर्ष 2012 के विस चुनाव में मुलायम सिंह की ही बदौलत 224 सीटों पर सफलता प्राप्त कर सपा सरकार बनी। मुलायम ने इस बार खुद के बजाय बेटे अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनाया।
अखिलेश की कमान में सपा का हाल
पांच वर्ष तक पूर्ण बहुमत की सरकार चलाने के बाद अखिलेश ने 2017 के विस चुनाव में कांग्रेस से समझौता कर 311 सीटों पर चुनाव लड़ा, पर सपा मात्र 47 सीटों पर सिमट कर रह गई। 2019 के लोस चुनाव में बसपा की बैसाखी का सहारा लिया। 80 में से मात्र 37 सीटों पर चुनाव लड़ा और महज पांच सीटें ही जीत सकी। इसमें से दो सीटें सपा उपचुनाव में गंवा भी चुकी है।
2022 के विस चुनाव में पार्टी ने छोटे दलों का साथ लिया और 347 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारकर 111 सीटों पर सफलता पाई। इस चुनाव में उसे अब तक के सबसे अधिक 32.06 प्रतिशत वोट मिले। अब सपा को छोड़कर रालोद व सुभासपा भाजपा के पाले में जा चुके हैं, वहीं सपा इस लोस चुनाव में कांग्रेस का सहारा ले रही है। सपा ने उसको 17 सीटें दी हैं।
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