Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    यहां रास नहीं आते दल बदलने वाले, अटल बिहारी की भतीजी को भी मिली थी शिकस्त; अब इस प्रत्याशी पर निगाहें

    Updated: Fri, 05 Apr 2024 08:48 AM (IST)

    Lok Sabha Election 2024 छत्तीसगढ़ में दल बदलने वाले नेताओं को हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस और भाजपा ने नेताओं को मौका जरूर दिया लेकिन जनता ने इन्हें स्वीकार नहीं किया। करुणा शुक्ला और विद्याचरण शुक्ल ने दल बदलकर चुनाव लड़ा मगर दोनों ही नेताओं को हार का सामना करना पड़ा था। अब इस चुनाव में सबकी नजर चिंतामणी महाराज पर है।

    Hero Image
    लोकसभा चुनाव 2024: अटल बिहारी वाजपेयी और करुणा शुक्ला। (फाइल फोटो)

    जेएनएन, रायपुर। छत्तीसगढ़ की जनता ने दल बदलने वाले उम्मीदवारों को हमेशा ही नकारा है। फिर यह मायने नहीं रखता है कि नेता का कद कितना बड़ा है। दल बदलने की वजह से करुणा शुक्ला और दिग्गज कांग्रेस नेता विद्याचरण शुक्ला तक को हार का सामना करना पड़ा। करुणा शुक्ला दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी थीं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जब विद्याचरण शुक्ल ने छोड़ी कांग्रेस

    कांग्रेस के कद्दावर नेता विद्याचरण शुक्ल एक समय सीएम पद के दावेदार थे। मगर उन्हें यह पद नहीं मिला। इससे खफा विद्याचरण शुक्ल ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) का दामन थाम लिया था। मगर यहां भी वे ज्यादा दिन नहीं रुके। 2004 में उन्होंने भाजपा ज्वाइन कर ली थी।

    अजीत जोगी ने दी थी शिकस्त

    भाजपा में शामिल होने का फायदा विद्याचरण शुक्ल को टिकट के रूप में मिला। भाजपा ने महासमुंद लोकसभा क्षेत्र से उन्हें चुनाव मैदान में उतारा। मगर अजीत जोगी के सामने उनकी नहीं चली और एक लाख 18 हजार 500 मतों से हार का सामना करना पड़ा था।

    2014 में करुणा ने भाजपा को कहा अलविदा

    अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी करुणा शुक्ला ने 2004 में लोकसभा चुनाव जीता था। वे जांजगीर लोकसभा क्षेत्र से सासंद बनी थीं। मगर अगला चुनाव उनके खातिर शुभ नहीं रहा। इसमें उनको शिकस्त का सामना करना पड़ा था। बाद में 2014 में करुणा ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को अलविदा कह दिया और कांग्रेस का हाथ थाम लिया।

    मोदी लहर में नहीं जीत सकीं थीं करुणा

    भाजपा छोड़ने पर कांग्रेस ने करुणा शुक्ला को 2014 लोकसभा चुनाव में उतारा था। इस बार वे बिलासपुर लोकसभा सीट से अपनी किस्मत आजमा रही थीं। मगर मोदी लहर में उन्हें अपनी हार से संतोष करना पड़ा था। कोरोना काल में करुणा शुक्ला का निधन हो चुका है। राजनांदगांव से वे पूर्व सीएम रमन सिंह के खिलाफ भी चुनाव लड़ चुकी थीं।

    चिंतामणी महाराज पर सबकी निगाहें

    2013 में भाजपा छोड़कर चिंतामणी महाराज ने कांग्रेस का हाथ थाम लिया था। इस बीच कांग्रेस ने उन्हें लुंड्रा और सामरी विधानसभा क्षेत्र से दो बार विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाया। दोनों ही चुनावों में चिंतामणी महाराज को सफलता मिली थी।

    चुनाव से जुड़ी और हर छोटी-बड़ी अपडेट के लिए यहां क्लिक करें

    मगर 2023 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने उनका टिकट काट दिया। इससे खफा महाराज ने भाजपा का दामन थाम लिया। अब लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सरगुजा संसदीय क्षेत्र से चिंतामणि महाराज को उम्मीदवार घोषित किया है। अब सबकी निगाहें चिंतामणी महाराज पर हैं।

    यह भी पढ़ें: अगर नहीं है वोटर कार्ड तो भी कर सकेंगे मतदान, जानिए कैसे; गलत फोटो लगी होने पर करें ये काम

    यह भी पढ़ें: भीषण गर्मी के बीच होंगे चुनाव, लू से सावधान रहें लोग; केंद्र का राज्यों को योजना बनाने का निर्देश