Aligarh Lok Sabha constituency: मुस्लिम ही नहीं, नरेंद्र मोदी और कल्याण सिंह इफेक्ट भी है निर्णायक यहां
Aligarh Lok Sabha constituency यहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है पिछले चुनाव में भाजपा के सतीश गौतम को 48 फीसदी के साथ एकतरफा जीत मिली थी। जानें इस बार का गणित...
नई दिल्ली, जेएनएन। तालों के निर्माण और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के लिए चर्चित अलीगढ़ पर इन दिनों सबकी निगाहें टिकी हैं। साफ तौर पर इसका कारण लोकसभा चुनाव है। 18 अप्रैल को हुए दूसरे दौर के लोकसभा चुनाव में यूपी की आठ सीटों में सबसे अधिक चर्चा अलीगढ़ की है। यहां के मतदाताओं में सबसे अधिक संख्या मुस्लिमों की है, इसके बावजूद 2014 की मोदी लहर में भाजपा के ब्राह्मण चेहरे सतीश गौतम को 48 फीसदी वोटों के साथ एकतरफा जीत मिली थी। गौर करने वाली बात यह कि उनके खिलाफ एंटी इनकमबैंसी होने के बावजूद इस बार भी उन्हीं को टिकट दिया गया है। हालांकि, जाति समीकरण उनके पक्ष में नहीं दिख रहे हैं।
ये हैं प्रमुख प्रत्याशी यहां से
भाजपा सांसद सतीश गौतम के अलावा यहां से बसपा और सपा के संयुक्त उम्मीदवार डॉ. अजित बालियान, कांग्रेस के बिजेंद्र सिंह चौधरी, आप के सतीश चंद्र शर्मा और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के दीपक चौधरी यहां से मैदान में हैं।
इस बार का क्या है समीकरण
स्थानीय लोगों की मानें तो अभी भी नरेंद्र मोदी यहां के मतदाताओं में काफी लोकप्रिय हैं। इसका लाभ भाजपा प्रत्याशी हो मिल सकता है। हालांकि, ब्राह्मण होने के कारण भी गौतम के खिलाफ ओबीसी समेत पिछड़े वर्गों में नाराजगी है। इस बार गौतम के खिलाफ माहौल बन रहा था और पिछड़े वर्ग से प्रत्याशी बनाने की मांग जोर पकड़ी थी, लेकिन आखिरकार ऐसा नहीं हो सका। हालांकि, आशंका मुस्लिमों के साथ पिछड़ी जातियों के अधिकांश मतों के बसपा के पक्ष में जाने की भी है।
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कल्याण इफेक्ट भी करेगा काम...?
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और राजस्थान के मौजूदा गवर्नर कल्याण सिंह का अभी भी इस क्षेत्र में प्रभाव है। उनकी जाति लोध की संख्या यहां अच्छी-खासी है। कभी कल्याण सिंह के शिष्य रहे गौतम के संबंध पिछले कुछ समय से खराब बताए जा रहे हैं। कल्याण सिंह के बेटे राजबीर सिंह उन्हें पसंद नहीं करते हैं। वैसे तो पार्टी के शीर्ष नेताओं ने इन संबंधों को पटरी पर लाने की कोशिशें की हैं, लेकिन 23 मई के नतीजे ही बताएंगे कि दोनों के संबंधों की खटास कहां तक दूर हुई है।
ब्राह्मण और राजपूतों की अच्छी संख्या
बुद्धिजीवियों की धरती मानी जाने वाली अलीगढ़ में ब्राह्मण के साथ ही राजपूतों की संख्या भी अच्छी है। चंद महीने पहले ही राजपूत समुदाय से आने वाले बसपा के बड़े नेता जयवीर सिंह भाजपा में शामिल हुए हैं। ऐसे में ब्राह्मण के साथ राजपूतों के वोट भी गौतम को मिल सकते हैं। जयवीर की पत्नी राजकुमारी चौहान 2009 में बसपा के टिकट पर अलीगढ़ से चुनी गई थीं।
मुस्लिम हैं निर्णायक यहां
अलीगढ़ लोकसभा क्षेत्र में मुस्लिमों की संख्या 4.5 लाख बताई जाती है। जबकि लोध मतदाताओं की संख्या लगभग 2.5 लाख है। जाटों की भी इस इलाके में अच्छी संख्या है। इसे देखते हुए ही सपा-बसपा-आरएलडी गठबंधन के तहत बसपा प्रत्याशी और जाट समुदाय से ताल्लुक रखने वाले अजीत बालयान को यहां से उतारा गया है। हालांकि, स्थानीय लोगों के अनुसार, बालयान बाहरी हैं और यहां नहीं रहते हैं। कांग्रेस ने यहां से बीजेंद्र सिंह को उम्मीदवार बनाया है, जो जाट समुदाय से आते हैं। इस तरह मुख्य मुकाबला भाजपा के गौतम और बसपा के बालयान के बीच है। यहां पर कोली जाति के लोगों की संख्या भी अच्छी है, जिनमें से अधिकांश बसपा के साथ बताए जाते हैं।
क्या है जमीनी समीकरण यहां...
अलीगढ़ में करीब 20 फीसद मुस्लिम आबादी और 80 फीसद हिंदू हैं। इस लोकसभा क्षेत्र के तहत कुल पांच विधानसभाएं- खैर, बरौली, अतरौली, कोल और अलीगढ़ आती हैं। 2017 में हुए विधानसभा चुनावों में ये सभी पांचों सीटें भाजपा के खाते में गई थीं। इससे पहले 2014 के चुनाव में भाजपा के सतीश गौतम को 48 फीसदी वोटों के साथ जोरदार जीत मिली थी और बसपा के अरविंद कुमार सिंह को 21 फीसदी वोट ही मिले थे। इस चुनाव में सपा तीसरे और कांग्रेस चौथे नंबर पर रही थी।