Updated: Wed, 24 Sep 2025 02:43 PM (IST)
पूर्णिया जिले के कसबा विधानसभा क्षेत्र में राजनीतिक माहौल गरमा गया है। इंडी गठबंधन शांत है लेकिन राजग की गणित उलझी हुई है। कांग्रेस को रोकने के लिए राजग को घर की उलझन से जूझना होगा। भाजपा नेता की वापसी और हम की दावेदारी से राजग की तैयारी में बिखराव दिख रहा है।
प्रकाश वत्स, पूर्णिया। जिले के कसबा विधानसभा क्षेत्र में राजनीतिक तापमान अभी से बढ़ा हुआ है। इंडी गठबंधन में तो खास हलचल नहीं है, लेकिन राजग की गणित पूरी तरह अभी भी उलझी हुई है। लगातार तीन बार से जीत रही कांग्रेस के विजय रथ को रोकने की जुगत में घर का उलझन राजग के लिए गत चुनाव की तरह की बड़ी बाधा बन सकती है।
विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
इसके संकेत अभी से मिलने लगे हैं। गत चुनाव में बागी के रुप में लोजपा-आर से मैदान में उतर भाजपा के पूर्व विधायक ने राजग के मंसूबे पर न केवल पानी फेर दिया था, बल्कि राजग से हम के उम्मीदवार को तीसरे स्थान से संतोष करना पड़ा था।
बागी भाजपा के पूर्व विधायक प्रदीप कुमार दास की पार्टी में वापसी हो चुकी है और वे लगातार क्षेत्र में सक्रिय हैं। दैनिक जागरण से बातचीत में उन्होंने दावा किया कि पार्टी निश्चित रुप से उन्हें मैदान में उतारेगी और वे चुनाव की तैयारी में जुटे हुए हैं।
गत चुनाव में हम के हिस्से में सीट रहने व इस बार भी हम की मजबूत दावेदारी पर उनका कहना है कि यह फैसला अभी होना बाकी है। आगे जो फैसला होगा, फिर देखा जाएगा। उनका जनसंपर्क जिस अंदाज में चल रहा है, उसमें उनके अंतिम निर्णय को लेकर राजग में संदेह कायम है।
इधर गत चुनाव में इस सीट के लिए हम की जिद फिर उस जिद की जीत काफी चर्चा में रही थी। जदयू वहां अपनी तैयारी कर रही थी, लेकिन अंतत: पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के कसबा सीट लेने के निर्णय पर जदयू पीछे हट गई थी।
HAM से पार्टी के जिलाध्यक्ष राजेंद्र यादव मैदान में उतरे थे। चुनाव में हम सहित राजग नेताओं ने पूरा जोर भी लगाया था, लेकिन सफलता नहीं मिल पायी थी। इस सीट को लेकर हम इस बार भी पूरी तरह निश्चिंत है। गत चुनाव में पार्टी के प्रत्याशी रहे राजेंद्र यादव लगातार क्षेत्र में सक्रिय रहे हैं।
और तो और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम की हाल में जिले में हुई एक मात्र जनसभा भी कसबा में ही हुई है। यह इस बात का संकेत है कि हम इस बार भी मजबूत दावेदारी करेगी। इस चलते अभी राजग की वहां चुनाव तैयारी भी अलग-अलग धारा में बंटी हुई साफ दिख रही है।
35 पंचायत वाले विधानसभा क्षेत्र में वोट समीकरण बड़ा फैक्टर कसबा विधानसभा में कसबा प्रखंड के 12 पंचायत सहित एक नगर परिषद, जलालगढ़ पंचायत के सभी 10 पंचायत, श्रीनगर प्रखंड के सभी 10 पंचायत के अलावा के नगर प्रखंड का तीन पंचायत शामिल हैं।
कैसा है चुनावी ट्रेंड?
इस विधानसभा क्षेत्र में चुनावी ट्रेंड में अब भी विकास बहुत प्रभावी फैक्टर नहीं बन पाया है। वोट समीकरण को बारिक से साधने वाले यहां बाजीगर होते हैं। 14 विधानसभा चुनावों में सबसे अधिक सफलता कांग्रेस को मिली है। सन 1967 से 1977 तक लगातार नौ बार कांग्रेस विजयी रही है।
कांग्रेस ने 2010, 2015 और 2020 में लगातार तीन बार जीत दर्ज की। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से यहां प्रदीप कुमार दास ने 1995, 2000 और अक्टूबर 2005 में जीत हासिल की, जबकि जनता दल ने 1990 में और समाजवादी पार्टी ने फरवरी 2005 में जीत दर्ज की थी।
उस समय वर्तमान विधायक मु. अफाक आलम समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार थे, जो अब कांग्रेस में हैं। 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी मु. अफाक आलम ने लोजपा के प्रत्याशी प्रदीप कुमार दास को 17,278 मतों के अंतर से हराया था।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।