औरंगाबाद में बुरे सपने को भूला नए सवेरे की तैयारी में NDA, उपेंद्र कुशवाहा के साथ आने से बदलेगा समीकरण?
औरंगाबाद में विधानसभा चुनाव की तैयारी जोरों पर है। एनडीए कार्यकर्ता सम्मेलन कर रहा है वहीं महागठबंधन वोटर अधिकार यात्रा से मतदाताओं को जोड़ने में जुटा है। 2020 के चुनाव में एनडीए का प्रदर्शन निराशाजनक रहा था लेकिन इस बार उपेंद्र कुशवाहा के साथ आने से समीकरण बदलने की उम्मीद है। एनडीए औरंगाबाद की सभी छह सीटों पर परिदृश्य बदलने की तैयारी में है।

सनोज पांडेय, औरंगाबाद। विधानसभा चुनाव की तैयारी में सभी दल के कार्यकर्ता लगे हैं। एनडीए का विधानसभा कार्यकर्ता सम्मेलन चल रहा है तो महागठबंधन वोटर अधिकार यात्रा से मतदाताओं को जोड़ने का प्रयास कर रही है।
औरंगाबाद में इस बार बुरे सपने को भूला एनडीए परिदृश्य बदलने की तैयारी में है। विधानसभा चुनाव-2020 एवं बीते लोकसभा चुनाव में एनडीए का औरंगाबाद में खाता नहीं खुला था। स्थिति यह कि रफीगंज एवं ओबरा विधानसभा क्षेत्र में एनडीए प्रत्याशी संघर्ष से बाहर हो गए थे।
दोनों जगहों पर प्रत्याशी तीसरे नंबर पर चले गए थे। गोह, ओबरा एवं नबीनगर में हार का अंतर 20 हजार से अधिक था। बीते विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय लोक मोर्चा बहुजन समाज पार्टी से समझौता कर अलग चुनाव लड़ी थी, जिस कारण एनडीए को नुकसान हुआ था।
इस बार राष्ट्रीय लोक मोर्चा के नेता उपेंद्र कुशवाहा एनडीए के साथ हैं। उनके एनडीए में आने से समीकरण पर प्रभाव पड़ा है। काराकाट लोकसभा क्षेत्र से वे चुनाव लड़ते रहे हैं, जिस कारण उनका प्रभाव औरंगाबाद के सभी छह विधानसभा क्षेत्रों पर पड़ता है।
औरंगाबाद विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो यहां महागठबंधन के आनंद शंकर सिंह एवं एनडीए के रामाधार सिंह से सीधा मुकाबला था। कांग्रेस के आनंद शंकर ने संघर्षपूर्ण मुकाबले में भाजपा के रामाधार सिंह को 2,243 मतों से पराजित किया था।
रफीगंज विधानसभा क्षेत्र में राजद के मो. नेहालुद्दीन 63,325 मत लाकर चुनाव जीत गए थे। यहां एनडीए प्रत्याशी अशोक कुमार सिंह को मात्र 26,833 मत मिले थे।
इसी तरह कुटुंबा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम ने हम के श्रवण भुइयां को पराजित किया था। राजेश को 50,822 एवं श्रवण को 34,169 मत मिले थे। राजेश ने एनडीए प्रत्याशी को 16,653 मतों से पराजित किया था।
गोह में 35,618 मतों से हार गए थे मनोज
गोह विधानसभा क्षेत्र में राजद को बड़ी जीत मिली थी। यहां से महागठबंधन के प्रत्याशी भीम कुमार सिंह 85,410 मत लाकर चुनाव जीत गए थे। एनडीए के मनोज शर्मा को 45,792 मत मिले थे। भीम ने मनोज को 35,618 मतों से पराजित किया था।
रालोसपा से चुनाव लड़ रहे जदयू के पूर्व विधायक डा. रणविजय कुमार को 44,050 मत मिले थे। ओबरा में एनडीए प्रत्याशी तीसरे नंबर पर चले गए थे। यहां राजद के पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री कांति सिंह के पुत्र ऋषि कुमार ने लोजपा (रामविलास) के डॉ. प्रकाश चंद्रा को 22,668 मतों से पराजित किया था।
ऋषि को 63,662 एवं डा. प्रकाश चंद्रा को 40,994 मत मिले थे। एनडीए में जदूय से चुनाव लड़ रहे सुनील कुमार को 25,234 मत से संतोष करना पड़ा था।
नबीनगर में 20 हजार से अधिक मतों से मिली थी हार
नबनीगर विधानसभा क्षेत्र से राजद के विजय कुमार सिंह उर्फ डबलू ने एनडीए के वीरेंद्र कुमार सिंह को 20,121 मतों से पराजित किया था। राजद प्रत्याशी को 64,943 एवं जदयू प्रत्याशी को 44,822 मत मिले थे। ट
रालोसपा यानि उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी से चुनाव लड़ रहे कुटुंबा प्रखंड प्रमुख धर्मेंद्र कुमार को 23,490 मत मिले थे। इस बार औरंगाबाद की सभी छह सीटों पर एनडीए परिदृश्य बदलने की तैयारी में लगी है।
एनडीए के नेता लगातार दौरा कर रहे हैं। पांच दल एक साथ चुनाव लड़ेंगे जिसका लाभ मिल सकता है। वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में लोजपा (रामविलास) ने जदयू को यहां बड़ा नुकसान पहुंचाया था।
एक भी सीट नहीं जीतने दिया था। इस बार लोजपा, हम एवं रालोमो के साथ आने से जिले का राजनीतिक परिदृश्य बदल सकता है।
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