जागरण संपादकीय: सैन्य कार्रवाई पर चर्चा, सेना और सुरक्षा से जुड़े मामलों में संभलकर रहना जरूरी
विपक्ष को सुप्रीम कोर्ट का दृष्टिकोण भी रास नहीं आ रहा है। यह तब है जब चुनाव आयोग ने पाया कि बिहार में कई लाख लोग गलत तरीके से मतदाता बने हुए हैं। उसे तो यह भी लग रहा है कि घुसपैठिए भी वोटर बन गए हैं। इस सबके बावजूद विपक्ष हंगामा कर रहा है। वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले की भी प्रतीक्षा नहीं करना चाहता।
पहलगाम में दिल दहलाने वाले आतंकी हमले के जवाब में पाकिस्तान के खिलाफ भारत की साहसिक सैन्य कार्रवाई आपरेशन सिंदूर पर संसद में चर्चा होने में कोई हर्ज नहीं, लेकिन प्रश्न यह है कि आखिर विपक्ष अपने सवालों के जरिये सरकार से क्या जानने की कोशिश करेगा? विपक्ष के सवाल कुछ भी हों, सरकार चाहकर भी पाकिस्तान को पस्त करने वाली इस सैन्य कार्रवाई के बारे में सब कुछ नहीं बता सकती।
कोई देश किसी अन्य देश में अपनी सैन्य कार्रवाई के मामले में सीमित जानकारी ही दे सकता है। सभी जिम्मेदार देश ऐसा करते हैं। इन देशों के प्रमुख विपक्षी दल भी सेना और सुरक्षा से जुड़े मामलों में संभलकर ही सवाल-जवाब करते हैं, लेकिन भारत में कुछ विपक्षी दल अपने संकीर्ण राजनीतिक फायदे के लिए कुछ भी कहने-पूछने को उतावले रहते हैं।
हाल के वर्षों में यह उतावलापन कुछ ज्यादा ही बढ़ा है। सबसे अधिक उतावलापन मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस दिखाती है। इसकी अनदेखी नहीं कर सकते कि आपरेशन सिंदूर के समय और उसके बाद विपक्षी दलों और विशेष रूप से कांग्रेस के कई नेताओं ने कैसे-कैसे सवाल किए? अनेक सवाल तो पाकिस्तान और चीन के साथ अन्य भारत विरोधी ताकतों को रास आने वाले थे।
पाकिस्तान, चीन ने इन बयानों को अपने पक्ष में भुनाया भी। यदि आपरेशन सिंदूर पर संसद में चर्चा के दौरान भी ऐसे ही सवाल किए जाते हैं तो यह दुर्भाग्यपूर्ण ही नहीं, लोकसभा एवं राज्यसभा के वक्त की बर्बादी ही होगी। कहना कठिन है कि दोनों सदनों में आपरेशन सिंदूर पर 16-16 घंटे की चर्चा के दौरान क्या कुछ कहा, पूछा और बताया जाएगा।
जानने के अधिकार, देश की सुरक्षा आदि के नाम पर विपक्ष आपरेशन सिंदूर पर संसद में कैसी भी चर्चा करे, यह साफ है कि अब उसका जोर हंगामा करके जनता का ध्यान अपनी ओर खींचने का रहता है, भले ही इस कोशिश में सदन न चलने पाए। संसद में विपक्ष के कई नेताओं के रवैये से यह बिल्कुल भी नहीं लगता कि वे अपनी ओर से उठाए गए मुद्दों को लेकर गंभीर हैं।
वे संसद के बाहर-भीतर जिन अनेक मुद्दों पर हंगामा कर रहे हैं, उनमें एक बिहार में मतदाता सूची के सत्यापन का है। सुप्रीम कोर्ट ने इस सत्यापन पर रोक लगाने से मना कर दिया, पर अनेक विपक्षी नेताओं को लगता है कि बिहार में मतदाता सूची के पुनरीक्षण से लोकतंत्र खतरे में पड़ गया है।
विपक्ष को सुप्रीम कोर्ट का दृष्टिकोण भी रास नहीं आ रहा है। यह तब है, जब चुनाव आयोग ने पाया कि बिहार में कई लाख लोग गलत तरीके से मतदाता बने हुए हैं। उसे तो यह भी लग रहा है कि घुसपैठिए भी वोटर बन गए हैं। इस सबके बावजूद विपक्ष हंगामा कर रहा है। वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले की भी प्रतीक्षा नहीं करना चाहता।
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