ABC को छोड़कर QWERTY कीबोर्ड अपनाने की क्यों पड़ी जरूरत? जानें कीबोर्ड पर अक्षर आगे-पीछे होने की वजह
कीबोर्ड पर अगर आपने ध्यान दिया होगा तो इस पर सभी अक्षर आगे-पीछे लिखे होते हैं। जबकि हमें बचपन में ABCD क्रमबद्ध तरीके से पढ़ाया गया था। तो जाहिर सी बात है कि हमें यह फॉर्मेट याद होगा। फिर इस सुविधा को छोड़कर कीबोर्ड पर आगे-पीछे अक्षर लगाने की जरूरत क्या पड़ी (how QWERTY keyboard invented)? आइए जानें QWERT कीबोर्ड की खोज की कहानी।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। आज के डिजिटल युग में लिखने के लिए कलम और कागज की जगह कीबोर्ड ने ले ली है। कीबोर्ड पर टाइप करने की हमें ऐसी आदत लगी है कि हम आंख बंदकर भी काफी तेजी से टाइप कर लेते हैं। लेकिन कभी टाइप करते समय आपने यह सोचा कि कीबोर्ड (QWERTY Keyboard) के अक्षर क्रमबद्ध तरीके से क्यों नहीं लगाए गए हैं।
बचपन में हमें अंग्रेजी के अक्षर क्रमबद्ध तरीके यानी A,B,C,D... से सिखाए गए थे, लेकिन कीबोर्ड पर हमें कुछ और ही देखने को मिलता है। ऐसा क्यों (why we use QWERTY keyboards)? आइए जानें इसके पीछे का दिलचस्प इतिहास।
ABC से QWERTY तक का सफर
सबसे पहले टाइपराइटर का आविष्कार 1868 में क्रिस्टोफर लैथम शोल्स ने किया था। उस समय टाइपराइटर के कीबोर्ड पर अक्षरों को ABCD... क्रम में व्यवस्थित किया गया था। यह व्यवस्था लॉजिकल लगती थी, क्योंकि लोगों को अक्षरों का क्रम पहले से याद होता था, जिससे टाइपिंग आसान हो जाती थी।
हालांकि, जल्द ही एक बड़ी समस्या सामने आई। उस समय के टाइपराइटर मैकेनिकल होते थे, जिनमें धातु की पिन्स से जुड़े हुए बटन होते थे। जब लोग तेज गति से टाइप करते थे, तो पास-पास लगे बटनों की पिन्स आपस में उलझ जाती थीं, जिससे टाइपराइटर जाम हो जाता था। इससे न केवल काम रुकता था, बल्कि मशीन के पुर्जे भी खराब होने लगते थे।
इस वजह से एक समय के बाद लोगों के लिए टाइपराइटर इस्तेमाल करना काफी मुश्किल हो जाता था। अब आपको कुछ अंदाजा लग गया होगा कि ABC छोड़कर QWERTY कीबोर्ड अपनाने की जरूरत क्यों पड़ी।
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ऐसे हुई QWERTY कीबोर्ड की शुरुआत
इस समस्या को दूर करने के लिए शोल्स ने 1873 में एक नया कीबोर्ड लेआउट डिजाइन किया, जिसे आज QWERTY कीबोर्ड के नाम से जाना जाता है। इस लेआउट का मुख्य उद्देश्य था टाइपिंग स्पीड को कम करना, ताकि बटन आपस में न उलझें।
QWERTY लेआउट की खास बातें
- अक्सर इस्तेमाल होने वाले अक्षरों को अलग-अलग स्थान दिया गया – जैसे E, A, O, I को अलग-अलग जगह रखा गया, ताकि उंगलियां एक ही जगह बार-बार न पहुंचें।
- कम इस्तेमाल होने वाले अक्षरों (जैसे Z, X, Q) को मुश्किल जगहों पर रखा गया, ताकि टाइपिंग धीमी हो।
- बाएं हाथ से ज्यादा टाइपिंग करवाई जाती थी, क्योंकि ज्यादातर लोग दाएं हाथ से जल्दी टाइप करते थे, जिससे टाइप राइटर जाम होने का खतरा बढ़ जाता थी।
अब भी क्यों चलता है QWERTY कीबोर्ड?
आज के कंप्यूटर और स्मार्टफोन में मैकेनिकल जाम होने की समस्या नहीं है, फिर भी QWERTY कीबोर्ड का इस्तेमाल जारी है। इसकी वजह है लोगों की आदत और स्टैंडर्डाइजेशन। लोग दशकों से इस लेआउट का इस्तेमाल कर रहे हैं और इसे बदलना मुश्किल होगा।

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