सिर्फ ठंड में ही क्यों मुंह से निकलती है भाप... गर्मियों में यह 'सफेद धुआं' कहां हो जाता है गुम?
क्या आपको बचपन के वो दिन याद हैं जब हम सर्दियों की सुबह मुंह से भाप निकालकर खुद को 'सुपरहीरो' या 'ड्रैगन' समझते थे? जी हां, हम सबने यह किया है, लेकिन ...और पढ़ें

सर्दियों में मुंह से भाप निकलने का वैज्ञानिक कारण (Image Source: AI-Generated)
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लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। सोचिए, कड़ाके की ठंड पड़ रही है। आप रजाई से निकलकर बाहर आते हैं और अचानक आपके मुंह से सफेद धुएं का एक बड़ा-सा गुबार निकलता है। बचपन में तो हम सबने दोस्तों के सामने शान झाड़ने के लिए यह किया है- बिना माचिस और बिना सिगरेट के 'फूंक' मारना और धुएं के छल्ले बनाना, लेकिन क्या आपने कभी रुककर सोचा है कि आखिर यह धुआं आता कहां से है? क्या दिसंबर आते ही हमारे पेट में कोई अलाव जलने लगता है... और सबसे बड़ा सवाल किजून-जुलाई की गर्मी में यह 'जादू' गायब क्यों हो जाता है?

(Image Source: AI-Generated)
हमारा शरीर है एक 'चलता-फिरता हीटर'
सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि हमारा शरीर 70% पानी से बना है। हमारे फेफड़े हमेशा नम रहते हैं। जब हम सांस छोड़ते हैं, तो सिर्फ हवा (कार्बन डाइऑक्साइड) ही बाहर नहीं आती, बल्कि उसके साथ हमारे शरीर की गर्मी और थोड़ी नमी भी बाहर आती है। यह नमी 'गैस' के रूप में होती है, इसलिए यह हमें दिखाई नहीं देती।

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ठंडी हवा और गर्म सांस का टकराव
सर्दियों में बाहर का मौसम बहुत ठंडा होता है, जबकि हमारे शरीर का तापमान लगभग 37 डिग्री सेल्सियस (98.6°F) होता है। जैसे ही आपके मुंह से निकली गर्म हवा बाहर की बर्फीली हवा से टकराती है, वह अचानक ठंडी हो जाती है। ठंड के कारण हवा में मौजूद वो 'अदृश्य नमी' तुरंत पानी की नन्ही-नन्ही बूंदों में बदल जाती है।
विज्ञान की भाषा में इसे 'कंडेंसेशन' या संघनन कहते हैं। यह वही प्रक्रिया है जिससे आसमान में बादल बनते हैं। यानी, सर्दियों में आपके मुंह से जो निकलता है, वह धुआं नहीं, बल्कि एक छोटा-सा बादल होता है।

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गर्मियों में यह धुआं क्यों नहीं दिखता?
अब सवाल यह है कि यह 'सफेद धुआं' गर्मियों में कहां चला जाता है? दरअसल, गर्मियों में बाहर का तापमान भी शरीर के तापमान के आसपास ही होता है। जब आप सांस छोड़ते हैं, तो शरीर की गर्म हवा को बाहर भी गर्म हवा ही मिलती है। तापमान में कोई बड़ा अंतर नहीं होता, इसलिए नमी को ठंडा होकर 'पानी की बूंद' बनने का मौका नहीं मिलता। वह गैस बनकर ही हवा में घुल जाती है और हमें कुछ दिखाई नहीं देता।

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