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    Qutub Minar Case: तीसरा पक्षकार बनाए जाने के लिए कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल, अब 21 नवंबर को होगी सुनवाई

    By Rajneesh kumar pandeyEdited By: Pradeep Kumar Chauhan
    Updated: Wed, 19 Oct 2022 07:26 PM (IST)

    Qutub Minar Case मामले में पुनर्विचार याचिका के बाद अब 21 नवंबर को पुनः सुनवाई होगी। बता दें कि बुधवार को पूजा के अधिकार के मामले में पुन सुनवाई होनी ...और पढ़ें

    Qutub Minar Case: पुनर्विचार याचिका पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) समेत तमाम पक्षकारों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

    नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। कुतुबमीनार मामले में कुंवर महेंद्रध्वज प्रसाद सिंह ने खुद को तीसरा पक्षकार बनाए जाने के लिए पुनर्विचार याचिका दाखिल की है। इससे पहले साकेत कोर्ट के अतिरिक्त जिला न्यायाधीश दिनेश कुमार ने उनकी तीसरा पक्षकार बनाए जाने वाली याचिका को खारिज कर दिया था। मामले में पुनर्विचार याचिका के बाद अब 21 नवंबर को पुनः सुनवाई होगी। बता दें कि बुधवार को पूजा के अधिकार के मामले में पुन: सुनवाई होनी थी लेकिन पुनर्विचार याचिका के चलते यह सुनवाई नहीं हो सकी।

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    कोर्ट ने एएसआई  समेत पक्षकारों को नोटिस भेजकर मांगा जवाब

    पुनर्विचार याचिका में आवेदक महेंद्र ध्वज ने साकेत कोर्ट के अतिरिक्त जिला न्यायाधीश दिनेश कुमार की कोर्ट द्वारा याचिका दाखिल करने के पिछले आदेश की समीक्षा और पुर्नविचार करने की मांग की है। साकेत कोर्ट ने कुंवर महेंद्र ध्वज प्रसाद सिंह की पुनर्विचार याचिका पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) समेत तमाम पक्षकारों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

    20 सितंबर को कुतुबमीनार की जमीन पर मलिकाना हक की अर्जी हुई खारिज

    गौरतलब है कि 20 सितंबर को कुतुबमीनार की जमीन पर मलिकाना हक का दावा कर खुद को तीसरा पक्षकार बनाए जाने की मांग करने वाले कुंवर महेंद्र ध्वज प्रसाद सिंह की अर्जी को साकेत कोर्ट ने खारिज कर दिया था। खारिज की गई याचिका में आवेदक कुंवर महेंद्र ध्वज प्रसाद सिंह ने यमुना और गंगा नदी के बीच आने वाले आगरा से मेरठ, अलीगढ़, बुलंदशहर और गुरुग्राम तक के क्षेत्र पर अधिकार की मांग की थी।

    आवेदक का कहना था कि वह बेसवान परिवार का कर्ता है जो कि राजा रोहिणी रमन ध्वज प्रसाद सिंह का उत्तराधिकारी है। उनकी मृत्यु वर्ष 1950 में हुई थी। आवेदन के अनुसार, बेसवान परिवार के रूप में जाना जाने वाला परिवार मूल रूप से राजा नंद राम के वंशज जाट थे जिनकी वर्ष 1695 में मृत्यु हो गई थी।

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