Delhi Chunav 2025: दिल्ली की एक ऐसी सीट... जहां की कहानी है दिलचस्प; 2008 से नहीं टूटा ये रिकॉर्ड
राजौरी गार्डन विधानसभा क्षेत्र में 2008 से कोई भी प्रत्याशी या पार्टी लगातार दो बार नहीं जीती है। कांग्रेस शिरोमणि अकाली दल और आप सभी पार्टियों ने यहां से जीत हासिल की है। मनजिंदर सिंह सिरसा इस सीट से दो बार चुने गए हैं लेकिन लगातार नहीं। 2020 में हुए चुनाव में आप प्रत्याशी धनवती चंदीला ने जीत हासिल की थी।
गौतम कुमार मिश्रा, पश्चिमी दिल्ली। पश्चिमी दिल्ली में राजौरी गार्डन विधानसभा क्षेत्र में वर्ष 2008 से अभी तक चुनाव परिणाम पर गौर करेंगे, तो आप पाएंगे कि प्रत्येक विधानसभा चुनाव में यहां के मतदाताओं ने एक पार्टी पर लगातार दो बार भरोसा नहीं किया है।
मतदाताओं का कुछ इसी तरह का रुझान प्रत्याशियों को विजयी बनाने में भी दिखता है, किसी भी प्रत्याशी को इस सीट पर लगातार दो बार जीत नहीं मिली। केवल मनजिंदर सिंह सिरसा इस सीट से दो बार चुने गए, लेकिन लगातार नहीं। पश्चिमी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली यह सीट वर्ष 2008 में अपने वर्तमान स्वरूप में आई।
मुकाबला कांटों से भरा रहा
इसी वर्ष हुए विधानसभा चुनाव में यहां से कांग्रेस प्रत्याशी दयानंद चंदीला निर्वाचित हुए। इन्होंने शिरोमणि अकाली दल के प्रत्याशी अवतार सिंह हित को हराया, हालांकि, मुकाबला कांटों से भरा रहा। जीत और हार का अंतर महज 38 मतों का था।
इस बार बाजी शिरोमणि अकाली दल के हाथ लगी
इसी सीट पर पांच वर्ष बाद जब चुनाव हुए, तो कांग्रेस व शिरोमणि अकाली दल ने अपने उम्मीदवार बदल दिए। कांग्रेस ने इस सीट पर चंदीला परिवार की धनवती चंदीला को प्रत्याशी बनाया, तो शिरोमणि अकाली दल ने यहां से मनजिंदर सिंह सिरसा को मैदान में उतारा, लेकिन इस बार बाजी शिरोमणि अकाली दल के हाथ लगी। धनवंती चुनाव हार गईं।
इसके बाद वर्ष 2015 में दिल्ली में विधानसभा चुनाव ने एक बार फिर दस्तक दी। इस बार दिल्ली की राजनीति में एक नई पार्टी आप की दस्तक हुई। आप ने इस सीट पर अपने वरिष्ठ नेता जरनैल सिंह (लोग इन्हें बड़े जरनैल के नाम से जानते थे) को टिकट दिया।
करीब 10 हजार मतों के अंतर से चुनाव जीते जरनैल
इस बार इनके सामने शिरोमणि अकाली दल के प्रत्याशी के तौर पर मनजिंदर सिंह सिरसा थे। बाजी आप के प्रत्याशी जरनैल सिंह के हाथ लगी। करीब 10 हजार मतों के अंतर से जरनैल चुनाव जीते, लेकिन चुनाव जीतने के कुछ समय बाद ही उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
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उपचुनाव में सिरसा के हाथ लगी बाजी
इस सीट पर वर्ष 2017 में उपचुनाव हुए। उपचुनाव में मनजिंदर सिंह सिरसा ने बाजी मार ली। कांग्रेस की प्रत्याशी मीनाक्षी चंदीला को यहां से हार का मुंह देखना पड़ा। जीत और हार का अंतर करीब 15 हजार मतों का रहा। तीन वर्ष बाद जब विधानसभा का कार्यकाल पूरा होने पर वर्ष 2020 में यहां नियमित चुनाव हुए, तो एक बार फिर इस सीट पर जनता ने नए प्रत्याशी पर भरोसा जताते हुए आप प्रत्याशी धनवती चंदीला पर भरोसा जताया।
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