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गाजीपुर लैंडफिल साइट पर लगी आग मामले में NGT ने कई संस्थाओं को भेजा नोटिस, 5 हफ्ते के अंदर मांगा जवाब

सीपीसीबी को मामले में जिम्मेदार व्यक्तियों पर लगातार उल्लंघन करने को लेकर पर्यावरणीय मुआवजा लगाने के मुद्दे की जांच करने और पांच सप्ताह के अंदर ट्रिब्यूनल के समक्ष रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया। एनजीटी ने कहा कि गाजीपुर लैंडफिल साइट लंबे समय से पर्यावरण संबंधी चिंता का विषय रही है। लैंडफिल में लगी आग के कारण पूरे क्षेत्र में धुआं फैल गया है।

By Ritika Mishra Edited By: Sonu Suman Published: Sat, 04 May 2024 07:47 PM (IST)Updated: Sat, 04 May 2024 07:47 PM (IST)
गाजीपुर लैंडफिल साइट पर लगी आग मामले में एनजीटी ने कई संस्थाओं को भेजा नोटिस

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने 21 अप्रैल के आसपास गाजीपुर लैंडफिल साइट पर भीषण आग लगने के मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी), दिल्ली नगर निगम, पूर्वी दिल्ली जिला मजिस्ट्रेट और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को नोटिस जारी कर पांच हफ्ते के अंदर जवाब मांगा है।

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वहीं, सीपीसीबी को मामले में जिम्मेदार व्यक्तियों पर लगातार उल्लंघन करने को लेकर पर्यावरणीय मुआवजा लगाने के मुद्दे की जांच करने और पांच सप्ताह के अंदर ट्रिब्यूनल के समक्ष रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया। एनजीटी ने कहा कि गाजीपुर लैंडफिल साइट लंबे समय से पर्यावरण संबंधी चिंता का विषय रही है। लैंडफिल में लगी आग के कारण पूरे क्षेत्र में धुआं फैल गया है और निवासियों को असुविधा हो रही है।

2022 में गाजीपुर लैंडफिल साइट पर लगी

इसी तरह की आग पहले भी 2022 में गाजीपुर लैंडफिल साइट पर लगी थी। जिसके बाद दिल्ली सरकार पर 900 करोड़ रुपये का पर्यावरणीय जुर्माना लगाया था। एनजीटी ने कहा कि बीते वर्ष 31 दिसंबर तक गाजीपुर लैंडफिल साइट को खाली करने के वादे के बावजूद, सरकार अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करने में विफल रही है।

अधिकरण ने कहा गाजीपुर की लैंडफिल साइट को अब तक खाली न करने का लगातार उल्लंघन हो रहा है। अधिकरण ने डीपीसीसी से पूछा कि पर्यावरणीय मानदंडों के लगातार उल्लंघन के लिए पर्यावरणीय मुआवजा (ईसी) लगाने की कार्रवाई क्यों नहीं की गई है।

डीपीसीसी के पास मुआवजा वसूलने का अधिकार नहीं

डीपीसीसी के अधिवक्ता ने बताया कि पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 में एक संशोधन के बाद अब जुर्माने का निर्धारण एक अलग समिति द्वारा किया जाना है और इस संबंध में नियम अभी बनाए जाने बाकी हैं इसलिए संशोधन द्वारा उपलब्ध कराई गई व्यवस्था स्थापित नहीं की गई है। अधिवक्ता ने कहा कि अब डीपीसीसी के पास पर्यावरण मुआवजा वसूलने का कोई अधिकार नहीं है।

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