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    एमसीडी कर्मियों के इलाज में नौ करोड़ की हेराफेरी, जांच समिति ने अस्पताल से 2020 से हुए पत्राचार की जानकारी मांगी

    Updated: Mon, 21 Jul 2025 10:43 AM (IST)

    दिल्ली में एमसीडी कर्मचारियों के कैशलेस इलाज में 9 करोड़ की हेराफेरी के मामले में एमसीडी ने जांच समिति गठित की है। निगम यह पता लगाएगा कि क्या इसमें किसी कर्मचारी की संदिग्ध भूमिका है। समिति ने अस्पताल से 2020 से हुए पत्राचार की जानकारी मांगी है। एमसीडी दूसरे अस्पतालों को हुए भुगतान की भी जांच करेगी और लेन-देन से जुड़े अधिकारियों की जानकारी मांगेगी। पुलिस जांच कर रही है।

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    निजी खातों में गया अस्पताल का पैसा, निगम भी करेगा आंतरिक जांच

    निहाल सिंह, नई दिल्ली। दिल्ली व नोएडा के एक प्रतिष्ठित निजी अस्पताल में एमसीडी कर्मचारियों के कैशलेश इलाज का भुगतान करने में 9 करोड़ रुपये की हेराफेरी के मामले में एमसीडी ने भी जांच समिति गठित कर दी है। अब एमसीडी यह पता लगा रही है कि इसमें किसी निगम कर्मचारी और अधिकारी की भूमिका संधिग्द तो नहीं है। इसके लिए जांच समिति की पहली बैठक 16 जुलाई को हुई थी। इसके बाद जांच समिति ने अस्पताल को 2020 से हुए डिजिटल और व्यक्तिगत के अलावा जो भी पत्र व्यवहार हुआ उसकी जानकारी मांगी है। इसके बाद जल्द ही दूसरी बैठक बुलाकर यह देखा जाएगा कि भुगतान में गड़बड़ी कहीं एमसीडी के स्तर पर तो नहीं हुई।

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    अधिकारियों की कमी तो नहीं

    वहीं, सूत्रों मुताबिक एमसीडी एक निजी अस्पताल के प्रकरण के बाद दूसरे निजी अस्पतालों को भी हुए भुगतान की जांच करेगी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न उजागर करने की शर्त पर बताया कि हम फिलहाल हम जिस अस्पताल का मामला सामने आया उसी मामले की जांच कर रहे हैं।

    इसमें हम देखेंगे कि जो 9 करोड़ रुपये का भुगतान एमसीडी द्वारा किया गया और वह निजी खातों में गया उसमें कहीं एमसीडी के कर्मचारियों के साथ दूसरे अन्य अधिकारियों की कमी तो नहीं है।

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    निजी अस्पताल प्रबंधन ने एमसीडी को किया था संपर्क 

    अधिकारी ने बताया कि जो भी अस्पताल हमारे कर्मियों के कैशलेश इलाज के लिए एमसीडी से जुड़े हुए हैं उन सभी अस्पताल प्रबंधन को हम संपर्क कर यह कह रहे हैं कि जो लेन देन से संबंधी जो भी अधिकारी उन्होंने नियुक्त कर रखे हैं उनकी सेवा समाप्त करने और उनकी विश्वसनीयता के लिए एमसीडी को अधिकृत रूप से जानकारी देते रहे।

    उल्लेखनीय है कि मार्च 2025 में एक निजी अस्पताल प्रबंधन ने 74.90 लाख रुपये भुगतान न करने के लिए एमसीडी को संपर्क किया था। जब अस्पताल के अधिकारी एमसीडी दफ्तर पहुंचे तो एमसीडी ने पूर्व में ही इसके भुगतान की सूचना अस्पताल को दी।

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    क्यों कहा गया दूसरे खाते में रुपया भेजने को

    जांच में पता चला कि जो बिल का भुगतान एमसीडी ने किया था वह अस्पताल के खाते में नहीं बल्कि निजी खातों में गया था। अस्पताल के पूर्व कर्मियों ने अधिकारिक ई-मेल के काम न करने पर निजी ई-मेल के जरिये भुगतान दूसरे खाते में करने को कहा था।

    इसके आधार पर एमसीडी ने भुगतान कर दिया। भुगतान की राशि नौ करोड़ से अधिक हो सकती है। इस मामले में नोएडा पुलिस और साइबर क्राम यूनिट जांच कर रही है। इसमें अस्पताल के पूर्व कर्मी वैभव कुमार और अन्य एक गिरफ्तार किया जा चुका है।

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