दिल्ली में बिना तैयारी के रिहायशी संपत्तियों से यूजर चार्ज लेना शुरू, सामने आई बड़ी समस्या
दिल्ली नगर निगम ने संपत्तिकर के साथ डोर टू डोर कूड़ा उठाने के एवज में यूजर चार्ज लेना शुरू कर दिया है लेकिन तैयारी पूरी नहीं है। अभी भी प्राइवेट कर्मचारी ही कूड़ा उठाएंगे। ऐसे में लोगों को दोगुना बोझ पड़ेगा। सिर्फ 12 वार्ड ऐसे हैं जहां शत-प्रतिशत कूड़ा डोर टू डोर उठाया जा रहा है। आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला...
निहाल सिंह, नई दिल्ली। दिल्ली नगर निगम ने संपत्तिकर के साथ डोर टू डोर कूड़ा उठाने के एवज में यूजर चार्ज लेने शुरू कर दिया है, लेकिन सबसे बड़ी समस्या है कि इसके लिए एमसीडी की कोई तैयारी ही नहीं हैं क्योंकि कूड़ा अब भी प्राइवेट कर्मचारी ही उठाएंगे।
ऐसे में लोगों को दोगुना बोझ पड़ेगा। जबकि एमसीडी द्वारा कूड़ा उठाने के लिए नियुक्त की गई कंपनियों के अनुबंध में यह बात ही नहीं है कि वह घर-घर से कूड़ा उठाए।
घर-घर से कूड़ा उठाने का है प्राविधान
पिछले साल हैदराबाद के भारतीय प्रशासनिक स्टाफ कॉलेज से एमसीडी ने अपने कूड़ा उठाने ऑडिट कराया था उसमें भी यही बात सामने आई थी। जिसमें पता चला था कि एमसीडी के 12 में छह जोन में जो कंपनियां कूड़ा उठाती है उनके टेंडर में ही प्रविधान नहीं है कि वह घर-घर से कूड़ा उठाए। सिर्फ रोहिणी, सिविल लाइंस, करोल बाग, सिटी एसपी और नरेला जोन में ही कूड़ा उठाने वाली कंपनियों के साथ ही यह करार है।
इसमें भी तीन जोन रोहिणी, सिविल लाइंस और केशवपुरम में जो एजेंसी है उनसे यह करार है कि वह सुबह सात बजे से तीन बजे तक ही यह कार्य करेगी। हालांकि निगम के जनसंपर्क विभाग का कहना है कि उसने अपने अधीन आने वाली सभी गलियों से कूड़ा उठाने का उठाने का करार कर रखा है।
क्यों लागू किया गया यूजर चार्ज?
निगम का यह भी कहना है कि यूजर चार्ज लगाने का निर्णय दिल्ली सरकार द्वारा ठोस कचरा निस्तारण उपनियम 2017 के तहत लिया है। उपनियमों के अनुसार कूड़ा एकत्रित और उसको ले जाकर निस्तारित करने पर यह शुल्क लिया जाता है। इसे सुप्रीम कोर्ट के द्वारा निगरानी किए जा रहे एमसी मेहता बनाम केंद्र सरकार के मामले के चलते लागू किया गया है।
इसी ऑडिट रिपोर्ट में निगम की डोर टू डोर कूड़ा उठाने की व्यवस्था को सुधारने के सुझाव दिए गए थे। साथ ही यह भी बताया था कि मात्र 10 प्रतिशत कूड़ा निस्तारित करके दिल्ली के रैगपिकर प्रतिदिन 1.32 करोड़ का कूड़ा बेचकर कमा लेते हैं। हालांकि प्रति रैगपिकर तो मासिक यह 14-15 हजार पड़ता है।
एमसीडी को हर महीने मिलेगी कितनी राशि?
प्रत्येक कॉलोनी में तीन से चार रैगपिकर हैं। ऐसे में इनकी संख्या भी दिल्ली में बड़ी है। ऐसे में जब 10 प्रतिशत कूड़े से इतनी राशि रैगपिकर कमा सकते हैं तो फिर एमसीडी शत प्रतिशित गीले-सूखे को अलग-अलग करने का लक्ष्य प्राप्त कर ले तो 10 करोड़ से ज्यादा की राशि तो हर माह इससे ही आ सकती है।
जबकि निगम द्वारा यूजर चार्ज लगाने से भी इतना बोझ आएगा। जबकि निगम शत प्रतिशत स्वयं गीला-सूखा कूड़ा अलग-अलग कराए तो राजस्व तो आएगा ही साथ ही लैंडफिल पर कम कूड़ा पहुंचेगा तो फिर लैंडफिल पर कूड़ा खत्म करने के लिए जो खर्चा होना है वह भी बचेगा।
लैंडफिल पर डाला जा रहा कितना कूड़ा?
इतना ही नहीं लैंडफिल पर कम कूड़ा जाएगा तो ईधन भी वाहनों का बचेगा। ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में 11 हजार मीट्रिक टन प्रतिदिन कू़ड़ा उत्पन्न होता है। इसमें से 10 प्रतिशत कूड़ा अनियोजित क्षेत्र से निस्तारित हो रहा है।
तीन प्रतिशत कूड़ा मैटेरियल रिकवरी सुविधा (एमआरएफ) से निस्तारित हो रहा है। जबकि 55 प्रतिशत कूड़ा वेस्ट टू एनर्जी प्लांट के माध्यम से निस्तारित हो रहा है। जबकि 20 प्रतिशत कूड़ा लैंडफिल पर जा रहा है। सात प्रतिशत कूड़ा सड़कों पर यूं ही पड़ा रहता है। दिल्ली नगर निगम ने अपने स्वच्छता के स्तर को सुधारने और कमियों का पता लगाने के लिए एएससीआइ से ऑडिट कराया था।
दिल्ली के किस एमसीडी जोन से कितना निकलता है कूड़ा
- शाहदरा उत्तरी- 1250
- शाहदरा दक्षिणी -1200
- मध्य-1000
- नजफगढ- 900
- पश्चिमी-900
- दक्षिणी -900
- सिटी एसपी जोन-950
- रोहिणी -950
- करोल बाग-950
- सिविल लाइंस-800
- केशवपुरम -800
- नरेला-500
दिल्ली में कूड़ा निस्तारण की स्थिति
- 11000 टन कूड़ा दिल्ली में प्रतिदिन निकलता है
- 8000 टन कूड़ा विभिन्न माध्यमों से निस्तारित होता है
- 557 टन कचरा प्रतिदिन खाद बनाने के लिए उपयोग किया जाता है
- 256 टन कचरा मेटेरियल रिकवरी फेटलिटी पर निस्तारित होता है
- 7400 टन कचरा प्रतिदिन ओखला, तेहखंड, गाजीपुर, भलस्वा और नरेला बवाना लगे कूड़े से बिजली बनाने ते संयंत्र से निस्तारित होता है
- 3475 कचरा अब भी भलस्वा व गाजीपुर लैंडफिल पर जा रहा है
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