केंचुआ खाद मिट्टी के स्वास्थ्य और किसानों की कमाई का है बेहतरीन माध्यम, युवाओं ने सीखा वर्मी कंपोस्ट बनाना
पश्चिमी दिल्ली में कृषि विज्ञान केंद्र में केंचुआ खाद उत्पादन पर प्रशिक्षण आयोजित किया गया। विशेषज्ञों ने रासायनिक उर्वरकों के नुकसान और केंचुआ खाद के फायदों पर प्रकाश डाला। केंचुआ खाद मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने और सुरक्षित उपज के लिए महत्वपूर्ण है। युवाओं को वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन को स्वरोजगार के रूप में अपनाने के लिए प्रेरित किया गया।

जागरण संवाददाता, पश्चिमी दिल्ली। रासायनिक उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग से न सिर्फ मृदा बल्कि इंसानों के स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ता है। ऐसा इसलिए होता है कि क्योंकि यदि रसायनों के अंश खाद्य उत्पादों में मिल जाएं तो मानव स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ेगा। इसके विपरीत, केंचुआ खाद जिसे वर्मी कंपोस्ट के नाम से जाना जाता है, इसके उपयोग से मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है तथा उपज सुरक्षित एवं पोषक बना रहता है।
22 प्रशिक्षणार्थियों ने सीखा
उजवा स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में केंचुआ खाद उत्पादन तकनीक विषय पर नौ दिवसीय व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान विभिन्न विज्ञानियों ने केंचुआ खाद के फायदे के बारे में प्रशिक्षणार्थियों को बताया और साथ ही यह खाद कैसे तैयार किया जाए, व्यवसाय के तौर पर इस खाद उत्पादन से जुड़े प्रशिक्षण की क्या क्या संभावनाएं हैं, इसपर विस्तार से चर्चा की। कार्यक्रम में 22 प्रशिक्षणार्थियों ने भाग लिया।
स्वरोजगार का बेहतरीन अवसर
केंद्र के अध्यक्ष डाॅ. डीके राणा ने बताया कि भारत एक युवा प्रधान देश है, जहां अधिकांश युवा ग्रामीण क्षेत्रों एवं कृषक परिवारों से आते हैं। ऐसे में वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन न केवल जैविक एवं प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने वाला साधन है, बल्कि यह स्वरोजगार के लिए भी एक उत्कृष्ट विकल्प प्रस्तुत करता है।
डाॅ. राणा ने जैविक कृषि की आवश्यकता, उपयोगिता और इसके दीर्घकालिक लाभों पर विस्तार से प्रकाश डाला तथा सभी प्रतिभागियों को वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन को एक व्यावसायिक अवसर के रूप में अपनाने हेतु प्रेरित किया।
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खाद निर्माण करने की विधि बताई
प्रशिक्षक व मृदा विज्ञान विशेषज्ञ बृजेश यादव ने प्रशिक्षुकों को केंचुआ खाद में उपयोग, जैविक खेती में केंचुआ खाद का महत्व, केंचुआ खाद बनाने में इस्तेमाल आने वाली प्रजातियां, केंचुआ खाद उत्पादन के लिए जगह का चुनाव, खाद निर्माण करने की विधि व इस्तेमाल की सावधानियां आदि के बारे में विस्तृत जानकारी सैद्धांतिक एवं प्रायोगिक रूप से दी। डा. समरपाल सिंह ने प्रायोगिक रूप से विभिन्न जैविक उत्पाद जैसे पंचगव्य, जीवामृत, वर्मीवाश आदि के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
बागवानी विशेषज्ञ राकेश कुमार ने बताया कि केंचुआ खाद का परिनगरीय क्षेत्र में की जाने वाली बागवानी में विशेष योगदान है। डा. जय प्रकाश (विशेषज्ञ, पशु विज्ञान) ने पशुपालन, टीकाकरण तथा पशु अपशिष्ट से खाद निर्माण की
प्रक्रिया को विस्तार से समझाया। विज्ञानी कैलाश (कृषि प्रसार विशेषज्ञ) ने बाजार में वर्मी कंपोस्ट के वितरण, ब्रांडिंग, गुणवत्ता युक्त पैकेजिंग, उत्पाद प्रचार-प्रसार एवं डिजिटल मार्केटिंग की तकनीकों से प्रशिक्षुओं को अवगत कराया।
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