बालिका दिवस विशेष : कोरोना संकट के दौर में 12वीं की छात्रा ईशा ने लिखी किताब
एनआईटी फरीदाबाद निवासी राहुल भामा और नीरू भामा की 12वीं कक्षा की छात्रा ईशा भामा इसकी एक मिसाल है। ईशा ने कोरोना संकट के इस दौर में बाल अवस्था की परेशानियों पर केंद्रित करते हुए टीनएज लेसंस नामक पुस्तक लिखी है।
फरीदाबाद [अनिल बेताब]। मोबाइल, फेसबुक और वाटसएप के बढ़ते चलन के इस दौर में छात्र-छात्राओं की किताबों के प्रति रुचि कम नहीं हुई है। पढ़ने के साथ-साथ लेखन भी जोरों पर हो रहा है। एनआईटी फरीदाबाद निवासी राहुल भामा और नीरू भामा की 12वीं कक्षा की छात्रा ईशा भामा इसकी एक मिसाल है। ईशा ने कोरोना संकट के इस दौर में बाल अवस्था की परेशानियों पर केंद्रित करते हुए टीनएज लेसंस नामक पुस्तक लिखी है।
पुस्तक में एक छात्रा के जीवन की परेशानियों को दिखाया है। साथ ही इस पुस्तक के माध्यम से अभिभावकों तथा अध्यापकों से मार्गदर्शन लेने को जागरूक भी किया है। ईशा ने यह पुस्तक लॉकडाउन के पहले महीने में ही लिखनी शुरू कर दी थी। स्कूल बंद होने के चलते ईशा ने घर पर रहकर अपने समय का सदुपयोग किया। यह पुस्तक महीने भर में पूरी कर ली गई थी।
ईशा की कहानी के साथ-साथ कविताओं में भी गहरी रुचि है। ईशा कहती है कि बच्चों की जिंदगी में जो परेशानियां आती हैं, उन्हें किस तरह से हल किया जाए। कई बार बच्चे सही और गलत को समझ नहीं पाते और गलत संगति में पड़ जाते हैं। ऐसे बच्चों को समझना होगा कि घर से बाहर जो भी बात सुनते हैं और समझते हैं उन्हें घर आकर माता पिता और भाई बहन से जरूर साझा करें। तभी बच्चे सही और गलत का अंतर समझ पाएंगे।
ईशा कहती हैं कि कई बार बच्चे आपस में दोस्ती कर लेते हैं उन्हें सही और गलत का बोध नहीं होता है। अगर वह सारी बातें घर में साझा करेंगे तो उनके जीवन को सही दिशा सही समय पर मिल पाएगी। यही सब बातें ईशा ने अपनी पुस्तक के माध्यम से बताने की कोशिश की है। ईशा को इस बात की खुशी है कि उनकी इस किताब की खूब सराहना हो रही है। ईशा कहती हैं कि वह अब कविताओं की एक नई किताब लिख रही हैं। जो छात्र-छात्राओं को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेगी। ईशा के माता-पिता राहुल और नीरू भी अपनी लाडली की इस लेखन प्रतिभा से स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।
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