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    द्वारका सेक्टर-14: 760 फ्लैटों वाली सोसाइटी में जंग लगे सरिए, दरारें और डर, DDA से लगा रहे मरम्मत की गुहार

    Updated: Fri, 03 Oct 2025 06:40 PM (IST)

    द्वारका सेक्टर 14 के शहीद भगत सिंह अपार्टमेंट के निवासियों ने डीडीए की आवासीय योजना में फ्लैट खरीदे थे जिसके रखरखाव शुल्क का भुगतान भी किया गया था। अब निवासियों को इमारत की खराब स्थिति के कारण ठगा हुआ महसूस हो रहा है। 2018 की एक रिपोर्ट में इमारत को अंदर से कमजोर बताया गया था जिसके बाद डीडीए ने रेट्रोफिटिंग योजना बनाई है।

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    द्वारका में जर्जर हो रही इमारत में रह रहे 760 परिवार, मरम्मत की लगा रहे गुहार

    जागरण संवाददाता, पश्चिमी दिल्ली। द्वारका सेक्टर 14 स्थित शहीद भगत सिंह अपार्टमेंट के लोगों ने जब डीडीए आवासीय योजना के तहत यहां के फ्लैट खरीदे थे, तब डीडीए ने उनसे फ्लैट की कीमत के साथ रखरखाव का शुल्क भी लिया था। यह शुल्क तीन दशक के लिए लिया गया था। पहले ऐसा नहीं होता था। लोगों ने यह सोचकर रखरखाव के एवज में एकमुश्त शुल्क का भुगतान किया कि इससे सोसाइटी की देखरेख सही तरीके से होगी। मगर जैसे-जैसे वक्त बीतता गया, लोग ठगा महसूस करने लगे। आज सोसाइटी के कामन हिस्से की स्थिति देखकर ऐसा कतई नहीं लगता है कि इसकी देखरेख सही तरीके से होती होगी।

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    वर्ष 2010 की आवासीय योजना

    डीडीए की वर्ष 2010 की आवासीय योजना में इस अपार्टमेंट के 760 फ्लैटों को शामिल किया गया था। लोगों ने उत्साह दिखाया। दो वर्ष बाद यहां आवंटियों को पजेशन देने का सिलसिला शुरू हुआ। लोग बसते चले गए। लेकिन बसावट के कुछ वर्षों के बाद ही यहां दिक्कत दिखनी शुरू हो गई। प्लास्टर झड़ने लगे। जगह जगह दीवारों पर दरार का उभरना आम हो गया। कई जगह जंग लगे सरिये लोगों को डराते थे। कामन एरिया में इस तरह की दिक्कत दिखनी आम बात हो गई। लोगों ने इसे लेकर डीडीए से शिकायत की।

    डीडीए ने ही कराया सर्वे

    सोसाइटी के लोगों ने बताया कि लोगों ने जब शिकायतें डीडीए से बड़े पैमाने पर की तब डीडीए हरकत में आया। वर्ष 2018 में डीडीए ने यहां नेशनल काउंसिल फार सीमेंट एंड बिल्डिंग मैटेलिरियल्स संस्था से यहां की वस्तुस्थिति का पता लगाने के लिए सर्वे कराया।

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    सर्वे के नतीजे चिंताजनक

    रिपोर्ट में यहां इमारत की संरचनात्मक स्थिति को बहुत खराब बताया गया। बताया गया कि इमारत अंदर से कमजोर है। इसे मरम्मत पुनर्निर्माण की ज़रूरत है। जो कालम और छत को सहारा देने वाली बीम इमारत को मज़बूती देते हैं, उनकी असली मज़बूती डिजाइन की गई मज़बूती से बहुत कम है। कंक्रीट के ऊपर की पतली परत कई जगह खत्म हो चुकी है, जिस कारण नमी और हवा अंदर तक पहुंचती है, जिससे कंक्रीट के अंदर की लोहे की छड़ों में ज़ंग लग गया है।

    जहां अभी जंग नहीं लगा है वहां भविष्य में जंग लगने की बहुत ज़्यादा संभावना है। ज़ंग लगने से लोहा फूलता है और कंक्रीट को तोड़ देता है, जिससे बिल्डिंग की जान खतरे में आ जाती है। जंग लगने के कारण, लोहे की छड़ें अपनी मोटाई खो चुकी हैं। यह सब आंखों से दिखने वाले नुकसान हैं जो बताते हैं कि अंदर की खराबी सतह पर आ गई है।

    रिपोर्ट देख सक्रिय हुआ डीडीए

    इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद डीडीए ने थोड़ी बहुत सक्रियता दिखाई और कुछ जगहों पर मरम्मत भी कराया। लेकिन इन कार्यों को लोगों ने नाकाफी करार दिया। हाल ही में स्थानीय निवासियों ने डीडीए को सोसाइटी की चिंताजनक स्थिति से अवगत कराने के लिए एक प्रेजेंटेशन दिया।

    इसमें सोसाइटी की तुलना मुखर्जी नगर के सिग्नेचर अपार्टमेंट से की गई। लोगों ने कहा कि यहां भी वैसी ही स्थिति है। लोगों की शिकायतों को देखते हुए अब डीडीए ने सोसाइटी के फ्लैटों को मजबूती देने के लिए रेट्रोफिटिंग योजना बनाई है। इसके तहत 15 साल पुराने 760 घरों को फिर से मजबूत किया जाएगा। पुरानी इमारतों में नई सुविधाएं और आधुनिक उपकरण लगाए जाएंगे।

    फ्लैट्स की दुर्दशा की जांच आवश्यक

    "इतने कम समय में फ्लैटों की ऐसी दशा क्यों हुई है, इसकी जांच होनी चाहिए। रेट्रोफिटिंग की बात अच्छी है, लेेकिन ऐसी नौबत क्यों आई, निर्माण की पूरी प्रक्रिया में कहां कमी रह गई, इसका पता किया जाना चाहिए।"

    -देबकीनंदन कुमार, फ्लैट ओनर

    मरम्मतत का काम तुरंत हो शुरू

    "यहां फ्लैटों की दशा चिंताजनक है। डीडीए को इसकी मरम्मत का काम अविलंब शुरू करना चाहिए। सोसाइटी के कामन एरिया में दरार, जंग लगे सरिये का नजर आना आम बात है।"

    -मदन मोहन मीणा, फ्लैट ओनर

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