आठ साल की बच्ची से दुष्कर्म व हत्या के आरोपित चचेरे भाई को नहीं मिली जमानत, पीठ ने कहा- तोड़ा है विश्वास
दिल्ली हाई कोर्ट ने एक आठ साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म और हत्या के आरोपी चचेरे भाई की जमानत याचिका खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि अपराध की गंभीरता केवल जन आक्रोश और मीडिया कवरेज से कम नहीं होती। आरोपी पर हत्या अपहरण और सबूत मिटाने के आरोप हैं। अदालत ने अपराध की प्रकृति और गंभीरता को ध्यान में रखते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। एक आठ साल की बच्ची से उसके ही चचेरे भाई दुष्कर्म करने के बाद गला घोंटकर हत्या व शव को प्लास्टिक की थैली में भरकर गड्ढे में छिपाने के आरोपित को दिल्ली हाई कोर्ट ने जमानत देने से इन्कार कर दिया। न्यायमूर्ति गिरीश कथपालिया की पीठ ने कहा कि सिर्फ जन आक्रोश और घटना की मीडिया कवरेज से अपराध की गंभीरता कम नहीं हो सकती। याचिका खारिज करते हुए पीठ ने कहा कि इस बात को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि अभियुक्त ने चचेरे भाइयों के बीच विश्वास के रिश्ते का इतने क्रूर तरीके से फायदा उठाया।
विभिन्न मानदंडों पर दें ध्यान
पीठ ने कहा कि लंबी कैद निश्चित रूप से अभियुक्त को जमानत पर रिहा करने का एक आधार है, लेकिन यह एकमात्र आधार नहीं है। इसके लिए अदालत को न्यायिक रूप से मान्य विभिन्न मानदंडों को ध्यान में रखना होगा। जिसमें अपराध की प्रकृति और गंभीरता व रिकाॅर्ड पर मौजूद सामग्री शामिल है। पीठ ने कहा कि घटना की व्यापक तस्वीर उस वीभत्स तरीके को दर्शाती है जिसमें एक आठ साल की बच्ची के साथ उसके चचेरे भाई द्वारा दुष्कर्म किया गया और उसकी हत्या कर दी गई।
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झूठा फंसाया गया
इस मामले में आरोपित के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 363 (अपहरण) और 201 (साक्ष्य मिटाना) तथा पाक्सो अधिनियम की धारा-छह (गंभीर यौन उत्पीड़न) के तहत अपराधों के लिए 2016 में प्राथमिकी हुई थी।
वहीं, जमानत की मांग करते हुए आरोपित ने तर्क दिया कि उसे जनता के दबाव और मीडिया ट्रायल के चलते इस मामले में झूठा फंसाया गया है। उन्होंने कहा कि मृतक लड़की की मृत्यु के समय को लेकर संदेह है।
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