ऑनलाइन ग्रुप और फेसबुक से जोड़कर क्रिप्टो में निवेश का झांसा, हाई रिटर्न स्कीम में 34 लाख की ठगी
क्राइम ब्रांच ने क्वाइन-एक्स क्रिप्टो ट्रेडिंग धोखाधड़ी मामले में नरेश कुमार को गिरफ्तार किया है जिस पर साइबर अपराधियों को बैंक खाते मुहैया कराने का आरोप है। नरेश ने 10 बैंक खाते खोले और पीड़ितों से 34 लाख रुपये की ठगी की गई। पीड़ितों को सोशल मीडिया के माध्यम से निवेश का लालच दिया गया था। धोखेबाजों ने पैसे निकालने पर इनकार कर दिया था।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। क्वाइन-एक्स क्रिप्टो ट्रेडिंग नाम से चल रहे एक क्रिप्टो ट्रेडिंग मामले में एक व्यवसायी से 34 लाख की धोखाधड़ी करने के मामले में क्राइम ब्रांच ने नरेश कुमार नाम के एक आरोपित को गिरफ्तार कर लिया है। वह साइबर धोखेबाजों को बैंक खाता मुहैया कराता था। इसके कई बैंक खातों में नौ लाख रुपये ट्रांजक्शन होने का पता चला है।
डीसीपी क्राइम ब्रांच आदित्य गौतम के मुताबिक नरेश कुमार, करनाल, हरियाणा का रहने वाला है। पांच जून को मध्य जिला के साइबर सेल थाने में दर्ज मामले में उसे गिरफ्तार किया गया है। इस मामले में नरेश ट्रैक्टर वर्कशाप के नाम से इंडसइंड बैंक के चालू खाते के माध्यम से धोखाधड़ी वाले लेनदेन का पता चला। उक्त खाते राष्ट्रीय क्राइम रिकार्ड ब्यूराे पर 13 शिकायतों से जुड़े पाए गए। एसीपी अनिल कुमार व इंस्पेक्टर मंजीत कुमार के नेतृत्व में पुलिस टीम ने आरोपित को गिरफ्तार किया।
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नरेश ट्रैक्टर वर्कशॉप के नाम से 10 चालू बैंक खाते (यूनियन बैंक आफ इंडिया, एक्सिस बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, आरबीएल, एयू स्माल फाइनेंस बैंक, इंडसइंड बैंक, बैंक आफ बड़ौदा, बैंक आफ महाराष्ट्र, केनरा बैंक और आईडीबीआई) अंतरराज्यीय साइबर सिंडिकेट्स को उपलब्ध कराए थे, जिससे पीड़ितों के धन को कई माध्यमों से डायवर्ट और लान्ड्रिंग करने में मदद मिली।
क्रिप्टो ट्रेडिंग और उच्च-रिटर्न योजनाओं के झूठे वादों के साथ निवेशकों को लुभाकर, सिंडीकेट ने पीड़ितों से लगभग 34 लाख की ठगी की। इस गिरफ्तारी ने संगठित साइबर धोखाधड़ी के गहरे गठजोड़ को उजागर किया है और भारत भर में अनजान लोगों को ठगने के लिए दुरुपयोग की जाने वाली महत्वपूर्ण वित्तीय पाइपलाइनों को बाधित किया है।
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पीड़ितों से फेसबुक सहित अन्य इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म के माध्यम से संपर्क किया गया और उन्हें क्वाइन-एक्स क्रिप्टो ट्रेडिंग में निवेश करने का लालच दिया गया। उन्हें हेरफेर किए गए आनलाइन समूहों में जोड़ा गया जहां उन्हें आगे निवेश करने के लिए राजी किया गया। जब पीड़ितों ने पैसे निकालने की कोशिश की, तो धोखेबाजों ने भुगतान से इन्कार करने के लिए छल, धमकी और जबरदस्ती का इस्तेमाल किया।
धन को छिपाने के लिए उसे कई बैंक खातों में जमा किया गया। आरोपित ने सिंडिकेट को कई बैंकों में 10 चालू बैंक खाते उपलब्ध कराए, जिसके बदले में उसे प्रति खाता 30 हजार का मासिक भुगतान करना था।
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