Delhi BMW Accident: 'एम्बुलेंस होती तो खून बहने से तुरंत ही रोका जाता; डिलीवरी वैन में ले गए अस्पताल'
दिल्ली कैंट में बीएमडब्ल्यू कार की टक्कर से नवजोत सिंह की मृत्यु के मामले में पत्नी संदीप कौर ने प्राथमिकी दर्ज कराई है। उन्होंने आरोपी गगनप्रीत पर आरोप लगाया कि घायल होने के बावजूद उन्हें जानबूझकर दूर के अस्पताल में भर्ती कराया गया जिससे इलाज में देरी हुई। बेटे नवनूर ने भी सवाल उठाया कि एम्बुलेंस की जगह डिलीवरी वैन का इस्तेमाल क्यों किया गया।

जागरण संवाददाता, पश्चिमी दिल्ली। दिल्ली कैंट थाना क्षेत्र में बीएमडब्ल्यू कार की टक्कर से वित्त मंत्रालय में कार्यरत उपसचिव नवजोत की मौत मामले में उनकी पत्नी संदीप कौर के बयान के आधार पर प्राथमिकी दर्ज हुई है।
प्राथमिकी में संदीप कौर ने बीएमडब्ल्यूए कार चला रही आरोपित गगनप्रीत पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। प्राथमिकी के अनुसार 14 सितंबर की सुबह संदीप अपने पति नवजोत सिंह के साथ मोटरसाइकिल से बंगला साहिब गुरुद्वारे में दर्शन करने के लिए गई।
यहां से विदा होने के बाद दोपहर 12:20 बजे नवजोत सिंह आरके पुरम स्थित कनार्टक भवन से लंच करके घर लौट रहे थे। संदीप ने हेलमेट पहन रखा था, जबकि नवजोत सिंह ने पगड़ी बांधी थी।
जैसे ही वे दिल्ली कैंट मेट्रो स्टेशन के पास पिलर नंबर 67 के करीब पहुंचे, पीछे से तेज रफ्तार और लापरवाही से दौड़ती हुई नीले रंग की बीएमडब्ल्यू ने उनकी मोटरसाइकिल को टक्कर मार दी।
टक्कर इतनी जोरदार थी कि दोनों सड़क पर जा गिरे। नवजोत सिंह को सिर, चेहरे और पैरों पर गंभीर चोटें आईं, जबकि संदीप के हाथ-पैर में फ्रैक्चर और सिर पर गहरी चोट लगी। बाद में चिकित्सकों ने बताया कि उनके सिर पर 14 टांके आए है।
संदीप कौर ने अपने बयान में कहा कि हादसे के बाद भी पति नवजोत सिंह सांस ले रहे थे। उनके आंखों के सामने अंधेरा छा गया था। इस बीच एक महिला (गगनप्रीत) व एक व्यक्ति ने वैन की तरह की कार में उन्हें और पति को बैठाया।
इस बीच वह वैन में मौजूद महिला बार-बार आग्रह करती रहीं कि उन्हें नजदीकी अस्पताल ले चलो ताकि हमें प्राथमिक उपचार मिल सके, लेकिन महिला ने उनकी एक न सुनी। नवजोत उस समय बेसुध थे, उन्हें फौरन चिकित्सा सहायता की आवश्यकता थी।
लेकिन महिला ने जानबूझकर हमें बहुत दूर एक छोटे से हाॅस्पिटल में ले जाकर भर्ती करा दिया। मुझे बाद में पता चला कि वह बीएमडब्ल्यू चलाने वाली महिला थी, जो जीटीबी नगर के एक छोटे से हाॅस्पिटल में ले गई।
वहां पर भी मुझे काफी देर बाहर स्ट्रेचर पर ही रखा। महिला से बार बार पास के हाॅस्पिटल लेकर चलो, लेकिन नहीं लेकर गई। महिला अपना नाम गननप्रीत बता रही थी।
बाद में काफी देर बाद जीटीबी नगर स्थित हाॅस्पिटल में मेरा बेटा व मेरे जानकार आए। यहां से मुझे बाद में द्वारका स्थित वेंकटेश्वर हाॅस्पिटल ले जाया गया।
बेटे ने कहा, नजदीकी अस्पताल ले जाते ताे बच जाती जान
बीएमडब्ल्यू हादसे में पिता नवजोत को खो चुके नवनूर का कहना है कि धौलाकुआं के आसपास कई सुपरस्पेशलिटी अस्पताल और एम्स ट्राॅमा सेंटर मौजूद हैं। इसके बाद भी आरोपी महिला इतनी दूर उनके घायल माता पिता को जीटीबी नगर लेकर क्यों गईं, यह बहुत बड़ा सवाल है।
जिस अस्पताल में उन्हें भर्ती किया गया, वहां न तो पर्याप्त सुविधाएं थीं और न ही आपातस्थिति में देखभाल की व्यवस्था। अगर समय पर बड़े अस्पताल में पिता को पहुंचाया जाता तो शायद पिताजी की जान बचाई जा सकती थी।
नवनूर ने बताया कि हादसे वाले दिन वह अपने दोस्त के घर से आए थे। उन्हें पता था कि उनकी मां और पिता गुरुद्वारा बंगला साहिब जाने वाले थे। ऐसे में पहले उसने अपनी मां को मैसेज किया। लेकिन जब मैसेज का जवाब नहीं आया तो उन्होंने फोन किया, लेकिन मां फोन नहीं उठा रही थीं।
कुछ ही देर बाद उन्हें एक पारिवारिक मित्र का फोन आया, जिन्होंने बताया कि माता-पिता की सड़क हादसे का शिकार हो गए हैं। दोनों को जीटीबी नगर स्थित न्यू लाइफ अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
नवनूर ने यह भी आरोप लगाया है कि घायलों को किसी एम्बुलेंस के बजाय एक डिलीवरी वैन में अस्पताल पहुंचाया गया।
जब उनकी मां को होश आया तो उन्होंने खुद को वैन की सीट पर बैठा पाया और उनके पिता बेसुध हालत में पड़े हुए थे। अगर एम्बुलेंस आ गई होती तो खून को रोकने का काम हादसे वाली जगह से ही शुरू हो जाता।
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