Updated: Tue, 04 Feb 2025 08:20 AM (IST)
एम्स ने स्तन और ओवरी कैंसर के इलाज में क्रांति लाने के लिए आइ आंकोलाजी डाट एआइ साफ्टवेयर विकसित किया है। नैनो तकनीक से बना यह सॉफ्टवेयर डिजिटल पर्चे के जरिए मरीजों के डेटा को इकट्ठा करता है और बीमारी की पहचान कर उपचार सुझाता है। इसने स्तन कैंसर के 1.92 लाख और ओवरी कैंसर के 47 हजार मामलों में सफलता हासिल की है।
उदय जगताप, नई दिल्ली। स्तन और ओवरी कैंसर के मामलों की सटीक पहचान और उपचार को बेहतर बनाने के लिए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स, AIIMS) ने आइ आंकोलाजी डाट एआइ सॉफ्टवेयर तैयार किया है। इसमें नैनो तकनीक से डिजिटल पर्चा तैयार किया गया है।
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डिजिटल पर्चे पर लिखा गया प्रिस्क्रिप्शन साफ्टवेयर में अपलोड हो जाता है। पुराने मामलों का अध्ययन करके सॉफ्टवेयर बता देता है कि बीमारी किस स्तर की है और इसमें किस तरह के उपचार की जरूरत है। बीमारी को पहचानने में भी यह महत्वपूर्ण है।
22 हजार मरीजों का डेटा अपलोड किया
आंकोलाजी डाट एआइ को तैयार करने में स्तन और ओवरी कैंसर का उपचार कर रहे सात अस्पतालों से डेटा लिया गया है। इसमें 22 हजार मरीजों का डेटा अपलोड किया गया है। पायलट प्रोजेक्ट की तरह इससे काम लिया जा रहा है। अब एम्स में यूएचआइडी नंबर बनने के बाद डाक्टर पर्चे पर प्रिस्क्रिप्शन लिखते हैं।
इसकी मैनुअल फाइल तैयार होती है, जो एम्स में जमा हो जाती है। मरीज जब दोबारा उपचार के लिए आता है तो यूएचआइडी नंबर बताने पर उसकी फाइल निकाली जाती है। इस सॉ फ्टवेयर के बनने के बाद स्तन और ओवरी कैंसर के मरीजों का डेटा आनलाइन संकलित किया जा रहा है।
सुपर कंप्यूटर की तरह करता है काम
एम्स के बायोकेमिस्ट्री विभाग के एडिशनल प्रोफेसर अशोक शर्मा ने बताया कि सॉफ्टवेयर के जरिये बीमारी को पहचानना भी आसान है। कैंसर के टिशू की इमेज को सॉफ्टवेयर में डालने के बाद अपलोड डेटा के आधार पर बीमारी किस स्तर की है, यह बता देता है। यह एक तरह से सुपर कंप्यूटर की तरह काम करता है।
लगभग 850,000 कैंसर से संबंधित मौतों का अनुमान
प्रिस्क्रिप्शन से जुड़ी जानकारियां या दवाइयों से संबंधित दिशा-निर्देश स्वत: ही मरीज को मोबाइल पर भेज सकता है। इससे उपचार लेने में उन्हें सहायता मिलेगी। सॉफ्टवेयर को सीडेक के सहयोग से तैयार किया गया है। एक अध्ययन के मुताबिक भारत के लिए, ग्लोबल कैंसर आब्जर्वेटरी ने 2020 तक 1.3 मिलियन नए कैंसर के मामले और लगभग 850,000 कैंसर से संबंधित मौतों का अनुमान लगाया है।
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स्तन कैंसर भारत में कैंसर की घटनाओं और मृत्यु दर का प्रमुख कारण था, जो नए कैंसर के मामलों का 13.5 प्रतिशत और सभी कैंसर से होने वाली मौतों का 10.6 प्रतिशत था। इसी तरह ओवरियन कैंसर के एक अध्ययन में 6,515 कैंसर रोगियों में 228 मामले ओवरी कैंसर के थे।
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इस अध्ययन में अधिकांश मामले 41-50 वर्ष की आयु के थे। एम्स के कैंसर रोग विशेषज्ञ अभिषेक शंकर ने बताया कि स्तन कैंसर के भारत में हर साल एक लाख 92 हजार मामले सामने आते हैं इनमें 98000 लोगों की हर साल मृत्यु हो जाती है। ओवरी कैंसर में हर साल 47000 मामले सामने आते हैं जिनमें 33000 की मृत्यु हो जाती है।
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