महीनों से बंद कराला की महिला लाइब्रेरी पर आज तक लटका ताला, छत टपकने पर मरम्मत के बजाए प्रशासन ने कर दिया बंद
कराला गांव की महिला लाइब्रेरी जुलाई से जलजमाव और छत टपकने के कारण बंद है। मरम्मत के बजाय डीडीए और जिला प्रशासन ने इसे बंद कर दिया, जिससे लगभग 150 छात् ...और पढ़ें
-1766920749936.webp)
बंद पड़ी कराला की महिला लाइब्रेरी जागरण
जागरण संवाददाता, बाहरी दिल्ली। गत जुलाई महीने में मानसून वर्षा के दाैरान जलजमाव और छत से पानी टपकने के कारण बंद हुई कराला गांव की महिला लाइब्रेरी पर आज भी ताला लटका है। मरम्मत कार्य कराने के बजाय डीडीए (दिल्ली विकास प्राधिकरण) व जिला प्रशासन ने इस लाइब्रेरी को बंद कर दिया।
कराला और आसपास के क्षेत्र में इकलौती इस सरकारी लाइब्रेरी के बंद हाेने से छात्राएं परेशान हैं। गांव की लगभग 150 छात्राओं को मोटी फीस देकर निजी लाइब्रेरी की ओर रुख करना पड़ रहा है। उत्तर-पश्चिम जिला प्रशासन के एक अधिकारी ने बताया कि डीडीए व संबंधित एजेंसी से बात की जाएगी। जो भी समस्या हैं, उसे दूर कर अगले 15 दिन में लाइब्रेरी फिर से शुरू कराई जाएगी।
यह भी पढ़ें- दक्षिणी दिल्ली के इन दो इलाकों में खुलीं दो नई अटल कैंटीन, सांसद बांसुरी स्वराज ने किया उद्घाटन
एक ओर तो उपराज्यपाल व दिल्ली सरकार नई लाइब्रेरी खोलने पर जोर दे रही है। पिछले दिनों उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने रिठाला में नई लाइब्रेरी का शुभारंभ किया था। दूसरी ओर, कराला गांव की लाइब्रेरी प्रशासनिक अनदेखी के चलते बंद है। पांच माह बीत चुके हैं, डीडीए और जिला प्रशासन ने इस लाइब्रेरी की सुध नहीं ली।
4 वर्ष पहले शुरू हुई थी लाइब्रेरी
कराला गांव के भगतसिंह पार्क में चार वर्ष पहले लाइब्रेरी शुरू की गई थी। इस लाइब्रेरी में कराला के अलावा रामा विहार, उत्सव विहार, कंझावला, लाडपुर व अन्य क्षेत्रों की लड़कियां भी पढ़ने के लिए आती थीं। गत जुलाई महीने में वर्षा के दौरान लाइब्रेरी की छत से पानी टपकने लगा।
यही नहीं, भगत सिंह पार्क परिसर में काफी पानी जमा हो गया, लाइब्रेरी पहुंचना दुश्वार हो गया। यह स्थिति कई दिन बनी रही। इसी दौरान लाइब्रेरी पर ताला लगाया गया था, जो आज तक नहीं खुला।
यह भी पढ़ें- दिल्ली सरकार का प्रदूषण पर एक और वार, 5100 महिलाओं को मिला उज्ज्वला उपहार
प्रशासनिक लापरवाही से यह लाइब्रेरी स्थिति बदहाल हो चुकी है। कुर्सियां टूटी पड़ी है, पुस्तकें अस्तव्यस्त पड़ी है, शौचालय में पानी नहीं है और सफाई न होने की वजह से धूल जमी हुई है। इस लाइब्रेरी के बंद होने के बाद गांव के आसपास पांच-छह निजी लाइब्रेरी में जाना पड़ रहा है। निजी लाइब्रेरी संचालक लगभग एक हजार रुपये प्रतिमाह के फीस लेते हैं।
यह पहले दिल्ली सरकार के अंतर्गत आती थी। फिर इसे डीडीए को सौंप दिया गया। लाइब्रेरी के बारे में सही जानकारी डीडीए के अधिकारी ही दे सकते हैं। लाइब्रेरी फिर से शुरू कराने के लिए संबंधित अधिकारियों से बात की जाएगी।
मनीषा जसबीर कराला, स्थानीय निगम पार्षद
इस लाइब्रेरी को दोबारा से शुरू करने के लिए ग्रामीण जिलाधिकारी से मिलेंगे। जल्द ही हम उनसे मिलकर उन्हें पत्र देंगे। ताकि जल्द ही यह लाइब्रेरी शुरू हो सकें।
निरंजन माथुर, कराला

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।