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    Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में असामाजिक तत्वों पर लगेगा रासुका, मतांतरण विवाद पर भी सख्त हुई सरकार

    By Jagran NewsEdited By: Mohd Faisal
    Updated: Wed, 11 Jan 2023 02:06 PM (IST)

    प्रदेश में मतांतरण के बढ़ते मामलों और गांवों में हो रहे विवाद को लेकर राज्य सरकार एक अलग योजना पर काम कर रही है। बस्तर व सरगुजा संभाग सहित प्रदेश के अन्य आदिवासी क्षेत्रों में संवाद के जरिये समस्या का समाधान निकाला जाएगा।

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    छत्‍तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (फोटो जागरण)

    रायपुर, ऑनलाइन डेस्क। छत्तीसगढ़ में मतांतरण के बढ़ते मामलों से निपटने के लिए छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने एक योजना तैयार की है। इसके तहत प्रदेश के आदिवासी क्षेत्रों में संवाद किया जाएगा और इसके माध्यम से समस्या का समाधान किया जाएगा।

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    मतांतरण विवाद को लेकर नई योजना पर काम कर रही सरकार

    जानकारी के अनुसार, प्रदेश में मतांतरण के बढ़ते मामलों और गांवों में हो रहे विवाद को लेकर राज्य सरकार एक अलग योजना पर काम कर रही है। बस्तर व सरगुजा संभाग सहित प्रदेश के अन्य आदिवासी क्षेत्रों में संवाद के जरिये मतांतरण विवाद पर समस्या का समाधान निकाला जाएगा।

    छत्तीसगढ़ सरकार के मंत्री व विधायक करेंगे बैठक

    छत्तीसगढ़ सरकार के मंत्री, विधायक, अन्य जनप्रतिनिधि, प्रशासनिक अधिकारी आदिवासी समाज के प्रमुखों व ग्रामीणों के साथ बैठक करेंगे। ये बैठक गांव से लेकर जिला स्तर तक आयोजित की जाएगी, जहां आदिवासी समाज के प्रमुखों व ग्रामीणों के साथ बातचीत कर समस्या पर चर्चा होगी। इस अभियान की मानीटरिंग मुख्यमंत्री सचिवालय से की जाएगी।

    सचिव स्तर के अधिकारी रखेंगे पैनी नजर

    साथ ही सचिव स्तर के अधिकारी हर एक गतिविधियों पर नजर रखेंगे। इसके अलावा छत्तीसगढ़ सरकार ने सांप्रदायिकता भड़काने वालों पर एक्शन लेने का निर्देश दिया है। सरकार ने माहौल बिगाड़ने वालों पर रासुका लगाने का अधिकार कलेक्टरों को दिया है। छत्तीसगढ़ सरकार ने इसे लेकर राजपत्र में भी प्रकाशन दिया है।

    आदिवासियों के बीच हुआ था विवाद

    बता दें कि साल के पहले दिन एक जनवरी को नारायणपुर में आदिवासियों और मतांतरित आदिवासियों के बीच विवाद हुआ था। इस विवाद के बाद ही राज्य सरकार ने इस मुद्दे को लेकर पहल की शुरुआत की है। ताकि राज्य में आदिवासियों के बीच किसी भी तरह का विवाद न हो। उल्लेखनीय है कि राज्य में इसी साल विधानसभा चुनाव भी होने है। ऐसे में सरकार आदिवासी वोटरों को अपने पाले में रखने के लिए मतांतरण विवाद से बचने का रास्ता तलाश रही है।

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