फिच ने भारत की GDP के अनुमान को घटाया, इस वित्त वर्ष 6 फीसदी विकास दर की उम्मीद
रेटिंग फर्म फिच ने अपने रिपोर्ट में कहा कि भारत की जीडीपी 2023-24 में 6.2 प्रतिशत से घटाकर 6 प्रतिशत रह सकती है और अगले साल 2024-25 तक 6.9 प्रतिशत की बजाए 6.7 प्रतिशत रह सकती है। फिच ने भारत की लॉन्ग टर्म विदेशी मुद्रा को बीबीबी- रेटिंग दिया है।

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क: फिच रेटिंग्स ने भारत के लिए अपने 2023-24 के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के विकास के अनुमान को वैश्विक मांग के साथ उच्च मुद्रास्फीति और ब्याज दरों से विपरीत परिस्थितियों का हवाला देते हुए 6.2 प्रतिशत से घटाकर 6 प्रतिशत कर दिया है, वहीं रिपोर्ट के अनुसार देश की अर्थव्यवस्था 2024-25 तक 6.9 प्रतिशत की अनुमानित दर के बजाए 6.7 प्रतिशत रह सकती है।
क्या है 'बीबीबी' रेटिंग ?
रेटिंग फर्म फिच ने स्थिर दृष्टिकोण के साथ 'बीबीबी-' पर भारत की लॉन्ग टर्म विदेशी मुद्रा जारीकर्ता की डिफ़ॉल्ट रेटिंग की फिर से पुष्टि की है। 'बीबीबी' यह दर्शाता है कि डिफ़ॉल्ट जोखिम की अपेक्षाएं वर्तमान में कम हैं और वित्तीय प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए भुगतान क्षमता को पर्याप्त है।
फिच ने भारत की "लचीली निवेश संभावनाओं" से प्रभावित होकर, कहा कि भारत सबसे तेजी से बढ़ते सॉवरेन में से एक होगा, हालांकि फर्म ने यह भी कहा कि इस वर्ष की वृद्धि 2022-23 में अपेक्षित 7 फीसदी की तुलना में धीमी होगी।
निजी क्षेत्र में निवेश से बढ़ा विकास- रिपोर्ट
रिपोर्ट के मुताबिक ग्रोथ की संभावनाएं बढ़ी है क्योंकि पिछले कुछ सालों में निजी क्षेत्र में कॉर्पोरेट और बैंक बैलेंस शीट में सुधार के कारण मजबूत निवेश हुआ है। हालांकि, फिच ने कहा कि देश की कम श्रम शक्ति भागीदारी दर और असमान सुधार कार्यान्वयन रिकॉर्ड के कारण अभी भी जोखिम बना हुआ है।
चालू खाता घाटा में गिरावट का अनुमान
फिच की रिपोर्ट के मुताबिक देश का चालू खाता घाटा दिसंबर 2022 में जीडीपी के 3.3 प्रतिशत से घटकर 2.3 प्रतिशत कर दिया है। इतना ही नहीं रिपोर्ट की माने तो भारत का चालू खाता और घट कर इस साल 1.9 प्रतिशत हो सकता है।
केंद्र सरकार लक्ष्य को कर लेगी पूरा- रिपोर्ट
फिच ने अपने रिपोर्ट में केंद्र सरकार से उम्मीद जताते हुए कहा कि 2023-24 में सकल घरेलू उत्पाद के 5.9 प्रतिशत के अपने राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पिछले साल के 6.4 प्रतिशत से पूरा कर लेगी वहीं राज्यों का घाटा 2022-23 में अनुमानित सकल घरेलू उत्पाद के 2.7 प्रतिशत से बढ़कर 2.8 प्रतिशत होने की संभावना है।
रिपोर्ट में फिच ने कहा कि केंद्र के लिए 2025-26 तक सकल घरेलू उत्पाद के 4.5 प्रतिशत के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को प्राप्त करना चुनौतीपूर्ण होगा क्योंकि इसके लिए अगले दो वर्षों में सालाना 0.7 प्रतिशत अंकों के "त्वरित समेकन" की आवश्यकता है।
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