वोडाफोन आइडिया के एजीआर बकाया पर फिर टली सुनवाई, शेयर को लगा झटका; राहत मिलेगी या नहीं?
वोडाफोन आइडिया लिमिटेड पर बकाया एजीआर (VI AGR Due) मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 13 अक्टूबर तक स्थगित कर दी गई है। इस खबर के चलते वीआई (Vi) के शेयरों में गिरावट दर्ज की गई है जिसमें दोपहर तक लगभग 4% की कमजोरी देखी गई। मामले की अगली सुनवाई पर निवेशकों की निगाहें टिकी हुई हैं।

नई दिल्ली। वोडाफोन आइडिया लिमिटेड पर बकाया एजीआर (Vodafone Idea AGR Due) पर सुनवाई फिर से स्थगित कर दी गई है और अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई 13 अक्टूबर को करेगा। इस खबर के बीच वीआई का शेयर गिर गया है। इसमें करीब साढ़े 12 बजे 4 फीसदी की कमजोरी दिख रही है। BSE पर वोडाफोन आइडिया या वीआई का शेयर (Vodafone Idea Share Price) 0.33 रुपये या 3.74 फीसदी की कमजोरी के साथ 8.50 रुपये पर है।
9,450 करोड़ रुपये का है मामला
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को वोडाफोन आइडिया लिमिटेड की उस याचिका पर सुनवाई टाल दी, जिसमें दूरसंचार विभाग (डीओटी) द्वारा समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) बकाया के लिए की गई 9,450 करोड़ रुपये की अतिरिक्त मांग को चुनौती दी गई थी।
वोडाफोन आइडिया की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी पेश हुए, जबकि केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पैरवी की। दोनों पक्षों ने अदालत से मामले को अगले सोमवार के लिए लिस्ट करने का अनुरोध किया।
ब्याज और जुर्माने से छूट की मांग
पिछले हफ्ते, वोडाफोन आइडिया ने सुप्रीम कोर्ट में एक नई याचिका दायर कर अपने एजीआर बकाया पर ब्याज और जुर्माने से छूट की मांग की थी। कंपनी ने दलील दी थी कि बकाया राशि के विवादित कम्पोनेंट्स को अभी तक अंतिम रूप नहीं दिया गया है। कंपनी ने कहा कि इसने सेल्फ-असेसमेंट के आधार पर सभी निर्विवाद एजीआर बकाया का भुगतान पहले ही कर दिया है।
क्या है वोडाफोन आइडिया की दलील
अपनी नई याचिका में, वोडाफोन आइडिया ने मिनरल एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी बनाम स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया मामले में सुप्रीम कोर्ट के जुलाई 2024 के फैसले का हवाला दिया, जिसमें अदालत ने कहा था कि संसद के पास खनिज अधिकारों पर टैक्स लगाने की विधायी क्षमता नहीं है। उस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई 2024 से पहले की माँगों पर ब्याज और जुर्माने माफ कर दिए थे।
वोडाफोन आइडिया ने तर्क दिया कि इसी तरह की राहत उसके एजीआर बकाया पर भी लागू होनी चाहिए। कंपनी ने इससे पहले 13 मई को ब्याज और जुर्माने में लगभग 45,000 करोड़ रुपये की छूट मांगी थी। मगर उस मांग को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था।
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