Vedanta के डीमर्जर पर फिर फंसा पेंच, सरकार ने जताई आपत्ति; फाइनेंशियल रिस्क के डर का दिया हवाला
अनिल अग्रवाल की वेदांता के डीमर्जर प्लान (Vedanta Demerger Plan) पर सरकार ने आपत्ति जताई है जिससे यह योजना फिर से अधर में लटकती दिख रही है। सरकार ने वित्तीय जोखिम की संभावना जताते हुए राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (NCLT) में कंपनी के डीमर्जर प्लान के खिलाफ कई दलीलें दी हैं। सरकार की आपत्तियों के कारण वेदांता का डीमर्जर प्लान अनिश्चितता के घेरे में है।

नई दिल्ली। अनिल अग्रवाल की वेदांता का डीमर्जर प्लान (Vedanta Demerger Plan) एक बार फिर अधर में लटकता दिख रहा है। दरअसल इस बार सरकार ने ही वेदांता के डीमर्जर प्लान पर आपत्ति जताई है और कई सवाल उठाए हैं।
सरकार ने फाइनेंशियल रिस्क की संभावना जताई है। केंद्र सरकार ने आज राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (NCLT) में सुनवाई के दौरान अनिल अग्रवाल के नेतृत्व वाली कंपनी के डीमर्जर प्लान के खिलाफ कई दलीलें दीं।
क्या कहा सरकार ने
सरकार ने वेदांता के डीमर्जर के खिलाफ जो दलीलें दीं, वे ये हैं :
- डीमर्जर के बाद फाइनेंशियल जोखिम
- हाइड्रोकार्बन एसेट्स को लेकर सही जानकारी नहीं दी गयी (यह कहते हुए कि कंपनी की तरफ से पेश की गई उज्ज्वल तस्वीर भ्रामक है)
- लायबिलिटी को लेकर पर्याप्त खुलासा नहीं किया गया
- सेबी के डिस्क्लोजर नियमों के उल्लंघन की आशंका भी जताई
कितनी हैं वेदांता की संपत्तियां
सरकार का दावा है कि माल्को एनर्जी (वेदांता की सब्सिडियरी) की अलग हुई इकाई का लिक्विडेशन होने की संभावना है और इससे सरकारी बकाया राशि की वसूली की प्रोसेस लगभग असंभव हो जाएगी।
सरकार का दावा है कि अगर अलग किया जाता है तो एसेट कवरेज में भारी गिरावट आएगी। सरकार का दावा है कि वेदांता के पास ₹2 लाख करोड़ से अधिक की संपत्तियाँ हैं, जो सरकार की कुल ₹16,000 करोड़ की माँग से 12.3 गुना अधिक है।
सरकारी मंजूरी के बिना लिया भारी लोन
अपने मध्यस्थता विवाद में, सरकार ने ₹5,900 करोड़ से अधिक का दावा किया है, जिसका, सरकार के अनुसार, कंपनी ने खुलासा ही नहीं किया। सरकार ने कहा कि वेदांता ने एक्सप्लोरेशन के लिए अप्रूव्ड ब्लॉक्स को अपनी संपत्ति के रूप में गलत तरीके से पेश किया और कहा है कि उन्होंने इन "एसेट्स" पर "भारी कर्ज" लिया है, और यह सब सरकार की मंजूरी के बिना किया गया।
वहीं वेदांता ने एनसीएलटी को दिए अपने जवाब में कहा कि सभी कर्जदार और स्टेकहोल्डर्स डीमर्जर पर सहमत हो गए और कंपनी सरकार के बकाये को सिक्योर करने के लिए कॉर्पोरेट गारंटी देने के लिए तैयार है।
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