खरीदने के बड़े उस्ताद हैं अदाणी को मात देने वाले अनिल अग्रवाल, बाल्को से लेकर JP Associates तक; लंबी है लिस्ट
JP Associates को खरीदने वाले वेदांता के अनिल अग्रवाल कंपनियों को खरीदने के पक्के खिलाड़ी है। 1976 में उन्होंने शमशेर स्टर्लिंग कॉर्पोरेशन को खरीदकर अप ...और पढ़ें

नई दिल्ली। पिछले कुछ दिनों से बिजनेसमैन अनिल अग्रवाल का नाम चर्चा में हैं। कारण हैं उनके द्वारा खरीदी गई नई कंपनी। उनकी कंपनी वेदांता (Vedanta) ने JP Associates को खरीदने की बोली जीती। बोली की रकम 17 हजार करोड़ रुपये थी। जेपी एसोसिएट्स को खरीदने की कतार में Adani Group के गौतम अदाणी भी थे। लेकिन वेदांता के आगे वह टिक नहीं पाए। दरअसल, वेदांता के संस्थापक अनिल अग्रवाल कंपनियों को खरीदने के नंबर वन खिलाड़ी हैं। उन्होंने अपने बिजनेस की शुरुआत कंपनी को खरीदकर ही की थी। अनिल अग्रवाल की शॉपिंग लिस्ट में बाल्को, हिंदुस्तान जिंक, सेसा गोवा से केयर्न एनर्जी से लेकर जेपी एसोसिएट्स तक शामिल हैं।
Anil Agarwal कंपनी खरीदकर की बिजनेस की शुरुआत
अनिल अग्रवाल का जन्म बिहार की राजधानी पटना में 1954 में हुआ था। उनके पिता द्वारका प्रसाद अग्रवाल, का एल्यूमीनियम कंडक्टर का एक छोटा सा Business था। अनिल ने पटना के मिलर हाई स्कूल से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की। बचपन में, उन्हें पढ़ाई में अधिक रुचि नहीं थी और वे हमेशा से व्यवसाय करना चाहते थे। विश्वविद्यालय जाने के बजाय, उन्होंने अपने पिता की एल्युमीनियम कंडक्टर बनाने वाली कंपनी में शामिल होने का फैसला किया।
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19 साल की उम्र में, वे करियर के अवसरों की तलाश और अपने पिता की मदद करने के लिए पटना छोड़कर मुंबई चले गए। यहां उन्होंने स्क्रैप मेटल व्यापारी के रूप में अपनी व्यावसायिक यात्रा शुरू की। और साल 1976 में बैंक से लोन लेकर अनिल अग्रवाल ने शमशेर स्टर्लिंग कॉर्पोरेशन का अधिग्रहण (खरीद लिया) किया और बाद में 1986 में स्टरलाइट इंडस्ट्रीज की स्थापना की। 1993 में, स्टरलाइट इंडस्ट्रीज तांबा गलाने वाली पहली भारतीय निजी क्षेत्र की कंपनी बन गई। यह भारत में तांबा प्रगलन संयंत्र और रिफाइनरी स्थापित करने वाली पहली कंपनी थी।
वो बड़ी कंपनियां जिसे वेदांता के अनिल अग्रवाल ने खरीदा
- अनिल अग्रवाल की वेदांता ने साल 2001 में भारत सरकार से भारत एल्युमिनियम कंपनी (BALCO) का अधिग्रहण किया।
- वेदांता ने साल 2002 में हिंदुस्तान जिंक (Hindustan Zinc) का अधिग्रहण किया।
- 2004 में अनिल अग्रवाल ने जाम्बिया में कोंकोला कॉपर माइंस का अधिग्रहण किया।
- वेदांता ने स्वर्ण खनन व्यवसाय वाली कंपनी Sterlite Gold को साल 2006 में खरीदा।
- साल 2007 में Vedanta Resources ने भारत के सबसे बड़े लौह अयस्क उत्पादक और निर्यातक Sesa Goa में 51 फीसदी हिस्सेदारी खरीद ली।
- 2009 में अनिल अग्रवाल ने भारत में डेम्पो समूह की खनन परिसंपत्तियों का अधिग्रहण किया।
- 2010 में नामीबिया, आयरलैंड और दक्षिण अफ्रीका में एंग्लो अमेरिकन की जिंक परिसंपत्तियों का अधिग्रहण किया।
- वेदांता ने साल 2011 केयर्न इंडिया (Cairn India) में 58.5% नियंत्रक हिस्सेदारी हासिल की, जिससे यह भारत के तेल और गैस क्षेत्र में एक प्रमुख कंपनी बन गई।
- साल 2025 में वेदांता ने जो सबसे प्रमुख अधिग्रहण किया वो है जयप्रकाश एसोसिएट्स (JAL) का है। अभी कागजी कार्रवाई बची है। लेकिन अनिल अग्रवाल ने ₹17,000 करोड़ की बोली लगाकर डील अपने नाम कर ली है।
साल 2000 के बाद अगले कुछ वर्षों में अनिल अग्रवाल ने मद्रास एल्युमिनियम, भारत एल्युमिनियम कंपनी (51 प्रतिशत हिस्सेदारी) और सरकारी कंपनी हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (HZL) जैसी कई अन्य कंपनियों का अधिग्रहण किया। इन्हीं अधिग्रहणों ने अग्रवाल को धातु और खनन क्षेत्र के दिग्गज बनने की राह पर अग्रसर किया।
2003 में की Vedanta Resources की स्थापना
2003 में, अनिल अग्रवाल ने वैश्विक पूंजी जुटाने के लिए लंदन में वेदांता रिसोर्सेज की स्थापना की। हालांकि, वेदांता को लगातार दुर्भाग्य का सामना करना पड़ा, क्योंकि पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने उनके खनन कार्यों का विरोध किया। इसके अलावा, केंद्र ने 2010 में वेदांता की बॉक्साइट खनन की मंजूरी रद्द कर दी थी। उनके तेल और गैस व्यवसाय को भी नुकसान हुआ, क्योंकि केंद्र की UPA सरकार ने उन्हें राजस्थान में वेदांता के तेल क्षेत्र के विस्तार की अनुमति नहीं दी। इसी दौरान, अंतरराष्ट्रीय कमोडिटी बाजार में मंदी का दौर आया, जिसके कारण अग्रवाल ने 2018 में एलएसई से हाथ खींच लिया और कंपनी को निजी बना दिया।
सेमीकंडक्टर कारोबार में रखा कदम
अगले कुछ वर्षों में अग्रवाल की वेदांता ने दुनिया भर में कई खदानें हासिल कर लीं। वह लगभग हर एक सेक्टर में अपनी उपस्थित दर्ज करा चुके हैं। वेदांता ने सितंबर 2022 में गुजरात सरकार के साथ धोलेरा में फैब स्थापित करने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करके सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले विनिर्माण उद्योग में प्रवेश किया।
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अनिल अग्रवाल (Anil Agarwal) का शानदार जीवन उनकी उपलब्धियों तक ही सीमित नहीं है। एक परोपकारी व्यक्ति, वेदांता रिसोर्सेज पीएलसी के कार्यकारी अध्यक्ष और वेदांता लिमिटेड के मानद अध्यक्ष ने कथित तौर पर अपनी अधिकांश संपत्ति दान करने का संकल्प लिया है। इसके अलावा, उन्होंने स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा के क्षेत्र में कई वर्षों तक दान दिया है और वेदांता फाउंडेशन की स्थापना भी की है।
हर सेक्टर में बोलती है तूती
अनिल अग्रवाल की आज हर एक सेक्टर में तूती बोलती है। उनके बिजनेस माइंड की बदौलत आज वेदांता दुनिया के कई देशों में फैली हुई है। अब वेदांता ने जेपी एसोसिएट्स को खरीदने के बोली जीत ली। उन्होंने बोली में अदाणी को मात दी। अब अनिल अग्रवाल JP Associates को कंपनी को बढ़ाकर फिर से अर्श पर ले जाना चाहेंगे।

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