कंपनी में क्या होता है प्रमोटर स्टेक? कोई शेयर खरीदने से पहले जरूर करें चेक, पता लग जाएगा स्टॉक है कितना सेफ
जब आप किसी कंपनी के शेयर खरीदते हैं, तो प्रमोटर स्टेक (Promoters Stake) देखना महत्वपूर्ण है। प्रमोटर स्टेक कंपनी के शेयरों का वह प्रतिशत है जो फाउंडर्स और मैनेजमेंट के पास होता है। उच्च प्रमोटर स्टेक कंपनी के प्रति कमिटमेंट और कॉन्फिडेंस को दर्शाता है। आमतौर पर 40-70% के बीच की हिस्सेदारी को हेल्दी माना जाता है। कम हिस्सेदारी प्रमोटरों के कम भरोसे को दर्शा सकती है।

प्रमोटर हिस्सेदारी का होता है बहुत अधिक महत्व
नई दिल्ली। जब आप किसी कंपनी के शेयर खरीदें तो कई चीजें चेक करना जरूरी है। इनमें कंपनी के फाइनेंशियल आंकड़े, टेक्निकल चार्ट, मार्केट कैप, रिटर्न की हिस्ट्री आदि शामिल हैं। इसी तरह एक और चीज है और वो है प्रमोटर स्टेक यानी प्रमोटर्स (What is Promoters Stake) की हिस्सेदारी। क्या होती है प्रमोटर्स की हिस्सेदारी और किसी कंपनी में ये हाई होनी क्यों जरूरी है, आइए जानते हैं।
क्या होता है प्रमोटर स्टेक
प्रमोटर स्टेक कंपनी के शेयरों का वह प्रतिशत होता है जो उसके फाउंडर्स, प्रमुख मैनेजमेंट और उनसे जुड़ी एंटिटीज के पास होता है। यह कंपनी के फ्यूचर के प्रति प्रमोटर्स की कमिटमेंट, कंट्रोल और कॉन्फिडेंस को दिखाता है। शेयर खरीदने से पहले इसे चेक करना बहुत जरूरी है क्योंकि ज्यादा स्टेक का मतलब आम तौर पर कंपनी की सफलता और अच्छे कॉर्पोरेट गवर्नेंस के प्रति ज्यादा कमिटमेंट होता है, जबकि कम या घटता हुआ स्टेक अस्थिरता या कॉन्फिडेंस की कमी का संकेत हो सकता है।
प्रमोटर हिस्सेदारी की खासियतें
कमिटमेंट और कॉन्फिडेंस: प्रमोटर का ज्यादा स्टेक यह दिखाता है कि जिन लोगों ने कंपनी शुरू की है या चला रहे हैं, वे इसकी लंबे समय की सफलता को लेकर कॉन्फिडेंट हैं।
कंट्रोल: अधिक स्टेक प्रमोटर्स को कंपनी के फैसलों पर काफी वोटिंग पावर और असर देता है।
गवर्नेंस: ज्यादा स्टेक वाले प्रमोटर अपने इन्वेस्टमेंट को बचाने के लिए ट्रांसपेरेंट और एथिकल तरीकों को लागू करने के लिए ज्यादा इच्छुक हो सकते हैं।
इनसाइडर सेंटिमेंट: यह कंपनी के फ्यूचर के परफॉर्मेंस के बारे में प्रमोटर्स के अपने कॉन्फिडेंस की जानकारी देता है।
कितनी रेंज में हो प्रमोटर स्टेक
प्रमोटर की 40-70% के बीच हिस्सेदारी अक्सर एक हेल्दी रेंज मानी जाती है, जो कमिटमेंट और कंट्रोल के बैलेंस दोनों को दिखाता है। 70% से ज्यादा हिस्सेदारी का मतलब यह हो सकता है कि प्रमोटर्स का बहुत ज्यादा कंट्रोल है, जिससे ऐसे फैसले लिए जा सकते हैं जो दूसरे शेयरहोल्डर्स के बजाय उनके पर्सनल इंटरेस्ट को ज्यादा अहमियत दें।
इससे कम हिस्सेदारी पर रिस्क
बहुत कम हिस्सेदारी (जैसे 20% से कम) यह दर्शा सकती है कि प्रमोटर्स को कंपनी पर भरोसा नहीं है, हालांकि इसका एनालिसिस दूसरे फैक्टर्स के साथ किया जाना चाहिए।
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(डिस्क्लेमर: यहां शेयर बाजार पर दी गयी जानकार निवेश की राय नहीं है। जागरण बिजनेस निवेश की सलाह नहीं दे रहा है। स्टॉक मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है, इसलिए निवेश करने से पहले किसी सर्टिफाइड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर से परामर्श जरूर करें।)

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