Nifty और बैंक निफ्टी का लॉट साइज घटा, निवेशक कम पूंजी में कमा पाएंगे गजब का फायदा; कब से होगा लागू?
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने इंडेक्स डेरिवेटिव्स (Index Derivatives) की मार्केट लॉट साइज में अहम बदलावों का एलान किया है। ये बदलाव SEBI के दिशानिर्देशों के अनुसार किए गए हैं और ये 28 अक्टूबर 2025 से लागू होंगे। नए नियमों के तहत इंडेक्स डेरिवेटिव्स की लॉट साइज में बदलाव जनवरी 2026 की एक्सपायरी से साप्ताहिक और मंथली कॉन्ट्रैक्ट्स (Weekly Monthly) पर लागू होंगे।

नई दिल्ली। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने इंडेक्स डेरिवेटिव्स (Index Derivatives) की मार्केट लॉट साइज में अहम बदलावों का एलान किया है। ये बदलाव SEBI के दिशानिर्देशों के अनुसार किए गए हैं और ये 28 अक्टूबर 2025 से लागू होंगे।
इन बदलावों का असर Nifty 50, Bank Nifty, Nifty Financial Services जैसे बड़े इंडेक्स पर पड़ेगा और ट्रेडर्स को अपने पोर्टफोलियो में जरूरी बदलाव करने होंगे।
नए नियम कब से लागू होंगे?
नए नियमों के तहत इंडेक्स डेरिवेटिव्स की लॉट साइज में बदलाव जनवरी 2026 की एक्सपायरी से वीकली और मंथली कॉन्ट्रैक्ट्स (Weekly and Monthly) पर लागू होंगे। वहीं, त्रैमासिक और अर्धवार्षिक कॉन्ट्रैक्ट्स (Quarterly and Half Yearly) के लिए ये बदलाव 30 दिसंबर 2025 से प्रभाव में आ जाएंगे।
Nifty और Bank Nifty में लॉट साइज में कटौती
यह बदलाव ट्रैडर्स के लिए एक राहत की खबर हो सकती है क्योंकि इससे पोजिशन लेना थोड़ा सस्ता और फ्लेक्सिबल हो जाएगा।
आम निवेशक को इससे क्या फायदा?
1. कम पूंजी में ट्रेडिंग संभव
अब Futures/Options में ट्रेड करने के लिए पहले से कम पैसा (मार्जिन) लगेगा।
उदाहरण के तौर पर यदि आप Nifty 50 का मूल्य 20,000 है, तो पहले आपको एक कॉन्ट्रैक्ट के लिए ₹20,000 × 75 = ₹15 लाख की वैल्यू का ट्रेड लेना होता था।
अब वही सौदा ₹20,000 × 65 = ₹13 लाख में हो जाएगा।
यानि लगभग ₹2 लाख की बचत होगी। जिससे छोटे निवेशक भी हिस्सा ले सकेंगे।
2. जोखिम कम होगा
कम लॉट साइज का मतलब है कि अगर बाजार विपरीत दिशा में चला गया, तो आपका नुकसान पहले से कम होगा। यानी नया ट्रेडर पहले कम रिस्क लेकर बाजार में उतर सकता है।
3. ज्यादा फ्लेक्सिबिलिटी
कम लॉट साइज होने से आप अपने ट्रेड्स को आसानी से पार्ट्स में मैनेज कर सकते हैं। जैसे पहले अगर आपके पास Bank Nifty का एक ही लॉट होता, तो आप उसे आधा नहीं बेच सकते थे। अब आप छोटे साइज के सौदों में एंट्री या एग्जिट कर सकते हैं। जो ट्रेडिंग स्ट्रैटेजी में ज्यादा लचीलापन लाता है।
4. नए निवेशकों के लिए शानदार मौका
छोटे शहरों और नए ट्रेडर्स के लिए ये बदलाव एक बड़ा मौका है सीखने और कम जोखिम में हिस्सा लेने का है। कम लॉट साइज उन्हें बिना ज्यादा पूंजी लगाए अनुभव लेने में मदद करेगा।
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कुछ स्प्रेड कॉन्ट्रैक्ट्स पर अस्थायी रोक
NSE ने यह स्पष्ट किया है कि कुछ स्प्रेड कॉन्ट्रैक्ट कॉम्बिनेशनों जैसे नवंबर 2025 -जनवरी 2026, दिसंबर 2025 -जनवरी 2026 और दिसंबर 2025 -फरवरी 2026 पर अस्थायी रूप से डे स्प्रेड ऑर्डर बुक उपलब्ध नहीं होगी।
इसका मतलब है कि इन विशेष कॉन्ट्रैक्ट्स के लिए निवेशक स्प्रेड ट्रेडिंग नहीं कर पाएंगे, जब तक कि आगे कोई अपडेट न आए।
इन पर डे स्प्रेड ऑर्डर बुक (Day Spread Order Book) उपलब्ध नहीं होगी। ट्रेडिंग सदस्यों (Brokers) को सलाह दी गई है कि वे इन बदलावों की जानकारी अपने क्लाइंट्स को समय रहते दें और अपनी ट्रेडिंग एप्लिकेशन को NSE के एक्स्ट्रानेट से अपडेट करें।
सोर्स- NSE
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(डिस्क्लेमर: यहां शेयरों को लेकर दी गई जानकारी निवेश की राय नहीं है। चूंकि, स्टॉक मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है इसलिए निवेश करने से पहले किसी सर्टिफाइड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर से परामर्श जरूर करें।)
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