Share Market को उंगलियों पर नचाने वाले विदेशी निवेशक आज हैं बेबस? इन आंकड़ों में दिखी भारतीय बाजार की आत्मनिर्भरता की कहानी
कभी भारतीय शेयर बाजार (Stock Market) विदेशी निवेशकों पर निर्भर था पर अब घरेलू निवेशकों की भूमिका बढ़ गई है। म्यूचुअल फंड की ओनरशिप रिकॉर्ड ऊंचाई पर है और एफपीआई ओनरशिप 13.5 साल के निचले स्तर पर है। प्रमोटर हिस्सेदारी भी घटी है जबकि घरेलू इक्विटी ओनरशिप ऑल-टाइम हाई पर है। जुलाई 2025 म्यूचुअल फंड उद्योग के लिए शानदार रहा एसआईपी और इक्विटी फ्लो में रिकॉर्ड वृद्धि हुई।
नई दिल्ली। एक समय था जब विदेशी निवेशक भारतीय शेयर बाजार (Stock Market) की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाते थे। अगर विदेशी निवेशक पैसा निकालते थे, तो भारतीय शेयर बाजार क्रैश हो जाता था। पर अब समय के साथ घरेलू निवेशकों की भागीदारी बढ़ने से हालात बदले हैं।
विदेशी निवेशक प्रभाव तो रखते हैं, पर कई कारणों से ये प्रभाव बहुत कम हो गया है। भारतीय बाजार घरेलू निवेशकों के सपोर्ट और कई अन्य फैक्टर्स के चलते काफी आत्मनिर्भर हो गया है।
रिकॉर्ड ऊंचाई पर घरेलू म्यूचुअल फंड की ओनरशिप
घरेलू म्यूचुअल फंड (DMF) ने FY26 की पहली तिमाही में कुल मार्केट कैपिटल के हिसाब से NSE-लिस्टेड कंपनियों में रिकॉर्ड 10.6% ओनरशिप हासिल की, जिससे लगातार दूसरी तिमाही में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) पर उनकी बढ़त और बढ़ गई। ऐसा पिछली बार 2003 में हुआ था।
यह वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच लगातार घरेलू खरीदारी को दर्शाता है और अब DMF के पास फ्लोटिंग स्टॉक में FPI की तुलना में बड़ी हिस्सेदारी है।
FPI ओनरशिप 13.5 साल के निचले स्तर पर
NSE-लिस्टेड फर्मों में कुल FPI ओनरशिप घटकर 17.3% (कुल मार्केट कैपिटल के हिसाब से) रह गई, जो दिसंबर 2011 के बाद से सबसे कम है। नेट FPI इनफ्लो साल 2025 में अब तक -95,641 करोड़ रुपये पर निगेटिव हो गया, जो अमेरिकी टैरिफ और वैश्विक अस्थिरता के बीच निवेशकों के अलर्ट होने का संकेत है।
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प्रमोटर हिस्सेदारी घटकर रह गयी 50%
एनएसई-लिस्टेड कंपनियों में प्रमोटर हिस्सेदारी लगातार चौथी तिमाही में घटकर 50% रह गई। भारतीय प्रमोटरों के पास 42.8% हिस्सेदारी है, जबकि विदेशी प्रमोटरों के पास 7.2% हिस्सेदारी है, जो बढ़ी हुई पब्लिक हिस्सेदारी और मार्केट डेप्थ (मौके) को दर्शाता है।
ऑल-टाइम हाई पर घरेलू इक्विटी ओनरशिप
डायरेक्ट इंडिविजुअल हिस्सेदारी बढ़कर 9.6% हो गई, जिससे कुल घरेलू ओनरशिप (म्यूचुअल फंड के जरिए इनडायरेक्ट + डायरेक्ट) रिकॉर्ड 18.5% पर पहुँच गई। इससे घरेलू इक्विटी वेल्थ बढ़कर लगभग 84.7 लाख करोड़ रुपये हो गई, जो वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में लगभग 9 लाख करोड़ रुपये थी। ये वेल्थ क्रिएशन में इक्विटी की भूमिका को दर्शाता है।
म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री का शानदार महीना
जुलाई 2025 भारत के म्यूचुअल फंड उद्योग के लिए काफी शानदार रहा। इस महीने में कई नए रिकॉर्ड बने। एसआईपी 28,000 करोड़ रुपये को पार कर गए, एनएफओ ने 30,000 करोड़ रुपये जुटाए, इक्विटी फ्लो 42,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गया और कुल एयूएम (इक्विटी + डेट) 75 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गए।
ये वो तमाम कारण हैं, जिनके चलते भारतीय शेयर बाजार अब विदेशी निवेशकों के रुख पर निर्भर रहता है।
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