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    तो अब HAL खुद सैटेलाइट रॉकेट बनाकर करेगी स्पेस में लॉन्च, ISRO से मिलेगी टेक्नालॉजी, शेयर में जोरदार तेजी

    Updated: Wed, 10 Sep 2025 01:45 PM (IST)

    हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स (HAL) को इसरो से रॉकेट बनाने की टेक्नोलॉजी मिलेगी। इसके बाद इस पर 10 साल तक प्रोडक्शन की जिम्मेदारी होगी। इस खबर से एचएएल के शेयर (HAL Share Price) में तेजी आई है। टेक्नोलॉजी ट्रांसफर प्रोसेस 24 महीनों में पूरी होगी और पहला एसएसएलवी रॉकेट 2027 में तैयार हो जाएगा। ये कॉन्ट्रैक्ट एचएएल के लिए काफी अहम होगा।

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    एचएएल के शेयर में आई दो फीसदी से अधिक मजबूती

    नई दिल्ली। आज सरकारी डिफेंस कंपनी (Defence Stocks) हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स या एचएएल का शेयर (HAL Share Price) रॉकेट बन गया है। इसके शेयर में 91.50 रुपये या 2.05 फीसदी की तेजी आई है और दोपहर सवा 1 बजे ये BSE पर 4545 रुपये है। इसके शेयर में तेजी एक नया ऑर्डर मिलने की खबर के बीच आई है।

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    इसरो (ISRO) ने अपनी स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SSLV) टेक्नोलॉजी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL Small Satellite Launch) को ट्रांसफर कर दी है, जो भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (IN-SPACe) द्वारा फैसिलिएट किये गये 100वें टेक्नोलॉजी ट्रांसफर एग्रीमेंट (टीओटी) का प्रतीक है।

    क्या है टेक्नोलॉजी ट्रांसफर का मकसद

    इस टेक्नोलॉजी ट्रांसफर का मकसद SSLV मैन्युफैक्चरिंग तक एक्सेस को लोकतांत्रिक बनाकर भारत की स्पेस इंडस्ट्री को मजबूत करना और किफायती, विश्वसनीय लॉन्च सर्विसेज के ग्लोबल प्रोवाइडर के रूप में इसकी ग्रोथ को सपोर्ट देना है।

    2027 में बनकर तैयार होगा पहला रॉकेट

    टेक्नोलॉजी ट्रांसफर प्रोसेस, जो 24 महीनों के भीतर पूरी होनी है, का मतलब है कि एचएएल द्वारा बनाया जाने वाला पहला एसएसएलवी रॉकेट 2027 में तैयार हो जाएगा। एसएसएल वी एक तीन-फेज वाला व्हीकल है जिसे 500 किलोग्राम से कम वजन वाले सैटेलाइट को लोअर अर्थ ऑर्बिट (एलईओ) में लॉन्च के लिए डिजाइन किया गया है।

    10 साल की मिली जिम्मेदारी

    इस कॉन्ट्रैक्ट के तहत, एचएएल पहले दो वर्षों में इस तकनीक को अपने अंडर कर लेगी और उसके बाद 10 वर्षों का प्रोडक्शन फेज शुरू होगा। इस समझौते के तहत एचएएल को एसएसएल-वी तकनीक के लिए एक नॉन-एक्सक्लूजिव, नॉन-ट्रांसफरेबल लाइसेंस दिया गया है, जिसमें डिजाइन, निर्माण, क्वालिटी कंट्रोल, इंटीग्रेशन, लॉन्च ऑपरेशंस और पोस्ट-फ्लाइट एनालिसिस डॉक्यूमेंटेशन, साथ ही प्रशिक्षण और सपोर्ट शामिल है।

    एचएएल को फायदा

    यह स्ट्रैटजिक टेक्नोलॉजी ट्रांसफर एचएएल को एक कम्पोनेंट सप्लायर से एक मास-प्रोजेक्शन सर्विस प्रोवाइडर और तेजी से बढ़ते स्मॉल सैटेलाइट में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में कंवर्ट होने में सक्षम बनाएगा।

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    "शेयर से जुड़े अपने सवाल आप हमें business@jagrannewmedia.com पर भेज सकते हैं।"

    (डिस्क्लेमर : यहां शेयर की जानकारी दी गयी है, निवेश की सलाह नहीं। जागरण बिजनेस निवेश की सलाह नहीं दे रहा है। स्टॉक मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है, इसलिए निवेश करने से पहले किसी सर्टिफाइड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर से परामर्श जरूर करें।)