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    धीरूभाई अंबानी और रतन टाटा के बीच है यह खास कनेक्शन, जिसे बहुत कम लोग जानते हैं

    Updated: Sat, 27 Dec 2025 05:27 PM (IST)

    भारतीय उद्योग जगत के दिग्गज धीरूभाई अंबानी और रतन टाटा के बीच एक अनोखा संबंध है। दोनों का जन्म 28 दिसंबर को हुआ था, धीरूभाई 1932 में और रतन टाटा 1937 ...और पढ़ें

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    नई दिल्ली। धीरूभाई अंबानी और रतन टाटा भारतीय उद्योग जगत के दो सबसे बड़े और प्रभावशाली नाम है। दोनों बिजनेसमैन को आमतौर पर दो अलग-अलग कारोबारी धाराओं का प्रतीक माना जाता है। एक ओर जीरो से शिखर तक पहुंचने वाले धीरूभाई अंबानी और दूसरी ओर विरासत में मिले टाटा समूह को वैश्विक पहचान दिलाने वाले रतन टाटा रहे। लेकिन इन दोनों दिग्गजों के बीच एक ऐसा खास कनेक्शन है, जिसके बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी है।

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    एक ही दिन जन्म, अलग-अलग रास्ते

    धीरूभाई अंबानी और रतन टाटा दोनों का जन्म 28 दिसंबर को हुआ था। जहां धीरूभाई अंबानी का जन्म 28 दिसंबर 1932 को हुआ था। वहीं, रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को मुंबई में हुआ था। दोनों दिवंगत बिजनेसमैन की उम्र में 5 साल का अंतर है। धीरूभाई अंबानी रतन टाटा से 5 साल बड़े थे।

    यह संयोग भारतीय कॉरपोरेट इतिहास में अक्सर चर्चा का विषय रहा है। 28 दिसंबर अंबानी परिवार के लिए खास दिन माना जाता है, जिस दिन अक्सर रिलायंस से जुड़े बड़े ऐलान भी किए जाते रहे हैं। इसी दिन रतन टाटा का जन्मदिन भी होता है, जो हाल ही में 85 वर्ष के हो चुके हैं।

    प्रतिस्पर्धा के बावजूद आपसी सम्मान

    धीरूभाई अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज और रतन टाटा के नेतृत्व वाला टाटा समूह कई क्षेत्रों में प्रतिद्वंद्वी रहे। जैसे टेक्सटाइल, पेट्रोकेमिकल्स और टेलीकॉम सेक्टर प्रमुख हैं। इसके बावजूद दोनों उद्योगपतियों के बीच आपसी सम्मान और सौहार्द की भावना बनी रही।

    रिपोर्ट्स के मुताबिक, रिलायंस समूह की चेयरपर्सन नीता अंबानी ने मंचों पर रतन टाटा को धीरूभाई अंबानी का करीबी मित्र बताया था। यह रिश्ता सिर्फ धीरूभाई तक सीमित नहीं रहा, बल्कि मुकेश अंबानी और पूरे अंबानी परिवार तक फैला। यहां तक कि रतन टाटा को आकाश अंबानी का मार्गदर्शक (मेंटॉर) भी माना जाता है।

    अलग सोच, लेकिन एक जैसा विजन

    दोनों दिग्गजों की कारोबारी शैली अलग रही। धीरूभाई अंबानी को एक आक्रामक और इनोवेटिव उद्यमी के रूप में जाना जाता है, जिन्होंने इक्विटी कल्चर को आम लोगों तक पहुंचाया और रिलायंस को एक विशाल साम्राज्य बनाया। वहीं, रतन टाटा ने टाटा समूह को वैश्विक मंच पर पहुंचाया और नैतिकता, समाजसेवा और मूल्यों को हमेशा प्राथमिकता दी।

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    रतन टाटा का सफर

    रतन टाटा ने अपने करियर की शुरुआत 1961 में टाटा स्टील के शॉप फ्लोर से की थी, जहां वे लाइमस्टोन ढोने और ब्लास्ट फर्नेस पर काम करते थे। 1991 में जे. आर. डी. टाटा के पद छोड़ने के बाद वे टाटा संस के चेयरमैन बने। उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने जैगुआर-लैंड रोवर, कोरस, टेटली जैसी बड़ी वैश्विक कंपनियों का अधिग्रहण कर भारत की पहचान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत की।

    धीरूभाई अंबानी का सफर

    धीरूभाई अंबानी 1950 के दशक में यमन में 300 रुपये प्रति माह के वेतन से शेल कंपनी के पेट्रोल पंप पर नौकरी की शुरुआत की। 2 साल में मैनेजर बन गए। इस नौकरी को छोड़कर भारत आकर खुद का बिजनेस करने का रिस्क भी लिया।

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