सिर्फ ₹100 में खरीद पाएंगे डेढ़ लाख रुपये वाला MRF का शेयर, कॉरपोरेट कानून में ऐसा बदलाव करने जा रही है सरकार
संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में सरकार एक नया कॉर्पोरेट लॉ संशोधन बिल पेश करने जा रही है। इस बिल के माध्यम से फ्रैक्शनल शेयर को कानूनी मान्यता मिलेगी, जिससे MRF जैसे महंगे शेयर को भी 100 रुपये में खरीदना संभव हो जाएगा। छोटे निवेशकों के लिए यह एक बड़ा अवसर होगा।
नई दिल्ली। क्या आपने कभी सोचा था कि एक दिन MRF जैसा महंगा शेयर सिर्फ 100 रुपये में आपके पोर्टफोलियो में ही आ जाएगा? या हनीवेल ऑटोमेशन, पेज इंडस्ट्रीज, 3M इंडिया जैसे 40,000-1,50,000 रुपये वाले शेयरों का छोटा हिस्सा आप चाय के पैसे में खरीद सकेंगे। अब ये सपना नहीं, हकीकत बनने जा रहा है।
संसद के शीतकालीन सत्र में आने वाले नए कॉर्पोरेट लॉ संशोधन बिल से यह संभव होने जा रहा है। अब पूरा शेयर नहीं, उसका मनचाही हिस्सेदारी 100 रुपये, 500 रुपये, 5,000 रुपये आपके पास जितना बजट, उतने निवेश से खरीद सकेंगे।
कुछ खास कैटेगरी की कंपनियों के लिए फ्रैक्शनल शेयर (एक शेयर का आंशिक हिस्सा) और प्रोड्यूसर लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप (Producer LLP) जल्द ही कानूनी मान्यता मिलने वाली है। सरकार संसद के आगामी शीतकालीन सत्र (1 दिसंबर से शुरू) में कॉर्पोरेट कानूनों में संशोधन करने वाला बिल पेश करने जा रही है।
लोकसभा बुलेटिन के अनुसार कॉर्पोरेट लॉ (संशोधन) बिल, 2025 को पेश करने, विचार-विमर्श और पारित करने के लिए लिस्ट में शामिल किया गया है। यह बिल कंपनीज एक्ट 2013 और LLP एक्ट 2008 में संशोधन करेगा ताकि कारोबारी सुगमता बढ़े और कंपनी लॉ कमिटी की 2022 रिपोर्ट में चिह्नित कमियों को दूर किया जा सके।
फ्रैक्शनल शेयर को कानूनी मान्यता
अभी भारत में एक शेयर का आंशिक हिस्सा (fractional share) रखना या ट्रेड करना कानूनी रूप से मान्य नहीं है। कंपनी लॉ कमिटी ने सिफारिश की है कि कुछ निश्चित श्रेणी की कंपनियां फ्रैक्शनल शेयर जारी कर सकें, उन्हें रखा जा सके और ट्रांसफर भी किया जा सके।वजह: कई कंपनियों के शेयर बहुत महंगे हैं, जिससे छोटे रिटेल निवेशक पूरा शेयर नहीं खरीद पाते।
उदाहरण के तौर पर अमेरिका में बर्कशायर हैथवे (वॉरेन बफेट की कंपनी) का एक शेयर करीब $7,55,320 (लगभग ₹6.3 करोड़) का है, लेकिन वहां आप $100 या $1,000 का भी फ्रैक्शनल हिस्सा खरीद सकते हैं।
भारत में MRF का एक शेयर ₹1,52,210 का है। अगर कानून बदलता है तो आप ₹100, ₹1,000 या ₹10,000 का भी आंशिक हिस्सा खरीद सकेंगे। अमेरिका, कनाडा और जापान में यह सुविधा पहले से उपलब्ध है।
जनरल मीटिंग (AGM/EGM) के नियमों में ढील
कंपनियों को फिजिकल, वर्चुअल या हाइब्रिड मोड में मीटिंग करने की पूरी छूट। पूरी तरह ऑनलाइन EGM के लिए नोटिस पीरियड को केंद्र सरकार कम कर सकेगी।
एफिडेविट की जगह सेल्फ-डिक्लेरेशन
ज्यादातर मामलों में एफिडेविट देने की अनिवार्यता खत्म कर सिर्फ घोषणा (declaration) करने की सुविधा। लगातार तीन या ज्यादा साल कैश लॉस (डेप्रिशिएशन को छोड़कर) वाली कंपनियों को केंद्र, राज्य सरकार या नामित निवेशकों को डिस्काउंट पर शेयर जारी करने की इजाजत होगी।
नया कॉन्सेप्ट: प्रोड्यूसर LLP
LLP एक्ट में नया चैप्टर जोड़ा जाएगा जिसमें प्रोड्यूसर लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप की व्यवस्था होगी। छोटे किसानों/उत्पादकों के लिए यह ढांचा ज्यादा आसान और फायदेमंद होगा क्योंकि ऑडिट की अनिवार्यता सिर्फ ₹40 लाख टर्नओवर या ₹25 लाख कैपिटल के ऊपर बनाना आसान, प्रबंधन लचीला, टैक्स में भी फायदा होगा।
कंपनीज एक्ट में पहले से प्रोड्यूसर कंपनी का प्रावधान है, लेकिन LLP का ढांचा छोटे उत्पादकों के लिए ज्यादा उपयुक्त माना गया।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।