वॉरन बफेट का 90/10 रूल आपकी इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटेजी को बना देगा बेहद आसान, बिना माथापच्ची के मिलेगा जबरदस्त रिटर्न
वॉरेन बफेट (Warren Buffet) का 90/10 नियम निवेश का एक सरल तरीका है। इसके अनुसार, अपनी निवेश राशि का 90% कम लागत वाले इंडेक्स फंड में और 10% सरकारी बॉन्ड में लगाएं। यह नियम लंबी अवधि में बेहतर रिटर्न, कम जोखिम और कम तनाव प्रदान करता है। यह उन लोगों के लिए उपयुक्त नहीं है जो सेवानिवृत्ति के करीब हैं।

क्या है वॉरेन बफेट का 90/10 इंवेस्टिंग रूल
नई दिल्ली। निवेश के अलग-अलग रूत होते हैं। इनमें से एक है 90/10 का नियम, जिसे फॉलो करने की सलाह मशहूर वॉरेन बफेट (Warren Buffet Investing Rules) आम निवेशकों को देते हैं। कैसे काम करता है ये नियम और क्या हैं इसके फायदे, आइए जानते हैं।
कहां लगाएं पैसा
वॉरेन बफेट के 90/10 के नियम के तहत अपनी कुल निवेश राशि में से 90% एक कम लागत वाले इंडेक्स फंड में और बाकी 10% शॉर्ट-टर्म सरकारी बॉन्ड में लगाएं। आइडिया सिंपल है - ज्यादातर लोगों के पास अलग-अलग स्टॉक में इन्वेस्ट करने के बारे में अच्छे फैसले लेने के लिए जरूरी जानकारी नहीं होती।
इसलिए सरकारी बॉन्ड और इंडेक्स फंड पर भरोसा करें।
क्या होते हैं इसके फायदे
लंबे समय में रिटर्न - इंडेक्स फंड लॉन्ग टर्म में अच्छा रिटर्न दे सकते हैं। क्योंकि इंडेक्स मार्केट चढ़ने पर ऊपर जाते हैं।
कम रिस्क - इक्विटी में 90% एलोकेशन कुछ इन्वेस्टर्स को थोड़ा डरा कर सकता है, लेकिन रिस्क एक ब्रॉड इंडेक्स फंड द्वारा दिए गए डाइवर्सिफिकेशन और इसकी कंपनियों की क्वालिटी और साइज से सीमित हो जाता है।
कम फीस - कंपाउंडिंग के कारण, सालाना फीस में मामूली अंतर भी समय के साथ पोर्टफोलियो के साइज में बड़ा अंतर पैदा कर सकता है। आम तौर पर कुछ इंडेक्स फंड में कम फीस होती है, इसलिए ये बेहतर ऑप्शन हैं।
लगाना पड़ता है कम समय - 90/10 से ज्यादा आसान कुछ नहीं है। हर तीन महीने या साल में एक बार अपने निवेश पोर्टफोलियो को रीबैलेंस करें और आपके समय की बचत होगी। अलग-अलग इन्वेस्टमेंट पर विचार करने में ज्यादा समय खर्च करने की जरूरत नहीं है।
कम स्ट्रेस - कई इन्वेस्टर्स, खासकर कम अनुभव वाले, मार्केट में इन्वेस्ट करने के इमोशनल रोलर कोस्टर को मैनेज करने में चुनौती महसूस करते हैं। इंडेक्स फंड में ये सब नहीं करना होता। सारी चीजें मार्केट पर निर्भर करती हैं।
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इन लोगों के लिए नहीं है ये रूल
बफेट का 90/10 रूल सभी इन्वेस्टर्स के लिए अच्छा नहीं हो सकता। खासकर उन लोगों के लिए जो पहले ही रिटायर हो चुके हैं या रिटायरमेंट के करीब हैं। क्योंकि उनके पास मार्केट को किसी भी बड़ी गिरावट से उबरने के लिए कम समय मिलेगा।
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(डिस्क्लेमर: यहां शेयर बाजार की जानकारी दी गयी है, निवेश की राय नहीं। जागरण बिजनेस निवेश की सलाह नहीं दे रहा है। स्टॉक मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है, इसलिए निवेश करने से पहले किसी सर्टिफाइड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर से परामर्श जरूर करें।)

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