सोने के बदले कर्ज लेने में आया जबरदस्त उछाल, क्या है इसका सबसे बड़ा कारण; क्यों काम नहीं आ रहे RBI के अंकुश?
भारतीयों में सोने के बदले कर्ज लेने (Gold loan) की प्रवृत्ति में भारी उछाल आया है। जुलाई 2025 तक गोल्ड लोन में 122% की वृद्धि हुई है। सोने की कीमतों में वृद्धि बैंकों द्वारा पर्सनल लोन पर सख्ती और गोल्ड लोन की आसान उपलब्धता इसके मुख्य कारण हैं। आरबीआई के अंकुश के बावजूद छोटे शहरों और गांवों में भी गोल्ड लोन की मांग बढ़ रही है।

नई दिल्ली। RBI के बैंकों और वित्तीय संस्थानों पर लगाए गए अंकुश के बावजूद आम भारतीयों में सोने के बदले कर्ज लेने (Gold loan) की प्रवृत्ति में जबरदस्त उछाल आया है। आंकड़े बताते हैं कि सोने के आभूषणों के बदले कर्ज (गोल्ड लोन) लेने की प्रवृत्ति में जुलाई, 2025 (कैलेंडर वर्ष) तक 122 प्रतिशत की भारी वृद्धि दर्ज की गई है, जो पिछले वर्ष की समान अवधि के 44 प्रतिशत की बढ़ोतरी से कहीं अधिक है।
सोने की कीमतों में भारी उछाल को इसका सबसे बड़ा कारण बताया जा रहा है। RBI की तरफ से जारी सितंबर, 2025 बुलेटिन के मुताबिक पिछले कैलेंडर वर्ष में जुलाई, 2024 तक देश के बैं¨कग और वित्तीय सेक्टर ने गोल्ड लोन के तौर पर 1,32,535 करोड़ बांटे थे, जो इस साल जुलाई तक बढ़कर 2,94,166 करोड़ रुपये हो गया है।
अगर इसके मुकाबले दूसरी परिसंपत्तियों पर कर्ज लेने की प्रवृति देखें तो यह बात सामने आती है कि शेयरों व बांड्स के बदले लोन लेने की रफ्तार में सिर्फ 3.3 प्रतिशत, बैंकों की फिक्स्ड डिपोजिट स्कीम के बदले कर्ज लेने की रफ्तार में 16.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
गोल्ड लोन बढ़ने की पहली वजह
दरअसल, सोने को लेकर भारतीयों की आस्था और इसकी कीमतों में भारी उछाल को गोल्ड लोन में हो रही वृद्धि का सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है।
इस कारोबार के फायदे को देखते हुए छोटे-बड़े गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के अलावा बैंकों की तरफ से भी जमकर गोल्ड लोन दिया जाने लगा है। 26 सितंबर, 2025 को सोने की कीमत बढ़कर 1,17,700 रुपये थी।
जबकि पिछले साल 31 दिसंबर को यह 78,950 के स्तर पर था। इस तरह इस साल अब तक सोने की कीमत में 38,750 रुपये की बढ़ोतरी हो चुकी है। इससे उधारकर्ताओं को कम सोने की बदले अधिक कर्ज मिल रहा है।
गोल्ड लोन बढ़ने की दूसरी वजह
गोल्ड लोन में वृद्धि की एक बड़ी वजह यह है कि RBI ने पर्सनल लोन जैसे अनसिक्योर्ड लोन पर 'रिस्क वेट' बढ़ा दिया है। यानी बैंक जितना पर्सनल लोन देते हैं उसकी 125 प्रतिशत राशि संरक्षित रखनी होती है।
ऐसे मे बैंक पर्सनल लोन को बढ़ावा नहीं देते। इस वजह से आम जनता को गोल्ड लोन लेना ज्यादा सही लगता है।
बैंक अधिकारी बताते हैं कि अब छोटे-छोटे गांवों और कस्बों में भी लोग गोल्ड लोन लेने लगे हैं. यह भी देखा गया है कि माइक्रोफाइनेंस सस्थानों (एमएफआइ) से कर्ज लेने वाला आर्थित तौर पर पिछड़ा वर्ग भी गोल्ड लोन की तरफ आ रहा है। सनद रहे कि एमएफआइ से लोन लेने की प्रवृति कम हुई है।
गोल्ड लोन बढ़ने की तीसरी वजह
गोल्ड लोन की आसान उपलब्धता और डिजिटल प्रक्रियाओं ने इसे और आकर्षक बना दिया है। एनबीएफसी और स्माल फाइनेंस बैंक ग्रामीण क्षेत्रों में तेजी से विस्तार कर रहे हैं और इनकी तरफ से गोल्ड लोन को खूब बढ़ावा दिया जा रहा है।
आरबीआई की फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट (एफएसआर) और कुछ अन्य रिपोर्टों के मुताबिक गोल्ड लोन का बाजार 2024 में 7.1 लाख करोड़ रुपये का था, जो 2028 तक दोगुना होकर 14.19 लाख करोड़ रुपये होने की उम्मीद है।
वैसे इस दौरान गोल्ड लोन वर्ग में गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (एनपीए) के बढ़ने के भी संकेत साफ मिल रहे हैं। RBI ने इस साल दो बार अप्रैल और जून माह में गोल्ड लोन से जुड़े जोखिमों को कम करने के लिए दो बार अपने नियमों को बदला है।
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