Gold SIP vs Silver SIP: सोना में 70% और चांदी में 30% निवेश कर लिया तो...एक्सपर्ट्स के ये टिप्स बना देंगे मालामाल
Gold Investment घर-घर सोना-चांदी खरीदने की परंपरा है। लेकिन इस बार सवाल सिर्फ गहनों तक सीमित नहीं है बल्कि निवेश का भी है। जहां सोना हर दिन नए-नए रिकॉर्ड बना रहा तो वहीं चांदी की चमक सोने से ज्यादा खरी होती जा रही है। खास बात यह है कि SIP से दोनों में निवेश आसान हो गया है। तो आइए समझते हैं कि निवेश करना किसमें है सही।

नई दिल्ली| Gold Investment: त्योहारी सीजन में घर-घर सोना-चांदी खरीदने की परंपरा है। लेकिन इस बार सवाल सिर्फ गहनों तक सीमित नहीं है, बल्कि निवेश का भी है। जहां सोना हर दिन नए-नए रिकॉर्ड बना रहा तो वहीं चांदी की चमक सोने से ज्यादा खरी होती जा रही है। खास बात यह है कि एसआईपी यानी सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट (Gold SIP vs Silver SIP) प्लान से दोनों में निवेश आसान हो गया है। तो आइए समझते हैं कि फायदे-नुकसान किसमें हैं और निवेश के लिए आपकी क्या रणनीति होनी चाहिए?
सोने का जलवा कायम
भारत में सोना हमेशा से 'सेफ हेवन' माना गया है। 2025 में भी सोना लगातार रिकॉर्ड बना रहा है। ताजा आंकड़े बताते हैं कि स्पॉट गोल्ड $3,777.80 प्रति औंस तक पहुंच गया, जबकि अमेरिकी फ्यूचर्स $3,815.70 पर बंद हुए। यानी सोने में स्थिरता और महंगाई से बचाव की क्षमता आज भी बनी हुई है। यही कारण है कि बड़े निवेशक और सेंट्रल बैंक इसे खूब खरीद रहे हैं।
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सोने के फायदे:
- महंगाई और करेंसी रिस्क से बचाव।
- वोलैटिलिटी कम।
- लंबे समय के लिए स्थिर रिटर्न।
सोने की कमी:
- कीमतें बहुत ऊंची, छोटे निवेशक के लिए महंगा सौदा।
- ग्रोथ पोटेंशियल चांदी की तुलना में कम।
चांदी पर क्यों है नजर?
त्योहारी सीजन में चांदी भी गहनों और गिफ्टिंग के लिए खूब खरीदी जाती है। लेकिन इस बार इसकी चर्चा निवेश की वजह से ज्यादा है। चांदी की खासियत है कि इसका इस्तेमाल सिर्फ आभूषणों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सोलर पैनल, इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिक वाहन (EVs) और मेडिकल डिवाइस जैसी इंडस्ट्रीज में भी बड़ी मात्रा में होता है।
चांदी के फायदे
- सोने से सस्ती, आम निवेशक के लिए आसान।
- इंडस्ट्रियल डिमांड के कारण ज्यादा ग्रोथ की संभावना।
- SIP से निवेश करने पर एवरेजिंग का फायदा।
चांदी की कमी
- कीमतों में उतार-चढ़ाव ज्यादा।
- इंडस्ट्री पर निर्भरता, यानी मंदी आई तो कीमत गिर सकती है।
- भारत में सिल्वर ETF अभी नए हैं, लिक्विडिटी कम है।
SIP से कैसे काम करता है निवेश?
जैसे म्यूचुअल फंड SIP में हर महीने एक तय रकम लगाते हैं, वैसे ही गोल्ड या सिल्वर ETF में SIP से निवेश किया जा सकता है। इसमें आपको धातु को भौतिक रूप से खरीदने की जरूरत नहीं होती। आपके डिमैट अकाउंट में यूनिट्स जुड़ जाती हैं। इससे स्टोरेज और प्योरिटी की टेंशन खत्म हो जाती है।
इन्वेस्टमैट स्ट्रैटजी: किसे चुनें?
एक्सपर्ट्स मानते हैं कि सोना आपके पोर्टफोलियो की नींव होनी चाहिए, क्योंकि इसमें स्थिरता है। वहीं चांदी में छोटे हिस्से से SIP शुरू करना सही रहेगा, ताकि इंडस्ट्रियल ग्रोथ का फायदा मिल सके। यानी साफ शब्दों में कहें तो 70% निवेश सोने में रखें ताकि सुरक्षा बनी रहे। 30% निवेश चांदी में करें ताकि ग्रोथ का मौका मिले। SIP से दोनों में नियमित निवेश करने पर कीमतों का उतार-चढ़ाव भी बैलेंस हो जाता है।
सोना-चांदी इंडस्ट्री से जुड़े लोगों का भी मानना है कि अगर आप इस त्योहारी सीजन में सोना-चांदी खरीदने का सोच रहे हैं, तो सोना स्थिरता देता है, चांदी ग्रोथ का चांस। समझदारी यही है कि दोनों को बैलेंस करके SIP के जरिए निवेश करें। इससे त्योहार की खुशियां तो मिलेंगी ही, आने वाले सालों में संपत्ति बनाने का रास्ता भी खुलेगा।
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