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Budget 2023: स्वदेशी अभियान को और विस्तार देगा रेलवे, 'मेक इन इंडिया' के लिए 20 प्रतिशत तक बढ़ सकता है रेल बजट

रेलवे बोर्ड ने स्वदेशी निर्माण को गति देने के लिए बजट पूर्व मीटिंग के बाद वित्त मंत्रालय से 25 से 30 प्रतिशत अधिक फंड की मांग की है। माना जा रहा है कि रेलवे को लगभग दो लाख करोड़ की राशि मिल सकती है।

By Jagran NewsEdited By: Anurag GuptaPublished: Sat, 28 Jan 2023 09:04 PM (IST)Updated: Sat, 28 Jan 2023 09:04 PM (IST)
Budget 2023: स्वदेशी अभियान को और विस्तार देगा रेलवे, 'मेक इन इंडिया' के लिए 20 प्रतिशत तक बढ़ सकता है रेल बजट
Budget में स्वदेशी अभियान को और विस्तार देगा रेलवे

नई दिल्ली, अरविंद शर्मा। अगले बजट में रेलवे का जोर मेक इन इंडिया पर ज्यादा रह सकता है। अगले सात वर्षों के दौरान रेलवे के पूरी तरह कायांतरण की तैयारी है। घिसी-पिटी शेष पटरियों को बदलना है, ताकि पुरानी ट्रेनों को नए संस्करण की सुरक्षित और तीव्र गति वाली ट्रेनों में परिवर्तित किया जा सके। यह सब सौ प्रतिशत अपने कल-पुर्जे से करने के साथ ही निर्यात की तरफ प्रस्थान भी करना है। देश में ट्रेन से प्रतिदिन ढाई से तीन करोड़ लोग सफर करते हैं। उन्हें सुरक्षित और समय से गंतव्य तक पहुंचाने के लिए स्टेशनों का पुनर्निर्माण, साफ-सफाई, सुविधाजनक एवं सुरक्षित ट्रेनों का निर्माण किया जा रहा है।

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स्वदेशी निर्माण को गति देने के लिए रेलवे बोर्ड ने बजट पूर्व मीटिंग के बाद वित्त मंत्रालय से 25 से 30 प्रतिशत अधिक फंड की मांग की है। माना जा रहा है कि रेलवे को लगभग दो लाख करोड़ की राशि मिल सकती है। अनुमान है कि मेक इन इंडिया अभियान को आगे बढ़ाने के लिए रेलवे बजट में 20 प्रतिशत तक वृद्धि कर सकता है।

पीछे छूटीं कोरोना की चुनौतियां

कोरोना की चुनौतियों को पीछे छोड़ते हुए रेलवे ने पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में अब तक 42 हजार करोड़ से अधिक राजस्व प्राप्त किया है। रेलवे की आय 71 प्रतिशत तक बढ़ी है। आय बढ़ाने पर अब ट्रेनों के निर्माण के लिए बेहतर घरेलू इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण पर ध्यान दिया जा रहा है। रेलवे अपनी आवश्यकताओं के 97 से 98 प्रतिशत तक घरेलू निर्माण से पूरा करने लगा है।

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चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्टरी से प्रत्येक महीने सात से आठ वंदे भारत ट्रेनों का निर्माण किया जा रहा है। इसने पहला स्वदेशी ट्रेन सेट सिर्फ डेढ़ वर्ष में डिजाइन कर बनाया था। 15 अगस्त तक 75 वंदे भारत ट्रेन चलाने का लक्ष्य पूरा करने के लिए कपूरथला एवं रायबरेली की कोच फैक्टरी से जल्द इस ट्रेन का निर्माण प्रारंभ होने वाला है। बेंगलुरू की रेल व्हील फैक्टरी और बेला स्थित रेल व्हील प्लांट पहियों, इंजन और सवारी डिब्बों की आपूर्ति कर रहा है। दोनों ने इस वित्तीय वर्ष में एक लाख से ज्यादा पहिए बनाए, जो गत वर्ष से 6.5 गुना अधिक है।

सुरक्षा कवच के निर्यात की तैयारी

रेलवे ने स्वदेशी तकनीक से उपकरण विकसित कर ट्रेन दुर्घटनाओं को शून्य पर लाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। सिग्नल की अनदेखी एवं तेज गति के दौरान मानवीय त्रुटियों के कारण होने वाली घटनाओं को रोकने के लिए रेलवे ने स्वदेशी प्रणाली 'कवच' विकसित की है। पहले चरण में तीन हजार किमी के दो मार्गों दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा रेलवे लाइन पर इस प्रणाली को लगाया जा रहा है। इसे चरणबद्ध तरीके से इसे सभी मार्गों पर लगाया जाएगा। बाद में इसके निर्यात की भी तैयारी है।

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