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    Budget 2024: आगामी बजट में आम जनता को मिलनी चाहिए राहत, इनकम टैक्स के बोझ को कम करने की हुई मांग

    Updated: Sun, 14 Jul 2024 03:00 PM (IST)

    Budget 2024- 2025 प्रत्यक्ष कर व्यवसायियों के एक निकाय ने सरकार से आग्रह किया है कि आगामी बजट में नागरिकों पर व्यक्तिगत आयकर का बोझ कम करें। ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ टैक्स प्रैक्टिशनर्स (AIFTP) के अध्यक्ष नारायण जैन ने टैक्स संबंधित मुद्दों को लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को ज्ञापन दिया है। आइए इस रिपोर्ट में विस्तार से जानते हैं।

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    Budget 2024: आम जनता के लिए कम होना चाहिए इनकम टैक्स का बोझ

    पीटीआई, नई दिल्ली। 23 जुलाई 2024 (मंगलवार) को वित्त वर्ष 2024-25 के लिए यूनियन बजट (Union Budget) पेश होगा। इस बजट से कई उम्मीदें बनी हुई है। आम जनता को उम्मीद है कि सरकार महंगाई को कम करने और टैक्स बोझ को कम करने के लिए कोई एलान कर सकते हैं।

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    प्रत्यक्ष कर व्यवसायियों के एक निकाय ने 14 जुलाई 2024 (रविवार) को सरकार से नागरिकों पर व्यक्तिगत आयकर का बोझ कम करने का आग्रह किया। निकाय ने कहा कि सरकार को आगामी बजट में इस मुद्दे पर भी ध्यान देना चाहिए।

    आसान होना चाहिए टैक्स स्ट्रक्चर

    ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ टैक्स प्रैक्टिशनर्स (AIFTP) के अध्यक्ष नारायण जैन ने कहा कि सरकार को टैक्स छूट की लिमिट को बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर देना चाहिए। इसके अलावा नारायण जैन ने टैक्स स्ट्रक्चर को सरल बनाने पर जोर दिया। नारायण जैन ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को इससे संबंधित ज्ञापन दिया है।

    जैन द्वारा दिए गए ज्ञापन के अनुसार जैन ने कहा कि 5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये के बीच की इनकम पर 10 फीसदी, 10 लाख रुपये से 20 लाख रुपये के बीच की आय पर 20 प्रतिशत और 20 लाख रुपये से अधिक की सालाना आय पर 25 प्रतिशत का टैक्स लगाया जाए।

    नारायण जैन कलकत्ता सिटीजन्स इनिशिएटिव के अध्यक्ष भी हैं। जैन ने अधिभार यानी सरचार्ज और उपकर (Cess) को खत्म करने का सुझाव दिया। उन्होंने तर्क दिया कि अब इसकी निरंतरता उचित नहीं है।

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    जैन ने कहा कि सरकार शिक्षा उपकर का उपयोग कैसे करती है इसकी बारे में नहीं बताती है। ऐसे में उन्होंने जोर दिया कि शिक्षा और चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करना सरकार का मौलिक कर्तव्य है। ऐसे में सरकार को बताना चाहिए कि शिक्षा उपकर का उपयोग कैसे किया जा रहा है।

    दैन द्वारा दिये गए ज्ञापन में अस्पष्ट कैश क्रेडिट, लोन, निवेश और व्यय पर धारा 115बीबीई के तहत कर की दर को लेकर कहा कि इसे वापस 30 प्रतिशत पर लाना चाहिए। सरकार ने विमुद्रीकरण अवधि के दौरान इसे 75 प्रतिशत और उपकर बढ़ा दिया था।

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