डीमर्जर के बीच Vedanta के ₹13226 करोड़ के दांव का खुलासा, नंबर 1 एल्युमीनियम उत्पादक और बढ़ाएगी अपनी कैपेसिटी
वेदांता लिमिटेड वित्त वर्ष 2027-28 तक अपनी एल्यूमीनियम (Vedanta Aluminium Investment) क्षमता को 31 लाख टन प्रति वर्ष तक बढ़ाने के लिए 13226 करोड़ रुपये का निवेश करने की योजना बना रही है। कंपनी एल्यूमीनियम को ग्रोथ स्ट्रैटजी के केंद्र में रख रही है। वेदांता घरेलू बाजार में 50% से अधिक हिस्सेदारी के साथ नंबर 1 भारतीय एल्यूमीनियम उत्पादक है। डीमर्जर की डेडलाइन अब बढ़कर मार्च 2026 हो गई है।

नई दिल्ली। अनिल अग्रवाल की वेदांता लिमिटेड वित्त वर्ष 2027-28 तक अपनी एल्युमीनियम क्षमता को 31 लाख टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) तक बढ़ाने के लिए 13,226 करोड़ रुपये निवेश करने की योजना बना रही है। कंपनी की मौजूदा सालाना क्षमता 24 लाख टन प्रति वर्ष है।
वेदांता लिमिटेड एल्युमीनियम को अपनी ग्रोथ स्ट्रैटजी के केंद्र में रख रही है और एक विस्तार योजना के तहत वित्त वर्ष 2027-28 तक इसकी क्षमता 31 लाख टन प्रति वर्ष हो जाएगी। उन्होंने बताया कि कंपनी इस विस्तार के लिए अगले कुछ वर्षों में 13,226 करोड़ रुपये निवेश करने की योजना बना रही है।
नंबर 1 एल्युमीनियम उत्पादक
इस्पात के बाद दुनिया में दूसरी सबसे अधिक खपत वाली धातु एल्युमीनियम है और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, रिन्यूएबल एनर्जी, शहरी इंफ्रास्ट्रक्चर और एयरोस्पेस में इसका इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है। वेदांता घरेलू बाजार में 50 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी के साथ देश की नंबर 1 एल्युमीनियम उत्पादक है।
बाल्को, जिसमें वेदांता की अधिकतर हिस्सेदारी है, भी 10 लाख टन उत्पादन क्षमता हासिल करने के लिए तैयार है।
डीमर्जर की डेट आगे बढ़ी
अरबपति कारोबारी अनिल अग्रवाल की वेदांता (Vedanta Demerger Date) ने एनसीएलटी और कुछ अन्य सरकारी अथॉरिटीज से मंजूरी मिलने में हो रही देरी के चलते अपने डीमर्जर की डेडलाइन 30 सितंबर 2025 से बढ़ाकर मार्च 2026 कर दी। पहले डेडलाइन को 31 मार्च से बढ़ाकर 30 सितंबर किया गया था।
4 नई कंपनियां बनेंगी
वेदांता का जब डीमर्जर पूरा हो जाएगा, तो चार कंपनियाँ बनेंगी, जिनमें वेदांता एल्युमिनियम मेटल लिमिटेड, तलवंडी साबो पावर लिमिटेड (टीएसपीएल), माल्को एनर्जी लिमिटेड और वेदांता आयरन एंड स्टील लिमिटेड शामिल हैं।
सितंबर में, कंपनी को अपने डीमर्जर प्लान में बड़ी राहत मिली जब NCLAT ने टीएसपीएल को वेदांता से अलग होने की अनुमति दे दी। इस फैसले ने उस पिछले आदेश को पलट दिया जिसने इस कदम को रोक दिया था। डीमर्जर की कुछ शर्तें हैं, जिनमें एनसीएलटी की मुंबई पीठ के साथ-साथ कुछ सरकारी अथॉरिटीज से मंजूरी मिलना भी शामिल है।
इन शर्तों के अभी भी प्रोसेस में होने के कारण, वेदांता के बोर्ड और परिणामी कंपनियों ने शर्तों को पूरा करने की डेडलाइन को 31 मार्च 2026 तक बढ़ाया है।
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(भाषा इनपुट के साथ)
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