Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    क्या Google को बेचना होगा अपना Chrome ब्राउजर? अमेरिकी कोर्ट ने सुना दिया अपना फैसला

    Updated: Wed, 03 Sep 2025 10:00 AM (IST)

    एक अदालत ने गूगल के मामले (Google Antitrust Case) में बड़ा फैसला सुनाया है। जज के अनुसार गूगल को सर्च रिजल्ट्स और कुछ डेटा प्रतिद्वंद्वी कंपनियों के साथ साझा करना होगा। पर जज के अनुसार इसे अपना क्रोम वेब ब्राउजर बेचने की जरूरत नहीं है। जज अमित पी. ​​मेहता ने ये फैसला सुनाया।

    Hero Image
    गूगल की मोनोपोली पर कोर्ट ने दिया बड़ा फैसला

    नई दिल्ली। एक अमेरिकी अदालत के एक फेडरल जज ने मंगलवार को गूगल से जुड़े मामले (Google Antitrust Case) में बड़ा फैसला सुनाया। जज ने कहा कि गूगल को अपने सर्च रिजल्ट्स और कुछ डेटा अपनी प्रतिद्वंद्वी कंपनियों को सौंपना होगा। हालांकि जज ने कहा कि गूगल को अपना क्रोम वेब ब्राउजर बेचकर (Chrome Sell News) खुद को विभाजित करने की जरूरत नहीं है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कोलंबिया के अमेरिकी जिला अदालत के जज अमित पी. ​​मेहता द्वारा दिया गया यह फैसला, सिलिकॉन वैली की पावर पर लगाम लगाने के लिए सरकार द्वारा प्रस्तावित बदलावों से हल्का माना जा रहा है।

    मोनोपोली पर क्या थी सरकार की योजना

    जज मेहता ने 223 पेज के अपने फैसले में कहा कि गूगल को अपने एकाधिकार यानी मोनोपोली को समाप्त करने के लिए अपने कुछ सर्च डेटा को "क्वालिफाइड कॉम्पिटिटर्स" के साथ शेयर करना होगा। न्याय विभाग ने न्यायाधीश से गूगल को अपना और भी ज्यादा डेटा शेयर करने के लिए बाध्य करने को कहा था और तर्क ये दिया था कि यह गूगल के डोमिनेंस के लिए महत्वपूर्ण है।

    गूगल की इन पेमेंट्स पर लगी रोक

    न्यायाधीश मेहता ने उन पेमेंट्स पर भी रोक लगा दी जिनका उपयोग गूगल अपने सर्च इंजन को वेब ब्राउजर और स्मार्टफोन पर प्रमुखता से दिखने के लिए करता है। हालाँकि, उन्होंने उन भुगतानों पर पूरी तरह से प्रतिबंध नहीं लगाया और सरकार के उस अनुरोध को भी स्वीकार नहीं किया जिसमें गूगल को क्रोम बेचने के लिए बाध्य किया गया था।

    इसके बारे में सरकार का कहना था कि सर्च मोनोपोली के रूप में कंपनी की शक्ति को कम करने के लिए यह जरूरी है।

    कई सालों तक चल सकता है ये मामला

    एकाधिकार को कैसे दूर किया जाए, इस पर यह फैसला आधुनिक इंटरनेट युग में अपनी तरह का पहला है। 20 साल से भी ज्यादा पहले माइक्रोसॉफ्ट के खिलाफ एक अविश्वास प्रस्ताव के बाद से टेक्निकल फील्ड को बराबर करने का एक अहम प्रयास भी माना जा रहा है।

    आगे गूगल ने अपील करने की योजना बनाई है, और यह मामला कई सालों तक अदालतों में उलझा रहने की संभावना है।

    ये भी पढ़ें - GST Council 56th Meeting: कहां और कितने बजे शुरू होगी जीएसटी परिषद की बैठक, कौन-कौन होगा शामिल, ये रहेगा बड़ा एजेंडा

    सरकार के प्रयासों के लिए झटका

    यह फैसला हाल के वर्षों में सबसे बड़ी तकनीकी कंपनियों के डोमिनेंस को चुनौती देने के लिए सरकार के प्रयासों के लिए एक झटका है। बाइडेन और ट्रंप, दोनों ही प्रशासनों के तहत, फेडरल सरकार ने गूगल, एप्पल, अमेज़न और मेटा पर प्रतिस्पर्धा-विरोधी व्यवहार (Anticompetitive Behavior) का आरोप लगाया, जिसका मकसद इंटरनेट के कुछ हिस्सों पर अवैध रूप से एकाधिकार करना है।