Tata Trusts में नहीं थम रही उथल-पुथल, अब ट्रस्टी मेहली मिस्त्री ने रख दी नई शर्त; क्या होगा बदलाव?
टाटा ट्रस्ट्स में जारी उथल-पुथल के बीच, ट्रस्टी मेहली मिस्त्री ने वेणु श्रीनिवासन की पुनर्नियुक्ति के लिए एक शर्त रखी है। मिस्त्री ने भविष्य में सभी ट्रस्टी रिन्यूअल पर एकमत होने की मांग की है, अन्यथा उनकी मंजूरी वापस ले ली जाएगी। पहला रिन्यूअल मिस्त्री का ही होना है। यह शर्त उन्हें ट्रस्ट से बाहर करने से रोकने का प्रयास है।

टाटा ट्र्स्ट्स में दिख रही विश्वास की कमी, एक ट्रस्टी ने रखी शर्त
नई दिल्ली। टाटा ट्रस्ट्स (Tata Trusts) में चल रही उथल-पुथल फिलहाल शांत होने के संकेत नहीं मिल रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि भारत के सबसे बड़े बिजनेस ग्रुप को कंट्रोल करने वाले पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट टाटा ट्रस्ट्स के एक ट्रस्टी मेहली मिस्त्री (Mehli Mistry) ने वेणु श्रीनिवासन को सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट के ट्रस्टी और वाइस चेयरमैन के तौर पर फिर से नियुक्त करने के लिए कंडीशनल मंजूरी दी है। यानी एक शर्त रखी गयी है।
इस शर्त के तहत उन्होंने अन्य ट्रस्टियों से आपसी तालमेल की मांग की है, जो इसलिए भी जरूरी है क्योंकि मिस्त्री का अपना रिन्यूअल 28 अक्टूबर को होना है। मिस्त्री की कंडीशन है कि भविष्य के सभी ट्रस्टी रिन्यूअल (ट्रस्टियों के कार्यकाल को आगे बढ़ाना) को एकमत से मंजूरी मिलनी चाहिए। अगर भविष्य में किसी ट्रस्टी को फिर से नियुक्त करने का कोई भी प्रस्ताव एकमत नहीं होता है, तो उनकी वेणु श्रीनिवासन के लिए दी गयी मंजूरी वापस ले ली जाएगी।
मेहली मिस्त्री का होगा पहले रिन्यूअल
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पहला रिन्यूअल जिस पर ये शर्त लागू होगी, वह मिस्त्री का खुद का है। मिस्त्री ने जो शर्त रखी है, वह उन्हें रिन्यूअल न देने और इस तरह उन्हें ट्रस्ट से बाहर करने के किसी भी कदम को रोकती है।
यानी किसी शक से बचने के लिए, अगर कोई ट्रस्टी वेणु श्रीनिवासन को फिर से नियुक्त करने वाला प्रस्ताव पास नहीं करना चाहता, या बाकी सभी ट्रस्टियों के लिए उनके कार्यकाल खत्म होने पर सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास नहीं करना चाहता, तो ऐसी स्थिति में, मेहली वेणु श्रीनिवासन को फिर से नियुक्त करने के लिए अपनी औपचारिक मंजूरी नहीं देंगे।
लाइफटाइम के लिए होगा रीअपॉइंटमेंट
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ये रीअपॉइंटमेंट अब लाइफटाइम के लिए होंगी, क्योंकि ग्रुप के लंबे समय तक चेयरमैन रहे रतन टाटा के गुजर जाने के बाद, ट्रस्टियों ने तय किया था कि जब उनका मौजूदा टर्म एकमत से रिन्यू होगा, तो वे बिना किसी तय समय के लाइफटाइम ट्रस्टी बने रहेंगे।
इस तरह लाइफटाइम के लिए अपॉइंट होने वाले पहले ट्रस्टी नोएल टाटा थे, जिन्हें ट्रस्ट्स का चेयरमैन बनाया गया। उन्होंने रतन टाटा की जगह ली थी। सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट के ट्रस्टी के तौर पर उनका टर्म इस साल जनवरी में लाइफटाइम के लिए रिन्यू कर दिया गया था, जब उनका तीन साल का टर्म खत्म हो गया था।
ये भी पढ़ें - इस बिल्डिंग के सामने मुकेश अंबानी का ₹15,000 करोड़ वाला एंटीलिया भी छोटा, कितने में हुई तैयार; कौन है मालिक
रतन टाटा के करीबी
रतन टाटा के करीबी सहयोगी रहे मेहली मिस्त्री ग्रुप के मामलों में काफी असर रखते हैं। उन्होंने 11 सितंबर को टाटा ट्रस्ट्स की एक मीटिंग में टाटा संस के बोर्ड से विजय सिंह को नॉमिनी डायरेक्टर के तौर पर हटाने की कोशिश का समर्थन किया था।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।