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    नोएल टाटा और एन चंद्रशेखरन ने की शाह-सीतारमण से मुलाकात, क्या अब थमेगा Tata ग्रुप का तूफान या और बड़ी होगी दरार

    Updated: Wed, 08 Oct 2025 08:15 AM (IST)

    टाटा ट्रस्ट्स के चेयरमैन नोएल टाटा और टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन समेत टाटा ग्रुप (Tata Grop Fued) के शीर्ष अधिकारियों ने गृह मंत्री अमित शाह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की। यह मीटिंग बोर्ड अपॉइंटमेंट्स और गवर्नेंस के मुद्दों पर ट्रस्टियों के बीच चल रही खींचतान के बीच हुई। सरकार टाटा ग्रुप के भीतर तनाव का जायजा लेने के लिए तैयार है।

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    टाटा ग्रुप के लीडर्स की गृह मंत्री-वित्त मंत्री से मुलाकात

    नई दिल्ली। टाटा ट्रस्ट्स के चेयरमैन नोएल टाटा और टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन समेत टाटा ग्रुप (Tata Group Feud) के टॉप अधिकारियों ने मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की। बोर्ड अपॉइंटमेंट्स और गवर्नेंस के मुद्दों पर ट्रस्टियों के बीच चल रही खींचतान के बीच यह मुलाकात हुई।

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    रिपोर्ट्स के अनुसार, नोएल टाटा और चंद्रशेखरन, टाटा ट्रस्ट्स के वाइस चेयरमैन वेणु श्रीनिवासन और ट्रस्टी डेरियस खंबाटा के साथ, शाम को शाह के आवास पर बैठक के लिए पहुँचे, जिसमें सीतारमण भी शामिल हुईं।

    क्या रहा मीटिंग का एजेंडा

    इससे पहले खबर आई थी कि सरकार टाटा ग्रुप के भीतर तनाव का जायजा लेने के लिए तैयार है और मंत्रियों का एक ग्रुप टाटा ग्रुप के लीडर्स से मिलकर अंदरूनी कलह और टाटा संस की लिस्टिंग योजनाओं पर चर्चा करने की योजना बना रहे हैं।

    यह बैठक टाटा ट्रस्ट्स के ट्रस्टियों के बीच गवर्नेंस और बोर्ड अपॉइंटमेंट्स को लेकर आंतरिक कलह की वजह से हुई है। यह एक ऐसा विवाद है जो 180 अरब डॉलर से ज्यादा के इस ग्रुप के कामकाज को प्रभावित कर सकता है।

    मेहली मिस्त्री के हथ में एक गुट की कमान

    टाटा ट्रस्ट्स, जिसकी टाटा संस में लगभग 66% हिस्सेदारी है, नमक से लेकर सेमीकंडक्टर तक के कारोबार वाले ग्रुप में महत्वपूर्ण प्रभाव रखता है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ट्रस्ट्स में काफी मतभेद हो गए हैं। एक गुट नोएल टाटा के साथ है, जिन्होंने रतन टाटा के निधन के बाद चेयरमैन का पद संभाला और दूसरा गुट मेहली मिस्त्री के नेतृत्व में है, जिनके शापूरजी पलोनजी परिवार के साथ घनिष्ठ संबंध हैं।

    शापूरजी पलोनजी परिवार की टाटा संस में लगभग 18.37% हिस्सेदारी है। मिस्त्री को लगता है कि उन्हें प्रमुख चर्चाओं से बाहर रखा गया है।

    ये है विवाद की असल वजह

    विवाद की असल वजह टाटा संस के बोर्ड में सीटों का आवंटन है, जो 157 साल पुराने ग्रुप को मैनेज करता है। इस ग्रुप में 30 लिस्टेड एंटिटीज समेत लगभग 400 कंपनियां शामिल हैं। इसके अलावा पूर्व रक्षा सचिव विजय सिंह को टाटा संस के नॉमिनी डायरेक्टर पद से हटाए जाने का तरीका एक विवादास्पद मुद्दा रहा है।

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    वेणु श्रीनिवासन और नोएल टाटा ने इस बात का किया विरोध

    वेणु श्रीनिवासन और नोएल टाटा ने सिंह को हटाने और ट्रस्टी मेहली मिस्त्री की बोर्ड में प्रस्तावित नियुक्ति का विरोध किया। मिस्त्री की नियुक्ति का ट्रस्टी प्रमित झावेरी, डेरियस खंबाटा और जहांगीर जहांगीर ने सपोर्ट किया। यह स्पष्ट नहीं है कि बैठक के बाद से ट्रस्टियों के रुख में कोई बदलाव आया है या नहीं। टाटा ट्रस्ट्स की एक नई बैठक 10 अक्टूबर को निर्धारित है।