Repo Rate में RBI कर सकता है 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती, दिवाली से पहले आम जनता को मिलेगा एक और तोहफा!
Repo Rate News SBI के एक अध्ययन के अनुसार खुदरा मुद्रास्फीति के नरम रहने की उम्मीद के साथ RBI के लिए आगामी मौद्रिक नीति में रेपो रेट में 25 आधार अंकों की कटौती करना उचित होगा। आरबीआई गवर्नर की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति के फैसलों का एलान 1 अक्टूबर को किया जाएगा।

नई दिल्ली, पीटीआई। Repo Rate News: आरबीआई के लिए आगामी मौद्रिक नीति में रेपो रेट (Repo Rate) में 25 आधार अंकों की कटौती करना उचित और तर्कसंगत होगा, क्योंकि अगले वित्त वर्ष में भी खुदरा मुद्रास्फीति के नरम बने रहने की उम्मीद है। यह बात एसबीआई (SBI) ने अपने एक अध्ययन में कही है। अगर रेपो रेट में कटौती होती है तो यह आम जनता के लिए किसी बड़े दिवाली गिफ्ट से कम नहीं होगा। क्योंकि 22 सितंबर से जीएसटी की नई दरें लागू होने के साथ जनता को पहला बड़ा तोहफा तो मिल ही गया है। अगर आरबीआई रेपो रेट में कटौती करता है तो आम जनता के लिए दिवाली से पहले दूसरा बड़ा गिफ्ट होगा।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (consumer price Index) आधारित मुद्रास्फीति में गिरावट के बीच RBI फरवरी से अब तक रेपो रेट में 100 आधार अंकों की कटौती कर चुका है। लगातार तीन बार रेपो रेट में कटौती करने के बाद आरबीआई ने अगस्त में ब्याज दरों को यथावत रखा था।
1 अक्टूबर को RBI कर सकता Repo Rate में कटौता की ऐलान
नीतिगत ब्याज दरों पर फैसला लेने वाली आरबीआई गवर्नर की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति 29 सितंबर से तीन दिवसीय विचार-विमर्श के लिए बैठक करने वाली है। इसमें लिए गए फैसलों का एलान एक अक्टूबर को किया जाएगा।
भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के आर्थिक अनुसंधान विभाग की शोध रिपोर्ट 'एमपीसी बैठक की प्रस्तावना' में कहा गया है, ''सितंबर में ब्याज दरों में कटौती करना उचित और तर्कसंगत होगा, लेकिन इसके लिए आरबीआई को एमपीसी में एक राय बनानी होगी, क्योंकि जून के बाद ब्याज दरों में कटौती की संभावनाएं वास्तव में अधिक होती हैं।'
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि आरबीआइ का रेपो रेट (RBI Repo Rate Cut) में कमी को लेकर राय-मशविरा एक महत्वपूर्ण टूलकिट और जून की एमपीसी की बैठक के बाद इस तरह की चर्चाओं ने रिटर्न को मजबूत बनाने में प्रमुख भूमिका निभाई है।
अगले वर्ष भी नहीं बढ़ेगी महंगाई
अगले वित्त वर्ष में भी मध्यम बनी रहेगी मुद्रास्फीति रिपोर्ट में कहा गया है कि सितंबर में दरों में कटौती नहीं करके एक साथ दो तरह की गलतियां (तटस्थ रुख के साथ दरों में कोई कटौती नहीं) दोहराने का कोई मतलब नहीं है, क्योंकि मुद्रास्फीति वित्त वर्ष 27 में भी मध्यम बनी रहेगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2026-27 के लिए सीपीआई के आंकड़े अभी लगभग 4 प्रतिशत या उससे कम हैं। जीएसटी को तर्कसंगत बनाने के साथ अक्टूबर को CPI 1.1 प्रतिशत के करीब हो सकता है, जो 2004 के बाद से सबसे कम है।
महंगाई में आ सकती है गिरावट
जीएसटी सुधार से मुद्रास्फीति में आ सकती है 65-75 आधार अंकों की गिरावट SBI समूह के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने इस रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि जीएसटी को बड़े पैमाने पर तर्कसंगत बनाने से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति में 65-75 आधार अंकों की और गिरावट आ सकती है।
इसमें कहा गया है कि 2019 का अनुभव यह भी दर्शाता है कि दरों को तर्कसंगत बनाने (मुख्य रूप से सामान्य वस्तुओं की दरों को 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत करने से) से केवल कुछ महीनों में समग्र मुद्रास्फीति में लगभग 35 आधार अंकों की गिरावट आई है।
इसके अलावा, महंगाई नापने के नए पैमाने को अपनाने से हम सीपीआइ में 20-30 आधार अंकों की और नरमी की उम्मीद करते हैं। इन सभी कारकों (जीएसटी और महंगाई नापने के बेस ईयर में संशोधन) से संकेत मिलता है कि CPI मुद्रास्फीति चालू वित्त वर्ष यानी 2025-26 और अगले वित्त वर्ष 2026-27 के लिए मुद्रास्फीति लक्ष्य के निचले स्तर के आसपास रहेगी। सरकार ने RBI को खुदरा मुद्रास्फीति के दो प्रतिशत की घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर बनाए रखने का लक्ष्य दिया है।
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