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    RBI MPC Meeting 2025: आरबीआई ने 5.5% पर बरकरार रखी रेपो रेट, नहीं घटेगी आपकी EMI: IPO निवेशकों के लिए खुशखबरी

    Updated: Wed, 01 Oct 2025 10:10 AM (IST)

    आरबीआई (RBI MPC Meeting 2025) ने रेपो रेट नहीं घटाई है। बता दें कि रेपो रेट वह ब्याज दर होती है जिस पर RBI कमर्शियल बैंकों को शॉर्ट टर्म लोन देता है। रेपो दर में कटौती से बैंकों के लिए पैसा लेना सस्ता हो जाता है। इसके नतीजे में वे जनता को कम ब्याज दर पर लोन देते हैं। साल 2025 में रेपो रेट में 1% की कटौती हुई है।

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    आरबीआई ने रेपो रेट में कटौती नहीं की है

    नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक या आरबीआई (RBI MPC Meeting 2025) ने अपनी अक्टूबर मॉनेटरी पॉलिसी में रेपो रेट में कटौती न करने का फैसला लिया है। इसका मतलब है कि रेपो रेट 5.5 फीसदी पर बरकरार रहेगी।

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    बता दें कि साल 2025 में आरबीआई रेपो रेट में कुल मिलाकर 1 फीसदी की कटौती कर चुका है। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा (RBI Governor Sanjay Malhotra) ने अक्टूबर पॉलिसी की जानकारी देते हुए कहा कि आरबीआई का रुख 'न्यूट्रल' रहेगा। इसके अलावा आरबीआई ने आईपीओ फाइनेंसिंग लिमिट को बढ़ाकर प्रति निवेशक 25 लाख रुपये कर दिया है।

    विदेशों में NRI को मिलेगा रुपये में लोन

    भारतीय रिजर्व बैंक ने घोषणा की है कि भूटान, नेपाल और श्रीलंका में मौजूद बैंक अब अनिवासी भारतीयों (NRI) को भारतीय रुपये में लोन दे सकेंगे।

    मिनिमम बैलेंस चार्जेज के बिना बेसिक सेविंग्स बैंक डिपॉजिट खाताधारकों के लिए सेवाओं का विस्तार करके इसमें मोबाइल और इंटरनेट बैंकिंग जैसी डिजिटल बैंकिंग सेवाएं शामिल करने का प्रस्ताव है।

    फरवरी, अप्रैल और जून में कुल 100 बेसिस पॉइंट्स (1 फीसदी) की तीन कटौतियों के बाद रेपो रेट में लगातार दूसरी बार कोई बदलाव नहीं किया गया है। आरबीआई ने स्टैंडर्ड डिपॉजिट फैसिटी (एसडीएफ) रेट को 5.25% पर अपरिवर्तित रखा है। वहीं मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (एमएसएफ) रेट 5.75% होगी।

    GDP पर क्या है अनुमान

    आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि भारत की जीडीपी अब 6.8% की दर से बढ़ने का अनुमान है, जो पहले के 6.5% के पूर्वानुमान से अधिक है। इसे मजबूत घरेलू मांग और अनुकूल नीतिगत उपायों से सहारा मिलने की उम्मीद है।

    आरबीआई गवर्नर ने कहा कि टैरिफ संबंधी घटनाक्रम से इस वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में विकास दर में कमी आने की संभावना है।

    जीएसटी रिफॉर्म्स से महंगाई पर क्या होगा असर

    गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि जीएसटी रिफॉर्म्स से महंगाई पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि अगस्त की पॉलिसी के बाद से ग्रोथ-इंफ्लेशन डायनामिक्स बदल गई है। आरबीआई ने वित्त वर्ष 26 के लिए औसत मुद्रास्फीति अनुमान को पहले के 3.1% से घटाकर 2.6% कर दिया है।

    इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर के लिए बड़ा एलान

    गवर्नर मल्होत्रा ​​ने कहा कि एनबीएफसी (नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनी) द्वारा इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर की फाइनेंसिंग की लागत कम करने के लिए आरबीआई ने जोखिम भार (Risk Weights) कम करने का फैसला लिया है।

    'ब्याज दरों में कटौती के प्रभाव दिखने लगे'

    आरबीआई गवर्नर के अनुसार खाद्य कीमतों में भारी गिरावट के चलते ओवरऑल मुद्रास्फीति का आउटलुक ज्यादा बेहतर हो गया है। उन्होंने कहा है कि ब्याज दरों में कटौती के प्रभाव दिखने लगे हैं। टैरिफ सहित बाहरी अनिश्चितताओं से निर्यात वृद्धि धीमी पड़ सकती है और आउटलुक पर असर पड़ सकता है।

    गवर्नर मल्होत्रा के मुताबिक भारतीय अर्थव्यवस्था में मजबूती जारी है और घरेलू रफ्तार दूसरी तिमाही में भी जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि एमपीसी अगले कदमों पर विचार करने से पहले हालिया नीतिगत कदमों के प्रभाव का इंतजार करना समझदारी भरा कदम मानती है।

    'रुपये की गतिविधियों पर कड़ी नजर'

    आरबीआई गवर्नर ने कहा कि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 700.2 अरब डॉलर है, जो 11 महीनों के आयात को पूरा करने के लिए पर्याप्त है। मजबूत रेमिटांस (विदेशों में रहने वाले भारतीय द्वारा देश में भेजा जाने वाला पैसा) फ्लो से चालू वित्त वर्ष में चालू खाता घाटे को सस्टेनेबल स्तर पर बनाए रखने में मदद मिलने की उम्मीद है।

    आरबीआई गवर्नर ने कहा कि केंद्रीय बैंक बाजार में उतार-चढ़ाव के बीच रुपये की गतिविधियों पर कड़ी नजर रख रहा है। उन्होंने कहा कि कैश रिजर्व रेशियो (सीआरआर) में कटौती से बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी में सुधार होगा, जिससे डेट फ्लो में आसानी होगी और वित्तीय स्थिरता को बढ़ावा मिलेगा।

    आरबीआई गवर्नर ने कहा कि रुपये में कुछ गिरावट के बावजूद, भारत का एक्सटर्नल सेक्टर लगातार लचीला बना हुआ है, जिसमें अस्थिरता दिखी है। उन्होंने आश्वासन दिया कि रिजर्व बैंक स्थिति पर कड़ी नजर रख रहा है और आवश्यकतानुसार स्थिरता बनाए रखने के लिए आवश्यक कदम उठाएगा।

    भारतीय बैंकों के लिए बड़े कदम का एलान

    रियल इकोनॉमी में क्रेडिट फ्लो में सुधार के उपाय प्रस्तावित किए गए हैं, जिनमें भारतीय कॉरपोरेशंस द्वारा अन्य कंपनियों को खरीदने की फाइनेंसिंग के लिए भारतीय बैंकों के लिए एक फ्रेमवर्क शामिल है। लोन देने में आसानी बढ़ाने के लिए लिस्टेड डेट सिक्योरिटीज पर कर्ज देने की रेगुलेटरी सीमा को हटाने का भी प्रस्ताव रखा गया है।

    शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) के मामले में, इस क्षेत्र में सकारात्मक ग्रोथ को देखते हुए, रिजर्व बैंक नए यूसीबी को लाइसेंस देने की योजना बना रहा है। इसके लिए पहले एक चर्चा पत्र प्रकाशित किया जा सकता है।

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