Repo Rate में बदलाव न होने का रियल एस्टेट सेक्टर ने किया स्वागत, डेवलपर्स ने कहा- RBI के फैसले से मिलेगा बूस्ट
RBI MPC Meeting Update आरबीआई एमपीसी बैठक में इस बार भी रेपो रेट को स्थिर रखने का फैसला लिया गया था। इस बार भी रेपो रेट को 6.5 फीसदी पर स्थिर रखा था। रियल एस्टेट सेक्टर ने रेपो दरों को 6.5 फीसदी पर अपरिवर्तित रखने के भारतीय रिजर्व बैंक के फैसले का स्वागत किया है। रिजर्व बैंक के फैसलों को लेकर रियल एस्टेट के दिग्गज ने क्या प्रतिक्रिया दी है।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। RBI MPC Meet 2024: भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो दरों को 6.5 फीसदी पर अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया है। आरबीआई के फैसलों का रियल एस्टेट सेक्टर ने स्वागत किया है। बता दें कि पहले ही रियल एस्टेट सेक्टर ने रेपो रेट को स्थिर रखने की उम्मीद जताई थी।
रियल एस्टेट सेक्टर के अलग-अलग दिग्गजों ने आरबीआई के इस कदम को बेहतर बताते हुए अपनी-अपनी प्रतिक्रियाएं दी हैं।
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गौड़ ग्रुप के सीएमडी मनोज गौड़ ने कहा,
आरबीआई का निर्णय बेहद ही सराहनीय कदम है। भारतीय अर्थव्यवस्था के लगातार मजबूत प्रदर्शन के साथ रेपो रेट को लगातार सातवीं बार स्थिर रखने का निर्णय रियल एस्टेट सेक्टर के लिए अच्छा संकेत होगा। मुद्रास्फीति के आंकड़े अभी भी थोड़ी चिंता का विषय है। यह आरबीआई द्वारा एक अच्छा संतुलन निर्णय है। हमें उम्मीद है कि इस कदम से भारत को मुद्रास्फीति पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी जिसके बाद हम देश को कम ब्याज दर वाली व्यवस्था में प्रवेश करते देखेंगे। साथ ही अफोर्डेबल हाउसिंग सेगमेंट में गिरावट एक चिंता का विषय है जिसके लिए रेपो रेट में कटौती के रूप में राहत की जरूरत है।
काउंटी ग्रुप के डायरेक्टर अमित मोदी ने कहा,
एक बार फिर से आरबीआई ने रेपो दर में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं किया है जो निश्चित रूप से रियल एस्टेट सेक्टर के लिए फायदेमंद है। आरबीआई का यह निर्णय निवेशकों और घर खरीदारों दोनों के लिए अच्छा साबित होगा। आरबीआई के निर्णय से स्पष्ट संकेत है कि देश की अर्थव्यवस्था लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रही है। हमें यकीन है कि भारत की बढ़ती आर्थिक लचीलापन और मुद्रास्फीति की गिरावट की प्रवृत्ति के साथ रेपो दर में और गिरावट आएगी और पहले से ही रिकॉर्ड तोड़ रहे रियल्टी क्षेत्र की ताकत में वृद्धि होगी।
स्पेक्ट्रम मेट्रो के वाइस प्रेजीडेंट अजेंद्र सिंह ने कहा,
लगातार सातवीं बार रेपो दर को 6.50 फीसदी पर बनाए रखने का आरबीआई का निर्णय संभावित बॉयर्स पर वित्तीय बोझ को कम करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। यह निर्णय कॉमर्शियल सेक्टर में संभावित बॉयर्स को अपनी संपत्ति खरीद के साथ आगे बढ़ने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए अच्छा कदम है। निश्चित रूप से आरबीआई के फैसले से किफायती और मध्य-श्रेणी की कॉमर्शियल प्रोजेक्ट्स को गति मिलेगी।
सिग्नेचर ग्लोबल के फाउंडर प्रदीप अग्रवाल ने कहा,
आरबीआई ने लगातार सातवीं बार रेपो रेट को स्थिर रखकर एक बार फिर अच्छी पहल की है। स्थिर रेपो रेट होम बायर्स के लिए विश्वसनीयता और आत्मविश्वास प्रदान करेगी। निःसंदेह इस स्थिरता का रियल एस्टेट सेक्टर के विकास पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
अंसल हाउसिंग के डायरेक्टर कुशाग्र अंसल ने कहा,
रेपो रेट को 6.5 फीसदी पर बनाए रखने के आरबीआई के फैसले से हाउसिंग मार्केट में सकारात्मक राइज की उम्मीद है। बढ़ते हाउसिंग एक्सपेंस के बावजूद, अपरिविर्तत होम लोन दरें संभावित होम बायर्स को कुछ राहत देंगी। जिससे सेक्टर में कॉन्फिडेंस और इन्वेस्टमेंट को बढ़ावा मिलेगा। आरबीआई का निर्णय नए प्रोजेक्ट्स की शुरुआत और रुचि के उभरते सेक्टर्स में डेवलपमेंट के विस्तार को बढ़ावा देने के लिए तैयार है।
साया ग्रुप के सीएमडी विकास भसीन ने कहा,
आरबीआई ने रेपो दरों को 6.50 फीसदी पर अपरिवर्तित रखकर एक स्वागत योग्य कदम उठाया है। यह कदम इस क्षेत्र में निवेश करने के इच्छुक डेवलपर्स और संभावित खरीदारों दोनों के लिए फायदेमंद है। इससे उन्हें ऋण ब्याज दरों के मामले में राहत मिलेगी, साथ ही सरकार द्वारा मुद्रास्फीति को संतुलित करने के उपायों से उन्हें अतिरिक्त लाभ मिलेगा। सरकार खरीदारों की भावनाओं और अपेक्षाओं का काफी ख्याल रखती है और इस क्षेत्र के लिए हमारे अनुकूल निर्णय ले रही है जिससे इसके विकास को बढ़ावा मिलता है।
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एमआरजी ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्टर रजत गोयल ने कहा,
रिजर्व बैंक ने सातवीं बार रेपो रेट में 6.50 फीसदी की स्थिरता का निर्णय कर रियल एस्टेट सेक्टर को राहत दी है। फेस्टिव सीजन नजदीक आने पर इससे संभावित खरीदारों का विश्वास बढ़ेगा। चूंकि रेपो दर को अंतिम बार बढ़ाए हुए एक वर्ष से अधिक समय हो गया है और कोई परिवर्तन नहीं हुआ है, इससे निश्चित रूप से बॉयर्स को बढ़ी हुई ऋण ब्याज दरों का बोझ नहीं उठाना पड़ेगा। बॉयर्स बिना किसी बढ़ी हुई लागत या वित्तीय बोझ के रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश जारी रख सकते हैं। आरबीआई का निर्णय सराहनीय है और हम इस उपाय से महंगाई पर अंकुश लगाने के कदम का स्वागत करते हैं।
ग्रुप 108 के एमडी डॉ. अमिष भूटानी ने कहा,
रेपो दरों को 6.50 फीसदी पर अपरिवर्तित रखने का आरबीआई का निर्णय एक स्वागत योग्य कदम है जो रियल एस्टेट क्षेत्र में देखी जा रही तेजी को बनाए रखेगा। कॉमर्शियल सेक्टर में विशेष रूप से सकारात्मक मांग होने की उम्मीद है क्योंकि वित्तीय अस्थिरता सुलझ गई है और ब्याज दरें समान बनी हुई हैं। इससे इस क्षेत्र की ओर संभावित खरीदारों का प्रवाह भी बढ़ेगा क्योंकि इस क्षेत्र में निवेश करने से उनकी जेब पर ज्यादा भार नहीं पड़ेगा। हमें उम्मीद है कि अधिकारियों का रुख अनुकूल रहेगा, जिससे आगामी घोषणाओं में रियल एस्टेट क्षेत्र को भी लाभ होगा।
मिसगन ग्रुप के एमडी यश मिगलानी ने कहा,
कुल मिलाकर रियल एस्टेट के लिए रेपो रेट को 6.5 फीसदी पर अपरिवर्तित रखने का आरबीआई का निर्णय एक बेहतर निर्णय है। देश की अर्थव्यवस्था के असाधारण रूप से अच्छा प्रदर्शन करने और अच्छी जीडीपी वृद्धि और मुद्रास्फीति पर नियंत्रण के अनुमान के साथ यह सेक्टर आने वाले समय में भी अच्छा प्रदर्शन करना जारी रखेगा। हालांकि, टियर 2 और 3 शहरों में मूल्य-संवेदनशील किफायती आवास और रियल एस्टेट विकास चिंता का विषय है। यदि रेपो दरों में कटौती होती तो रियल एस्टेट डेवलपर्स को अपने आवास के सपनों को साकार करने में मदद मिलती।
एसकेए ग्रुप के डायरेक्टर संजय शर्मा ने कहा,
लगातार सातवीं बार रेपो रेट 6.50 फीसदी पर बनाए रखने के आरबीआई के फैसले से रियल एस्टेट सेक्टर में सराहनीय उछाल की उम्मीद है। आवास की कीमतों में वृद्धि के बीच, स्थिर होम लोन दरों से घर खरीदारों को कुछ राहत मिलेगी। इसके अलावा, अपरिवर्तित ब्याज दरों से खरीदारों और डेवलपर्स को लाभ होगा जिससे क्षेत्र में मजबूत उपभोक्ता विश्वास और निवेश स्थापित होगा। रेपो रेट को स्थिर रखने के आरबीआई के फैसले से नई परियोजनाएं स्थापित होंगी और उभरते क्षेत्रों में विकास का विस्तार होगा।
त्रेहन समूह के एमडी सारांश त्रेहन ने कहा,
रियल एस्टेट क्षेत्र में, विशेष रूप से लक्जरी आवास में, बढ़ती उपभोक्ता मांग को देखते हुए, रेपो दर पर यथास्थिति बनाए रखना समझदारी का प्रतीत है प्रतीत होता है और अनुकूल मैक्रोइकॉनोमिक संकेतकों के साथ सही क्रम होता है। इस निर्णय से संभावित घर खरीदारों को कम होम लोन EMI का लाभ उठाते हुए, संपत्ति निवेश के अवसरों की ओर आकर्षित होने की संभावना है। घटती मुद्रास्फीति और स्थिर जीडीपी वृद्धि रियल एस्टेट बाजार में समग्र मांग को बढ़ावा देने वाले महत्वपूर्ण कारक हैं। चूंकि भारत खुद को दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित कर रहा है, और भविष्य में तीसरे स्थान पर पहुंचने की आकांक्षा रखता है, इसलिए रियल एस्टेट क्षेत्र इस प्रक्षेपवक्र में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए तैयार है। सकारात्मक मांग की गति को बनाए रखना अनिवार्य है, और इस प्रकार, वर्तमान रेपो दर नीति प्रभावी रूप से इस उद्देश्य को प्राप्त करती है।
ओरायन वन 32 के निदेशक दुष्यंत सिंह ने कहा,
आरबीआई द्वारा रेपो दरों पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश आर्थिक सुधार को बढ़ावा देने के लिए एक विवेकपूर्ण दृष्टिकोण को दर्शाता है। दरों में समायोजन से परहेज करके, केंद्रीय बैंक का उद्देश्य स्थिरता प्रदान करना है, जबकि बैंकों को आकर्षक होम लोन पैकेज देने के लिए प्रोत्साहित करना है, जिससे आवास बाजार में नई जान फूंकी जा सके। इस जानबूझकर की गई कार्रवाई से रियल एस्टेट क्षेत्र में सकारात्मकता आने की उम्मीद है, जिससे डेवलपर्स और संभावित घर के मालिकों दोनों के लिए अनुकूल माहौल बनेगा। जबकि यह निर्णय आवास की मांग को बढ़ावा देने के उद्देश्य का समर्थन करता है, यह मुद्रास्फीति के दबावों के बीच सावधानी से आगे बढ़ने की आवश्यकता को भी स्वीकार करता है। उधार दरों पर जानबूझकर किया गया रुख रियल एस्टेट क्षेत्र में वहनीयता और निरंतर गति सुनिश्चित करके संभावित घर खरीदारों के पक्ष में है।
ओरिस इंफ्रास्ट्रक्चर के डायरेक्टर अमित गुप्ता ने कहा,
रियल एस्टेट के क्षेत्र में, दरों में और बढ़ोतरी में ठहराव थोड़ी राहत प्रदान करता है, भले ही पिछले वर्ष के बचे हुए 250 आधार अंकों की वृद्धि के बाद होम लोन की दरें ऊंची बनी हुई हैं। जैसे-जैसे हम 2024 में आगे बढ़ेंगे, बैंक ऋण दरों में इन संचयी बढ़ोतरी का संचरण अधिक स्पष्ट हो जाएगा, जिससे बंधक की सामर्थ्य और सेवाक्षमता प्रभावित होगी। फिर भी, भारत की सर्वव्यापी विकास संभावनाएं मजबूत घरेलू मांग चालकों द्वारा समर्थित, आशाजनक प्रतीत होती हैं। हमारी अनुकूल जनसांख्यिकी, तेजी से शहरीकरण, और बढ़ती घरेलू आय निरंतर संरचनात्मक आवास मांग को बढ़ावा देती है, जो क्षणिक संपत्ति चक्रों को पार करती है। इसलिए, जबकि उच्च उधार लागतों के कारण संपत्ति की पूछताछ में कुछ कमी हो सकती है, लेकिन मात्रा में महत्वपूर्ण गिरावट की संभावना नहीं है।