अगर तोड़ा कानून, तो नहीं मिल पाएगा Loan! बैंक ला रहे सख्त नियम; चेक होगा आपका क्रिमिनल रिकॉर्ड
बैंक अब लोन (Bank Loan) देने से पहले आवेदकों के क्रिमिनल रिकॉर्ड की जांच करने पर विचार कर रहे हैं। इसका उद्देश्य गंभीर आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोगों को लोन देने से रोकना है। इससे बैंकों को रिकवरी की प्रक्रिया में आसानी होगी और क्रेडिट जोखिम कम होगा। जानकारों के अनुसार, डेटा सुरक्षा नियमों का पालन करते हुए बैंकों को क्रिमिनल रिकॉर्ड की जानकारी प्राप्त करने का कानूनी अधिकार है।

लोन से पहले चेक होगा क्रिमिनल रिकॉर्ड
नई दिल्ली। वर्तमान में बैंक लोन देते समय आपका क्रेडिट स्कोर (Credit Score) चेक करते हैं, कैश फ्लो का अंदाजा लगाते हैं और कोलैटरल चेक करते हैं। मगर बहुत जल्द वे लोन देने के लिए इससे एक कदम और आगे बढ़ सकते हैं। बहुत जल्द नया नियम आ सकता है, जिसके तहत लोन लेने वालों के क्रिमिनल रिकॉर्ड की भी जाँच की जा सकती है।
इस मकसद से, लोन देने वाले अब लोन अप्रूव करने का फैसला लेने से पहले, कर्ज लेने वालों के क्रिमिनल रिकॉर्ड देखने की लीगैलिटी पर विचार कर रहे हैं।
क्या होगा इस कदम का मकसद
रिपोर्ट्स के अनुसार हाल ही में बैंकर्स की एक मीटिंग में इस प्रस्तावित कदम पर विचार किया गया। इसका मकसद साफ तौर पर गंभीर क्रिमिनल रिकॉर्ड वाले उधारकर्ताओं के लोन प्रपोजल को शुरू में ही रोकना है। एक बार जब क्रिमिनल रिकॉर्ड चेक करने का फॉर्मल सिस्टम बन जाएगा, तो कानून तोड़ने वाले कर्जदारों को फिल्टर कर दिया जाएगा।
बैंकर्स को भी होगी आसानी
दरअसल इस कदम से बैंकर्स को ऐसे कर्जदारों से निपटने की परेशानी से छुटकारा मिल जाएगा, जो अपने खिलाफ रिकवरी की कार्रवाई पर सख्ती दिखाते हैं। इनमें वे लोग भी शामिल हैं, जो अपनी गिरवी रखी चीज के जब्त किए जाने की चिंता नहीं करते।
बैंकर्स का मानना है कि क्रेडिट बढ़ाना जरूरी है, लेकिन इसके लिए और कड़े नियम भी जरूरी हैं। इसलिए हर तरह के लोन देने से पहले बैंक एक और फिल्टर लगाना चाहते हैं।
खत्म कर दिया ये सिस्टम
मोबाइल ऐप पर लोन क्लियर होने के बाद, छोटे लोन लेने वालों के मामले में लोन देने वालों ने खुद जाकर जानकारी इकट्ठा करने का सिस्टम खत्म कर दिया है। दरअसल अब लोन देना अब बिना पहचान वाला हो गया है। कंपनियों के मामले में, जब क्रेडिट इवैल्यूएशन किया जाता है, तो उधारकर्ता की मार्केट में इमेज (रेप्युटेशन) को भी देखा जाता है।
लेकिन, बैंकर्स को लगता है कि उधारकर्ताओं के क्रिमिनल रिकॉर्ड पर खास इनपुट से उन्हें अच्छे क्रेडिट फैसले लेने में मदद मिलेगी। जानकार मानते हैं कि अगर यह सहमति, स्पष्टता होने और डेटा-प्रोटेक्शन के नियमों का पालन करने के साथ किया जाए, तो कानूनी तौर पर, बैंकों को क्रिमिनल रिकॉर्ड की जानकारी पाने का पूरा हक है।

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