भारत के कदम से टेंशन में चीन-पाकिस्तान, रक्षा बजट में होगा 20% का इजाफा; GDP का 2.5% करने का लक्ष्य
भारत लगातार अपनी सैन्य ताकत बढ़ा रहा है। FY2026 के बजट में भारत ने अपने रक्षा बजट में 9.5 फीसदी की वृद्धि की थी। बजट में स्वदेशी रक्षा उत्पादन को बढ़ाने (India defence spending) पर जोर दिया गया है। रक्षा सचिव आर.के. सिंह ने कहा कि आने वाले कुछ वर्षों में हम अपने रक्षा बजट को जीडीपी का 2.5 फीसदी करने (India GDP target) के लक्ष्य को पूरा कर लेंगे।

नई दिल्ली। भारत अपने रक्षा बजट में लगातार बढ़ोतरी (defence budget hike) कर रहा है। भारत के सैन्य खर्च से पड़ोसी पाकिस्तान और चीन को बड़ा झटका (China–Pakistan tension) लगा है। हिंदुस्तान लगातार अपनी ताकत को बढ़ा रहा है। रक्षा सचिव आर.के. सिंह के अनुसार भारत अगले कुछ वर्षों में रक्षा खर्च को GDP का 2.5 फीसदी तक ले जाने का लक्ष्य रखा है।
उन्होंने न्यूज़ चैनल सीएनबीसी टीवी 18 से बात करते हुए कहा, "भारत अपने रक्षा खर्च को जीडीपी के 1.9 फीसदी से बढ़ाकर 2.5 फीसदी तक ले जाना चाहता है।"
भारत अपने रक्षा बजट में इजाफा करके सेना को आधुनिक बनाने, स्वदेशी हथियारों को बढ़ावा देना चाहता है। चालू वित्त वर्ष में भारत का रक्षा बजट 6.81 लाख करोड़ रुपये की है। यह यूनियन बजट का 13 फीसदी है। इसमें से 1.48 लाख करोड़ रुपये पूंजीगत खर्च के लिए निर्धारित किए गए हैं। जैसे नए लड़ाकू विमान, उन्नत पनडुब्बियां, तथा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोटिक्स जैसी अत्याधुनिक तकनीक और उपकरणों से सेना को लैस करना।
अपनी सेना पर कितना खर्च करता है भारत?
अमेरिका, चीन, रूस और जर्मनी के बाद भारत विश्व में पांचवां सबसे बड़ा सैन्य खर्च करने वाला देश है। अमेरिका का सैन्य खर्च 997 बिलियन डॉलर है। वहीं, भारत का 10.2 बिलियन डॉलर है।
भारत सैन्य खर्च में लगातार बढ़ोतरी कर रहा है। चीन का सैन्य 246 बिलियन डॉलर है। वहीं, पाकिस्तान का 10.2 बिलियन डॉलर। पाकिस्तान के अनुसार भारत का रक्षा खर्च 8 गुना अधिक है।
भारत और पाकिस्तान के बीच पहलगाम हमले के बाद हुए संघर्ष में भारतीय सेना ने अपनी ताकत दिखाई। हमारी सेना ने इस दौरान घरेलू सैन्य उपकरणों की ताकत दिखाई और पाकिस्तान को धूल चटाई। भारतीय सेना ने चीन द्वारा पाकिस्तान को दिए गए उन्नत लड़ाकू विमान और एयर डिफेंस सिस्टम को भी ध्वस्त कर दिया।
घरेलू स्तर पर बढ़ता भारत का रक्षा उत्पादन
भारत लगातार घरेलू रक्षा उत्पादन बढ़ा रहा है। 2014-15 में भारत का घरेलू सैन्य उत्पादन 46,429 करोड़ रुपये था। 2023-24 में यह बढ़कर 1,27,265 करोड़ रुपये हो गया। इंडिया अपने खुद के हथियार बनाने में तेजी ला रहा है।
भारत लड़ाकू विमान और कुछ महत्वपूर्ण टेक्नोलॉजी जैसी उन्नत प्रणालियों के लिए अभी भी आयात पर निर्भरता है। लेकिन डिफेंस में आधुनिकीकरण के लिए विदेशी निर्भरता 40% से घटकर 28% हो गई है। इस साल 4 लाख करोड़ रुपये के ठेकों में से 95% भारतीय कंपनियों को मिले हैं।
गोलियों से लेकर मिसाइलों तक 5,000 से अधिक आइटम अब नो-इम्पोर्ट लिस्ट में हैं। यानी अब ज्यादा से ज्यादा रक्षा उपकरण भारत में ही बनाए जा रहे हैं। हालांकि, इसके उलट साल 2013 से 2023 तक भारत का रक्षा उपकरणों का दुनिया का सबसे बड़ा आयात था। इस दौरान वैश्विक हथियार व्यापार में 10% हिस्सेदारी थी।
रक्षा बजट में इस बार क्या-क्या?
वित्त वर्ष 2026 के लिए भारत का रक्षा बजट ₹6.81 लाख करोड़ है। इसमें से ₹1.48 लाख करोड़ नए हथियारों और उपकरणों खरीदने के लिए हैं। इसमें फाइटर जेट, उन्नत पनडुब्बियां और AI व रोबोटिक्स जैसी आधुनिक तकनीक शामिल है। इसके अलावा ₹3.11 लाख करोड़ वेतन, संचालन और रखरखाव तो ₹1.61 लाख करोड़ रिटायर्ड कर्मियों की पेंशन और ₹26,816 करोड़ DRDO के लिए शोध और विकास के लिए आवंटित किए गए हैं।
यह आंकड़े हमारी सैन्य सुधारों को दर्शा रहे हैं लेकिन PRS लेजिस्लेटिव रिसर्च के अनुसार, भारत में सैन्य बल को कम सुविधाएं दी जाती हैं। उन्हें आधुनिकीकरण के लिए जितनी जरूरत होती है, उससे लगभग 20% कम मिलता है। लेकिन अब भारत इसमें इजाफा कर रहा है। 2025 भारत के सैन्य बजट के लिए गेम चेंजिंग साल रहा है।
रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने कहा कि बजट में रक्षा खर्च का 75% देश के भीतर खर्च किया जाएगा। इसमें एयरोस्पेस, रक्षा, जहाज निर्माण, भूमि प्रणाली, मिसाइल और युद्ध सामग्री के विभिन्न क्षेत्र शामिल होंगे। यह मेक इन इंडिया और विकसित भारत 2047 पहलों पर सरकार के फोकस को दर्शाता है। इसका उद्देश्य घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना और आत्मनिर्भरता को मजबूत करना है।
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