चॉल में बीता बचपन, 15 साल की उम्र में टूटा दुखों का पहाड़; आज 707661065000 का मालिक, अदाणी को दे रहा टक्कर
मुंबई के लोहार चॉल में गरीबी में पले-बढ़े इंदर जयसिंघानी ने 15 साल की उम्र में पिता के निधन के बाद पढ़ाई छोड़ दी। उन्होंने अपने परिवार के व्यवसाय, पॉल ...और पढ़ें

चॉल में बीता बचपन, 15 साल की उम्र में टूटा दुखों का पहाड़; आज 707661065000 का मालिक, अदाणी को दे रहा टक्कर
नई दिल्ली। कहते हैं जब भी किसी पर मुसीबतों का पहाड़ टूटता है तो समझिए कि भगवान उस इंसान को मजबूत और बड़ा बनने एक मौका दे रहे होते हैं। ऐसे समय में कुछ इंसान खुद को मेहनत और संघर्ष की आग में खुद को इतना तपा लेते हैं को सफलता खुद उनके पास चलकर आती है। कुछ ऐसी ही मेहनत की आग में तपे थे वायर किंग और भारत की सबसे बड़ी तार कंपनी के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर इंदर जयसिंघानी (Inder Jaisinghani)। एक समय था जब उनका परिवार बहुत ही गरीब था लेकिन आज कहानी बिल्कुल अलग है।
इंदर जयसिंघानी आज भले ही भारत की सबसे बड़ी इलेक्ट्रॉनिक कंपनी या कहें वायर कंपनी के MD है लेकिन एक समय उनके पास कुछ नहीं था। जब वह 15 साल के थे उनके पिता का निधन हो गया। यह उनके लिए किसी सदमे से कम नहीं था। यह वही समय था जब उन्होंने खुद को मजबूत बनाया था। पिता के निधन के बाद उन्होंने पढ़ाई लिखाई छोड़ दी और पिता की Sind Electric Stores को संभालने लगे। आगे चलकर वही स्टोर भारत की सबसे बड़ी तार कंपनी की कहानी लिखती है।
झोपड़पट्टी में बीता इंदर जयसिंघानी का बचपन
मुंबई के लोहार चॉल में एक गरीब परिवार में जन्मे Polycab के MD इंदर जयसिंघानी ने अपना ज्यादातर बचपन गरीबी से जूझते हुए बिताया और पिता की मौत के बाद हालात और खराब हो गए, जिसकी वजह से उन्हें 15 साल की उम्र में स्कूल छोड़ना पड़ा और कम उम्र में ही परिवार की जिम्मेदारियों का बोझ उठाना पड़ा।
हालांकि, मुश्किल हालात से घबराए बिना, इंदर जयसिंघानी ने अपनी जिन्दगी के हालात बदलने का पक्का इरादा कर लिया था और उन्होंने परिवार के बिजनेस, पॉलीकैब को चलाने में मदद करना शुरू किया, जो उस समय लोहार चॉल में एक छोटी सी बिजली के सामान की दुकान थी।
सालों बाद, इंदर ने अपनी शानदार बिजनेस समझ का इस्तेमाल करके पॉलीकैब को एक छोटी सी दुकान से भारत की सबसे बड़ी वायर और केबल बनाने वाली कंपनी में बदल दिया। 1997 में, जयसिंघानी पॉलीकैब के चेयरमैन और डायरेक्टर बने, और उनकी लीडरशिप में कंपनी ने नए बाजारों में कदम रखा, और जल्द ही केबल बनाने के सेक्टर में एक जाना-माना नाम बन गई।
1975 में एक नई शुरुआत
1975 में इंदर जयसिंघानी ने अपने भाइयों के साथ मिलकर केबल और तार बनाने की फैक्ट्री लगाने के लिए MIDC अंधेरी मुंबई में ठाकुर इंडस्ट्रीज नाम की एक पार्टनरशिप फर्म बनाई। और 1983 में 'पॉलीकैब इंडस्ट्रीज' को गुजरात सरकार के उद्योग निदेशालय द्वारा एक छोटे पैमाने की औद्योगिक इकाई के रूप में रजिस्टर किया गया था। इसके बाद 1996 कंपनी को मुंबई में पॉलीकैब वायर्स प्राइवेट लिमिटेड के रूप में इनकॉरपोरेट किया गया।
कंपनी धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थी। और देखते ही देखते 1998 में दमन में पॉलीकैब इंडस्ट्रीज ने PVC-इंसुलेटेड पावर केबल, हाउस वायर, टेलीफोन केबल, ऑप्टिकल फाइबर केबल, स्विच बोर्ड केबल और क्वाड केबल के लिए एक फैसिलिटी स्थापित किए। यहां से कहानी बदली और 2006 में पॉलीकैब ने अपना रिकॉर्ड तोड़ा और रेवेन्यू में INR 10,000 मिलियन का आंकड़ा पार किया।
2013 स्विच सेगमेंट में भी उतरी कंपनी
इसके बाद कंपनी अपना ही रिकॉर्ड पर रिकॉर्ड तोड़ती रही और 2011 में कंपनी ने एक बार फिर अपना रिकॉर्ड तोड़ा और रेवेन्यू में INR 31,000 मिलियन का आंकड़ा पार कर लिया। 2013 पॉलीकैब के लिए एक मील का पत्थर था, क्योंकि कंपनी ने 'स्विच' सेगमेंट में कदम रखा, जिससे FMEG इंडस्ट्री में उसका रास्ता खुला। कंपनी ने अपने दायरे को बढ़ाया और फैन्स और LED लाइटिंग सेगमेंट में कदम रखा, साथ ही महाराष्ट्र के नासिक में मिनिएचर सर्किट ब्रेकर्स (MCB) के लिए अपनी मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी का विस्तार किया।
इन सभी में अहम भूमिका निभा रहे थे पॉलीकैब के चेयरमैन और एमडी इंदर जयसिंघानी।
कितनी है इंदर जयसिंघानी की नेटवर्थ?
अपार सफलता के बाद इंदर जयसिंघानी ने आखिरकार 2019 में पॉलीकैब को शेयर बाजार में लिस्ट कराया। कंपनी BSE और NSE पर लिस्टेड है, इसका 13450 मिलियन रुपये का इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) 52 गुना सब्सक्राइब हुआ था। कंपनी की ग्रोथ के साथ इंदर जयसिंघानी की भी नेट वर्थ बढ़ती जा रही थी। ब्लूमबर्ग इंडेक्स के अनुसार इस समय Inder Jaisinghani की नेटवर्थ 7.96 बिलियन डॉलर है जो भारतीय रुपयों में करीब 707661065000 करोड़ रुपये है।
अब अदाणी-बिडॉला से है सीधे टक्कर?
पॉलीकैब भारत की सबसे बड़ी कंपनी है। लेकिन इस समय मार्केट में एक से एक बड़े प्लेयर एंट्री मार चुके हैं। गौतम अदाणी से लेकर कुमार मंगलम बिड़ला तक। गौतम अदाणी के अडानी ग्रुप ने मार्च 2025 में प्रणीता वेंचर्स के साथ 50:50 जॉइंट वेंचर, प्रणीता इकोकेबल्स लिमिटेड (PEL) बनाकर आधिकारिक तौर पर वायर्स और केबल्स के बिजनेस में एंट्री की।
वहीं, आदित्य बिड़ला ग्रुप ने अपनी प्रमुख कंपनी अल्ट्राटेक सीमेंट के जरिए, 2025 की शुरुआत में आधिकारिक तौर पर वायर्स और केबल्स के बिजनेस में कदम रखा। इसके लिए उसने गुजरात में एक नया प्लांट बनाने के लिए ₹1,800 करोड़ का निवेश किया, और अपने मौजूदा कंस्ट्रक्शन मटीरियल्स पोर्टफोलियो (सीमेंट, पेंट्स) के साथ तालमेल बिठाकर, पूरी बिल्डिंग सॉल्यूशंस देने और कंस्ट्रक्शन सप्लाई चेन में ज़्यादा वैल्यू हासिल करने का लक्ष्य रखा।

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